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Repo Rate : होम लोन फिर हो जाएगा महंगा! ब्याज दरों में 25 बेसिस प्वाइंट बढ़ोतरी कर सकता है RBI

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में आयोजित मौद्रिक नीति समिति की तीन दिन की बैठक (3-6 अप्रैल) के दौरान विभिन्न घरेलू और वैश्विक कारकों पर विचार किया जाएगा. इसके बाद वित्त वर्ष 2023-24 की पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा की जाएगी.

मुंबई : होम लोन लेने वाले या पहले से होम लोन की किस्त भर रहे लोगों के लिए एक बेहद आवश्यक खबर है और वह यह कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) 6 अप्रैल को घोषित होने वाली द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में ब्याज दरों को बढ़ाने का फैसला कर सकता है. सोमवार को आरबीआई मौद्रिक नीति समिति (आरबीआई एमपीसी) की तीन दिवसीय बैठक शुरू हो गई है और गुरुवार को नतीजों की घोषणा की जाएगी. मीडिया की रिपोर्ट्स पर भरोसा करें, तो यह पहले से ही कयास लगाया जा रहा है कि देश का केंद्रीय बैंक एक बार फिर नीतिगत ब्याज दर रेपो रेट में इजाफा कर सकता है.

रेपो रेट में बढ़ोतरी का अनुमान

मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ब्याज दर तय करने वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिवसीय बैठक सोमवार को मुंबई में शुरू हो चुकी है. ऐसा अनुमान जाहिर किया जा रहा है कि है कि चालू वित्त वर्ष की पहली द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा बैठक में एमसीपी प्रमुख नीतिगत ब्याज दर रेपो रेट में करीब 0.25 फीसदी अथवा 25 बेसिस प्वाइंट की एक और बढ़ोतरी करने का फैसला कर सकती है.

थम जाएगा ब्याज दरों में बढ़ोतरी का सिलसिला

हालांकि, आर्थिक विश्लेषकों का मानना है कि इसके साथ ही मई, 2022 से शुरू हुआ ब्याज दरों में बढ़ोतरी का सिलसिला थम जाएगा. आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में आयोजित मौद्रिक नीति समिति की तीन दिन की बैठक (3-6 अप्रैल) के दौरान विभिन्न घरेलू और वैश्विक कारकों पर विचार किया जाएगा. इसके बाद वित्त वर्ष 2023-24 की पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा की जाएगी. छह सदस्यों वाली समिति ने ब्याज दरों पर क्या फैसला किया है. इसके नतीजों का ऐलान गुरुवार शक्तिकांत दास करेंगे.

रेपो रेट में अब तक 2.5 फीसदी बढ़ोतरी

भारत में बढ़ती महंगाई को काबू में करने के लिए केंद्रीय बैंक मई, 2022 से रेपो रेट में अब तक करीब 2.5 फीसदी तक बढ़ोतरी कर चुका है. इसके बावजूद महंगाई ज्यादातर समय रिजर्व बैंक के छह फीसदी के संतोषजनक स्तर से ऊपर बनी हुई है.एमपीसी खुदरा मु्द्रास्फीति में वृद्धि और विकसित देशों के केंद्रीय बैंकों द्वारा हाल में की गई कार्रवाई पर खासतौर से विचार करेगी. नवंबर और दिसंबर, 2022 में 6 फीसदी से नीचे रहने के बाद खुदरा मुद्रास्फीति जनवरी में आरबीआई के संतोषजनक स्तर को पार कर गई. ऐसे में केंद्रीय बैंक की कार्रवाई जरूरी है. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति जनवरी में 6.52 फीसदी और फरवरी में 6.44 फीसदी थी.

भाषा इनपुट

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