Corona crisis के दौर में भी अगर कोई करना चाहता है निवेश, तो बिना जोखिम के सोना है बेहतर विकल्प

विश्व स्वर्ण परिषद (WGC) की रिपोर्ट में कही गयी है यह बात

By KumarVishwat Sen | March 24, 2020 5:32 PM

मुंबई : देश-दुनिया में कोरोना वायरस महामारी के बढ़ते संक्रमण की वजह से लोग बुरी तरह से डरे हुए हैं और शेयर बाजारों में उठा-पटक का दौर जारी है. ऐसे विकट समय में भी अगर कोई हिम्मत करके निवेश करना चाहते हैं, तो सोना से कोई बेहतर विकल्प नहीं हो सकता है. वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) ने मंगलवार को कहा है कि सोना ऐसे समय में जरूरी नकदी और तरलता उपलब्ध करा सकता है, जिसमें साख का भी कोई जोखिम नहीं है और यह आपके समूचे पोर्टफोलियो के प्रदर्शन को भी बेहतर बना सकता है.

डब्ल्यूजीसी की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सोना स्पष्ट तौर पर शेयर, बॉन्ड और व्यापक आधार वाले पोर्टफोलियो का अनुपूरक हो सकता है. इसमें किसी भी प्रकार की प्रणालीगत असफलता, मुद्रा अवमूल्यन और मुद्रास्फीति जोखिमों से बचाव और ढाल बनने की पूरी क्षमता है. डब्लयूजीसी की इस रिपोर्ट का नाम ‘एक रणनीतिक संपत्ति के तौर पर सोने की उपयोगिता : भारती परिप्रेक्ष्य में.’ रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐतिहासिक रूप से सोना पोर्टफोलियो से जुड़े रिटर्न जोखिम को समन्वित करने में मदद करता है, सकारात्मक रिटर्न उपलब्ध कराता है और बाजार में दबाव पैदा होने की स्थिति में यह देनदारियों को पूरा करने की क्षमता रखता है.

डब्ल्यूजीसी में भारत के प्रबंध निदेशक सोमसुंद्ररम पीआर का कहना है कि भारतीय निवेशकों के लिए आज सोना पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक है. अनिश्चितता के ऐसे समय में जब वैश्विक बाजारों में उठापटक चल रही है, सोना पोर्टफोलियो के विभिन्न स्तरों पर जोखिम और रिटर्न के बीच समायोजन में सुधार लाने की क्षमता रखता है और यह मुद्रास्फीति के समक्ष आपके लिए बचाव का भी साधन बनता है, हमारे आंकड़े इसकी पुष्टि करते हैं.

उन्होंने कहा कि सोने के साथ ही विविध स्टॉक वाले पोर्टफोलियो में बाजार की घट-बढ़ पर घबराहटपूर्ण प्रतिक्रिया का जोखिम नहीं रहता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 1981 से लेकर अब तक सोने पर वार्षिक औसत रिटर्न 10 फीसदी तक रहा है, जबकि इस दौरान भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक का औसत 7.35 फीसदी रहा है.

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