होम लोन लेकर अपना घर बनाने वालों के लिए यह राहत भरी खबर है क्योंकि आरबीआई ने नियमों में बदलाव किया है. नये नियमों के मुताबिक अब हाउसिंग फाइनांस कंपनियों को अपने नेट एसेट का 60 फीसदी हिस्सा होन लोन के तौर पर ग्राहकों को देना होगा. इसके मुताबिक अब होम लोन उन कंपनियों के मुख्य कारोबार के तौर पर रहेगा. आरबीआई ने अब 31 मार्च 2022 तक दिये जाने वाले सभी होम लोन में लोन टू वैल्यु को जोड़ दिया है. इससे हाउसिंग फाइनांस कंपनी और ग्राहक दोनों के लिए बेहतर विकल्प खुलेंगे.
इस वजह से कंपनिया अपने ग्राहकों को लुभाने के लिए सस्ते दर पर होम लोन देने का ऑफर करेगी. ग्राहक आसानी से लोन सकें इसके लिए लोन लेने की शर्तों में थोड़ी ढील दी जा सकती है. इसका सबसे बड़ा फायदा उन्हें होगा जो होम लोन लेकर अपना घर बनाने का सपना देख रहे हैं.
आरबीआई ने हाउसिंग फाइनांस कंपनियों के लिए मिनिमम ऑनरशिप फंड की सीमा को बढ़ाकर 25 करोड़ रुपये तय कर दिया है. अब जिन हाउसिंग फाइनांस कंपनियों का एनओएफ 25 करोड़ रुये से कम हैं उन्हें 31 मार्च 2022 तक अपना एनओएफ 15 करोड़ रुपये और 31 मार्च 2023 तक 25 करोड़ रुपये पूरा कर देना है. इसके साथ ही आरबीआई ने कहा है कि जिन हाउसिंग फाइनांस कंपनियों का एनओएफ 20 करोड़ रुपये से नीचे हैं उन्हें एक महीने के अंदर 25 करोड़ एनओएफ की सीमा को पूरा करना होगा और एक वैधानिक ऑडिटर प्रमाणपत्र आरबीआई के पास जमा करना होगा.
सभी नए आवास ऋणों के लिए होम लोन को की सुरक्षा को एलटीवी में जोड़ना सही दिशा में एक कदम है और इससे रियल एस्टेट क्षेत्र को लाभ होगा. इस उपाय से उद्योग को एक उत्साह देने की उम्मीद है, क्योंकि इसके कारण ग्राहक अधिक लोन पसंद करेंगे.
बैंकिग विशेषज्ञों के मुताबिक केंद्रीय बैंक के इस नये गाइडलाइंस के मुताबिक फाइनांस कंपनिया या तो रियल एस्टेट सेक्टर की कंपनी से समझौता कर सकता है या फिर उस रियल एस्टेट कंपनी से घर खरीदने वालों को लोन दे सकती है. रियल एस्टेट सेक्टर लंबे समय से मंदी के दौर से गुजर रहा है. कोविड -19 क्षेत्र के लिए एक नया झटका बनकर आया है, जिससे परियोजना की शुरूआत में अस्थायी रुकावट आई है. यहां तक कि बैंक उधार देने के लिए अनिच्छुक हैं और खरीदार वित्तीय रूप से तनावग्रस्त हो गए हैं, पर आरबीआई के इस कदम से हालात में सुधार होगा.
Posted By: Pawan Singh
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