Share Market: चीन के स्टॉक मार्केट में आई तेजी, मध्यपूर्व में जारी तनाव और नए एफएंडओ नियमों ने भारतीय शेयर बाजार पर नकारात्मक असर डाला ह. इसके चलते निवेशक अब उन स्टॉक्स की तलाश कर रहे हैं, जिनमें जोखिम कम हो. विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी कंपनियों में निवेश करना सुरक्षित है, जिनका व्यवसाय घरेलू अर्थव्यवस्था पर आधारित है. इन कंपनियों के शेयर विदेशों में बिगड़ते हालातों का असर कम महसूस करते हैं. साथ ही, निवेशकों को हर सेक्टर में ऐसी कंपनियों पर ध्यान देना चाहिए, जो कठिन समय में भी अच्छा प्रदर्शन कर सकें.
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सही प्राइस पॉइंट पर निवेश का महत्व
वेल्थमिल्स सिक्योरिटीज के डायरेक्टर क्रांति बैथिनी ने कहा कि एफएमसीजी, हेल्थकेयर, फार्मा, पावर और कैपिटल गुड्स जैसे सेक्टरों के शेयर जियोपॉलिटिकल तनाव से कम प्रभावित होते हैं. हालांकि, निवेशकों को ध्यान रखना होगा कि वे इन कंपनियों के शेयरों में किस प्राइस पॉइंट पर निवेश कर रहे हैं. निवेश से पहले यह देखना महत्वपूर्ण है कि अगले कुछ तिमाहियों में इन कंपनियों की विकास दर क्या हो सकती है. इससे निवेशक बेहतर निर्णय ले पाएंगे और सही समय पर निवेश कर सकेंगे.
बैंकिंग और आईटी शेयरों में अवसर
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के रिसर्च हेड, सिद्धार्थ खेमका के अनुसार, जब बाजार में अस्थिरता अधिक हो, तो डिफेंसिव स्टॉक्स में निवेश करना एक समझदारी भरा कदम होता है. उन्होंने बैंकिंग और इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (आईटी) स्टॉक्स में भी निवेश के अच्छे अवसर देखे हैं. पिछले कुछ समय से इन क्षेत्रों का प्रदर्शन कमजोर रहा है, जिससे इनकी वैल्यूएशन अब सही स्तर पर है. बैंकों की अर्निंग्स में सुधार देखा जा रहा है, और अमेरिका में ब्याज दरों में संभावित कटौती के कारण आईटी स्टॉक्स में भी निवेश के अवसर नजर आ रहे हैं. साथ ही, आईटी सेक्टर में मैनेजमेंट की बेहतर टिप्पणियों ने भी निवेशकों का भरोसा बढ़ाया है.
पावर सेक्टर में मोटी कमाई के मौके
अलकेमी कैपिटल मैनेजमेंट के हेड आलोक अग्रवाल ने पावर सेक्टर को दूसरा आकर्षक निवेश क्षेत्र बताया. उनके अनुसार, वर्तमान में भारत में लगभग 220 गीगावाट (GW) की पावर की मांग है, लेकिन आपूर्ति कम है. अगले 5 से 7 वर्षों में, भारत को अतिरिक्त 100 GW बिजली की आवश्यकता होगी। इस बढ़ती मांग के कारण पावर ट्रांसमिशन से जुड़ी कंपनियों में निवेश के अच्छे अवसर दिखाई दे रहे हैं, जिससे निवेशकों को मोटी कमाई हो सकती है.
क्रूड ऑयल
भारतीय शेयर बाजार के लिए इस समय सबसे बड़ी चिंता विदेशी निवेशकों की बिकवाली है. विशेषज्ञों का कहना है कि विदेशी निवेशक चीन के बाजारों में अधिक निवेश करने के लिए भारतीय बाजारों में बिकवाली कर सकते हैं. हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि विदेशी निवेशक भारतीय बाजारों से पूरी तरह से बाहर नहीं निकलेंगे. असल चिंता क्रूड ऑयल की बढ़ती कीमतों को लेकर है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभाव डाल सकती हैं.
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क्रूड में उछाल का व्यापक प्रभाव
क्रूड ऑयल की कीमतों में उछाल का असर केवल भारतीय अर्थव्यवस्था पर ही नहीं, बल्कि उन कंपनियों पर भी पड़ेगा जो अपने उत्पादन में क्रूड का इस्तेमाल करती हैं.पेट्रोकेमिकल्स और टायर कंपनियां इसका प्रमुख उदाहरण हैं. इसके अलावा, ऑयल मार्केटिंग कंपनियों पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि उन्हें ऊंची कीमतों पर क्रूड खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ेगा, जो उनके मार्जिन को प्रभावित करेगा.
निवेशकों को इस समय सतर्क रहकर उन कंपनियों का चुनाव करना चाहिए जो विदेशी और घरेलू बाजारों के अस्थिर माहौल में भी स्थिरता से काम कर सकें.
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