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Home Loan Tax Benefit: होम लोन पर 3.5 लाख रुपये तक टैक्स छूट का फायदा उठा सकते हैं आप, यहां जानें कैसे

आयकर नियमों (Income Tax Act) की धारा 80 सी (Article 80C of IT Act) टैक्स छूट के लिए एक वित्तीय वर्ष में 1.5 लाख रुपये तक के होम लोन के मूल भुगतान की अनुमति देता है.

By Rajeev Kumar | August 24, 2022 8:57 AM
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Home Loan Tax Benefit: अगर आपने होम लोन (Home Loan) लिया है, तो उस पर दिए जाने वाले ब्याज के पैसे पर टैक्स छूट (Home Loan Tax Rebate) पा सकते हैं. इसके लिए आपको इनकम टैक्स रिटर्न (Income Tax Return) में लोन और उसकी ब्याज अदायगी के बारे में बताना होगा. हाउसिंग लोन लेकर एक वित्तीय वर्ष में 3.5 लाख रुपये तक का टैक्स बचाया जा सकता है. कैसे संभव है यह? आइए जानें-

ऐसे कम होगी टैक्स देनदारी

आयकर नियमों (Income Tax Act) की धारा 80 सी (Article 80C of IT Act) टैक्स छूट के लिए एक वित्तीय वर्ष में 1.5 लाख रुपये तक के होम लोन के मूल भुगतान की अनुमति देता है. होम लोन पर चुकाये गए ब्याज पर सेक्शन 24बी के तहत 2 लाख रुपये तक की अतिरिक्त टैक्स छूट भी है. इसका मतलब है कि करदाता कुल मिलाकर 3.5 लाख रुपये तक टैक्स बेनिफिट का फायदा उठा सकता है. 3.5 लाख रुपये का कुल होम लोन टैक्स बेनिफिट कुल टैक्सेबल इनकम से कम हो जाता है और इस तरह इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स देनदारी कम हो जाती है.

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होम लोन पर कैसे बचा सकते हैं 3.5 लाख रुपये तक का टैक्स?

इनकम टैक्स के नियम (Income Tax Rule) के मुताबिक होम लोन के ब्याज पर 1.5 लाख रुपये तक टैक्स छूट का लाभ लिया जा सकता है. इसके लिए करदाता को इनकम टैक्स रिटर्न (Income Tax Return) में लोन और उसकी ब्याज अदायगी के बारे में बताना होगा. प्रूफ के तौर संबंधित बैंक से इंटरेस्ट लेटर प्राप्त कर उसे जमा करना होगा. इसमें चुकाये गए ब्याज पर 2 लाख और होम लोन के मूलधन पर 1.5 लाख रुपये की छूट हासिल की जा सकती है.

स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन पर भी डिडक्शन

इस तरह कुल मिलाकर 3.5 लाख रुपये तक का टैक्स बेनिफिट हासिल किया जा सकता है. 3.5 लाख रुपये का कुल होम लोन टैक्स बेनिफिट करदाता के कुल टैक्सेबल इनकम से कम हो जाएगा और इस तरह इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार करदाता की टैक्स देनदारी कम हो जाती है. यही नहीं, प्रॉपर्टी खरीद शुल्क जैसे स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन भी धारा 80C के तहत डिडक्शन के तहत आते हैं. इसके अलावा, धारा 80सी के तहत, कई अन्य निवेश और भुगतान पर भी टैक्स बेनिफिट लिया जा सकता है. इसके तहत एक वित्त वर्ष में अधिकतम 1.5 लाख रुपये के टैक्स छूट की अनुमति है.

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