ICICI Bank Fraud Case : सीबीआई की एक स्पेशल कोर्ट ने आज ऋण धोखाधड़ी मामले में आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर, उनके पति दीपक कोचर और वीडियोकॉन के फाउंडर वेणुगोपाल धूत की सीबीआई रिमांड 29 दिसंबर तक बढ़ा दी. चंदा कोचर और उसके पति दीपक कोचर को सीबीआई ने सोमवार को रात को गिरफ्तार किया था.
चंदा कोचर पर यह आरोप है कि उन्होंने बैंक के सीईओ पद पर रहते हुए पद का दुरुपयोग किया और अपने पति को आर्थिक लाभ पहुंचाया. चंदा कोचर के पति दीपक कोचर और वीडियोकाॅन ग्रुप के फाउंडर वेणुगोपाल धूत ने एक डील की थी और बैंक से 3250 करोड़ का लोन लिया था. इस लोन को दिलाने में चंदा कोचर की अहम भूमिका थी. इस लोन को पास कराने में आरबीआई के नियमों का उल्लंघ किया गया. मामले की जांच एजेंसी सीबीआई ने चंदा कोचर और दीपक कोचर के अलावा दीपक कोचर द्वारा संचालित नूपावर रिन्यूएबल्स (एनआरएल), सुप्रीम एनर्जी, वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड तथा वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड को भारतीय दंड संहिता की धाराओं और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 2019 के तहत दर्ज प्राथमिकी में आरोपी बनाया है.
3250 करोड़ लोन को मंजूरी आरबीआई की ऋण नीति का उल्लंघन करके दी गयी, इस ऋण मंजूरी के बदले वेणुगोपाल धूत ने सुप्रीम एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड (एसईपीएल) के माध्यम से नूपावर रिन्यूएबल्स में 64 करोड़ रुपये का निवेश किया और 2010 से 2012 के बीच हेरफेर करके पिनेकल एनर्जी ट्रस्ट को एसईपीएल ट्रांसफर किया. पिनेकल एनर्जी ट्रस्ट तथा एनआरएल का प्रबंधन दीपक कोचर कर रहे थे.
चंदा कोचर भले ही आज सीबीआई की हिरासत में हों और उनपर धोखाधड़ी का मामला चल रहा हो, लेकिन एक समय ऐसा भी था जब चंदा कोचर आदर्श और सशक्त महिला के रूप में जानी जाती थी और उनकी इस पहचान पर मुहर फोर्ब्स और इंडिया टुडे जैसी पत्रिकाओं ने मुहर भी लगायी थी. 2005 में फाॅर्चून ने उन्हें पावरफुल बिजनेस वूमन की लिस्ट में शामिल किया था. 2009 में फोर्ब्स ने उन्हें विश्व की सौ शक्तिशाली महिलाओं में 20वां स्थान दिया था. वहीं 2010 में उन्हें 10 स्थान दिया गया था. बिजनेस टुडे की मोस्ट पावर वूमेन की लिस्ट में उन्हें वर्ष 2011 में जगह मिली. ग्लोबस फाइनांस की लिस्ट में उन्हें 50 सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों की सूची में शामिल किया गया था. 2014 में एसोचैम ने उन्हें डिकेट एचीवर अवार्ड से भी सम्मानित किया था. वहीं 2011 में उन्हें पद्मभूषण भी दिया गया था.
चंदा कोचर ने 1990 के दशक में आईसीआईसीआई बैंक की स्थापना में अहम रोल निभाया. 1993 में उन्हें कोर टीम मेंबर के रूप में नियुक्त किया गया था जिनपर बैंक स्थापित करने की जिम्मेदारी थी. उन्हें 1994 में सहायक महाप्रबंधक (एजीएम) और फिर 1996 में उप महाप्रबंधक (डीजीएम) बनाया गया था. 1996 में कोचर ने ICICI बैंक के नवगठित इंफ्रास्ट्रक्चर इंडस्ट्री ग्रुप का नेतृत्व किया, जिसका उद्देश्य बिजली, दूरसंचार और परिवहन के क्षेत्रों में काम करना और विशेषज्ञता हासिल करना था. इसके बाद चंदा कोचर ने मुड़कर नहीं देखा और लगातार सफलता की सीढ़ियां चढ़ती गयीं. 2006 में कोचर आईसीआईसीआई बैंक की डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर बनीं. 2009 में चंदा कोचर बैंक की सीईओ बनीं. 2018 में ऋण धोखाधड़ी मामले के सामने आने के बाद उन्हें पद से इस्तीफा देना पड़ा.
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