नई दिल्ली : देश में आर्थिक असमानता के बीच आयकर भुगतान और गरीबी के पैमाने को लेकर एक बार फिर बहस शुरू हो गई है. सवाल यह खड़े किए जा रहे हैं कि भारत में सालाना आठ लाख रुपये तक की आमदनी करने वाला व्यक्ति गरीब की श्रेणी में रखा जाएगा, तो फिर सालाना ढाई लाख रुपये की कमाई करने वाले व्यक्ति से आयकर वसूली करना जायज है? ऐसे सवाल पर सरकार की ओर से जो जवाब दिया गया, वह सवाल से कहीं अधिक दिलचस्प है.
संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान मंगलवार को राज्यसभा सदस्य पी भट्टाचार्य ने मंगलवार को सरकार से आयकर भुगतान से जुड़े सवाल किए. उन्होंने अपने लिखित सवाल में सरकार से पूछा कि यह कितना उचित है कि देश में सालाना ढाई लाख रुपये कमाने वाले व्यक्ति को आयकर का भुगतान करने के लिए कहा जाए और सालाना आठ लाख रुपये तक की आमदनी वाले व्यक्ति और परिवार को गरीब (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग-ईडब्ल्यूएस) माना जाता है.
सांसद पी भट्टाचार्य के सवाल पर केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि आयकर कानून के तहत टैक्स भुगतान के लिए बुनियादी छूट की सीमा तय की गई है और आर्थिक तौर पर गरीब परिवार के लिए अलग सीमा है. उन्होंने कहा कि आयकर भुगतान की सीमा और आर्थिक गरीबी की सीमा की कोई तुलना नहीं की जा सकती.
केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने अपने जवाब में कहा कि आयकर कानून के तहत प्रदान की जाने वाली बुनियादी छूट और ईडब्ल्यूएस ग्रुप की आय में वर्गीकरण की सीमा तुलना नहीं की जा सकती है, क्योंकि दोनों की गणना अलग-अलग उद्देश्यों के लिए अलग-अलग तरीके से की जाती है. उन्होंने कहा कि आयकर अधिनियम के तहत एक व्यक्ति को आईटीआर दाखिल करना आवश्यक है, यदि उसकी सालाना आय 2.5 लाख रुपये से अधिक है. आईटीआर फाइल करने के भी कई फायदे हैं.
वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि ईडब्ल्यूएस वर्गीकरण के लिए मानी जाने वाली आमदनी और आयकर अधिनियम के तहत बुनियादी छूट सीमा के बीच अंतर है. सरकार द्वारा सामान्य श्रेणी के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) समूह के लिए सभी स्रोतों से परिवार की सालाना आमदनी की सीमा 8 लाख रुपये निर्धारित की गई है. उन्होंने ईडब्ल्यूएस श्रेणी में अर्हता प्राप्त करने के लिए 8 लाख रुपये की यह सीमा एक सकल आय सीमा है, जिसमें परिवार के सभी सदस्यों के सभी स्रोतों से होने वाली आमदनी शामिल है.
वहीं, आयकर अधिनियम के तहत मूल छूट सीमा एक व्यक्ति की आय पर लागू होती है. उन्होंने कहा कि यह भी ध्यान दिया जा सकता है कि सभी स्रोतों से सकल पारिवारिक आय में कुछ आय भी शामिल हो सकती है जो आयकर अधिनियम के प्रावधानों के तहत छूट प्राप्त है. ऐसी श्रेणी में कृषि से होने वाली आमदनी शामिल है.
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केंद्रीय मंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि वित्त अधिनियम, 2019 में 5 लाख रुपये तक की कुल आय वाले व्यक्तियों को 100 फीसदी कर छूट प्रदान करने के लिए आयकर अधिनियम की धारा 87ए में संशोधन किया गया है. उन्होंने कहा कि इसलिए आयकर अधिनियम के मौजूदा प्रावधानों के तहत 5 लाख रुपये तक की कुल आय वाले व्यक्ति को कोई आयकर देने की आवश्यकता नहीं है.
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