नयी दिल्ली : कोरोना वायरस से भारत की ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया की इकॉनमी पर गहरा असर पड़ा है.कोई भी सेक्टर इस बुरे असर से बच नहीं पाया, हर जगह से सैलरी कटने और छटनी की खबरें आ रही हैं.वहीं इसके साथ ही करोड़ों लोगों की नौकरी जाने का अनुमान है.जिन लोगों को नौकरी जाने का डर सता रहा है, इंश्योरेंस पॉलिसी उनके काम आ सकती है.
जॉब जाने के बाद अचानक खर्च को मैनेज करने के टेंशन को देखते हुए कई जनरल इंश्योरेंस कंपनिया ‘ जॉब लास कवर ‘ देती है. हालांकि, जॉब जाने से लेकर इसके मिलने तक के पीरियड में इस पर पूरी तरह डिपेंड नहीं हुआ जा सकता.आइए समझते हैं कोरोनाकाल में ज़ब लॉस के खतरे के बीच’जॉब लास कवर’ के तमाम पहलू.
कोई भी इंश्योरेंस पॉलिसीअलग से जॉब-लॉस इंश्योरेंस पॉलिसी ऑफर नहीं करती है, सिर्फ ऐड-ऑन में दिया जाता है। ऐक्सिडेंट या क्रिटिकल इलनेस या होम इंश्योरेंस के साथ इसे दिया जाता है.
सेल्फ इम्प्लॉयड व्यक्ति का धंधा चौपट हो जाए तो उसकी बेरोजगारी को जॉब-लॉस में नहीं लिया जाता है अपने आप इस्तीफा देने या समय से पहले रिटायरमेंट लेना भी इसमें नहीं गिना जाता है इंश्योर्ड की की नौकरी खराब प्रदर्शन के कारण जाती है तो उसे कवर नहीं मिलेगा कोई डिसिप्लिनरी ऐक्शन होने पर नौकरी जाने पर भी क्लेम नहीं किया जा सकता है – प्रोबेशन पीरियड में नौकरी जाने पर भी यही बात लागू होती है.
क्या है कवर- जॉब लॉस कवर में बीमा कंपनी आपकी 3 सबसे बड़ी EMIs को कवर करती हैययह रकम अमूमन आपकी आधी सैलरी के बराबर होती है.जॉब लॉस कवर के लिए एक से तीन महीने का वेटिंग पीरियड होता है, इसके बाद अमल में लाया जाता है. पॉलिसी अवधि के दौरान एक बार क्लेम किया जा सकता है.
जॉब लॉस कवर के मामले में अलग-अलग कंपनियों की अलग शर्तें होती हैं. पहले पता कर लें कि – कंपनी से सैपरेशन पर मुआवजे के तौर पर मिलने वाली रकम देने पर क्या आप क्लेम कर सकते हैं? – टर्मिनेशन से पहले कंपनी के नोटिस देने पर क्या आपको क्लेम मिलेगा? -नौकरी से निकाला जाता है और साबित करने के लिए लिखित डॉक्युमेंट नहीं हैं तो क्या होगा? अगर आप इस बात का सबूत नहीं दे पाते कि आपको छंटनी प्रॉसेस के तहत निकाला गया है तो आपको क्लेम नहीं मिलेगा.
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