प्रवासी मजदूरों को अपनी जमीन पर मकान बनाकर देंगी तेल कंपनियां, हजारों लोगों को तत्काल होगा फायदा

Homes for migrant workers : कोरोना वायरस महामारी (coronavirus pandemic) की शुरुआत में देश में लागू लॉकडाउन (lockdown) के दौरान अपना काम-धाम छोड़ घर वापस आ चुके प्रवासी मजदूरों (migrant workers) के लिए एक खुशखबरी है. देश के प्रवासी मजदूरों को रहने के लिए सरकार (central government) जल्द ही अपना घर (home) मुहैया कराएगी, ताकि वे कम लागत में अपना मकान पा सकें. इसके लिए सरकार ने तेल कंपनियों (oil companies) को प्रवासी मजदूरों के लिए अपनी जमीन पर रियायती मकान बनाने का निर्देश दिया है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 11, 2020 6:14 PM

Homes for migrant workers : कोरोना वायरस महामारी (coronavirus pandemic) की शुरुआत में देश में लागू लॉकडाउन (lockdown) के दौरान अपना काम-धाम छोड़ घर वापस आ चुके प्रवासी मजदूरों (migrant workers) के लिए एक खुशखबरी है. देश के प्रवासी मजदूरों को रहने के लिए सरकार (central government) जल्द ही अपना घर (home) मुहैया कराएगी, ताकि वे कम लागत में अपना मकान पा सकें. इसके लिए सरकार ने तेल कंपनियों (oil companies) को प्रवासी मजदूरों के लिए अपनी जमीन पर रियायती मकान बनाने का निर्देश दिया है.

पेट्रोलियम मंत्रालय ने तेल कंपनियों को दिया निर्देश

पेट्रोलियम मंत्रालय (ministry of petrolium) ने इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC) जैसी सरकारी कंपनियों को प्रवासी मजदूरों के लिए 50000 मकान बनाने का निर्देश दिया है. इन मकानों में प्रवासी मजदूर मामूली किराया देकर रह सकेंगे. यह प्रवासी मजदूरों को कम किराए पर मकान दिलाने की सरकार की योजना का हिस्सा है.

अपनी जमीन पर मकान बनाएंगी तेल कंपनियां

मामले की जानकारी रखने वाले तीन अधिकारियों के हवाले से मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार, पेट्रोलियम मंत्रालय चाहता है कि उसके अधीन जितनी भी सरकारी कंपनियां हैं, वे अपनी जमीन पर प्रवासी मजदूरों के लिए मकान बनाए. इन कंपनियों में इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC) के अलावा हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (HPCL), भारत पेट्रोलियम कॉर्प लिमिटेड (BPCL), गेल इंडिया लिमिटेड (GAIL India limited)और ओएनजीसी (ONGC) शामिल हैं.

कंपनियों ने शुरू की जमीन की तलाश

अधिकारियों के मुताबिक, इस मामले में हाल ही में पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की अध्यक्षता में एक बैठक हुई. उन्होंने कंपनियों को आवासीय इकाइयों के लिए जल्द से जल्द योजना बनाने को कहा है. बता दें कि मंत्रालय ने 5 अक्टूबर को इस मीटिंग के बारे में ट्वीट किया था. मंत्रालय से निर्देश मिलने के बाद कंपनियों ने अपने प्रतिष्ठानों के करीब ऐसे स्थानों की तलाश शुरू कर दी है,जहां प्रवासी मजदूरों के लिए मकान बनाए जा सकें.

कुछ कंपनियां सरकार से नहीं हैं सहमत

हालांकि, कुछ कंपनियों के अधिकारी सरकार की इस योजना से सहमत नहीं हैं. उनका कहना है कि रिफाइनरियों जैसी परिचालन इकाइयों के पास खाली जमीन नहीं होती है और उन्हें नए मकान बनाने में परेशानी झेलनी पड़ती है. साथ ही, पाइपलाइन जैसी परियोजनाएं दूरदराज में स्थित हैं, जहां प्रवासी मजदूर किराए पर नहीं रहना चाहेंगे.

सरकार ने जुलाई में की थी स्कीम का ऐलान

सरकार ने जुलाई में प्रवासी मजदूरों के लिए किराए के सस्ते घरों को विकसित करने के एक योजना को मंजूरी दी थी. सरकार की योजना 2022 तक सभी को घर उपलब्ध कराने की है. यह कदम लॉकडाउन में काम और रहने का ठिकाना न रहने के चलते लाखों श्रमिकों के अपने गांवों लौटने पर मजबूर होने के बाद उठाया गया है.

Also Read: बिहार में चुनावी समीकरण बिगाड़ सकते हैं प्रवासी मजदूर, पिछले चुनाव में हार-जीत का 33 सीटों पर था करीब पांच हजार का अंतर

Posted By : Vishwat Sen

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

Next Article

Exit mobile version