ऑनलाइन धोखाधड़ी की घटनाएं देश में बेहिसाब बढ़ी हैं. साइबर ठगी के मामलों में पीड़ित की जरा सी लापरवाही से उसे अपनी मेहनत की कमाई से हाथ धोना पड़ जाता है. इसलिए तमाम बैंक अपने ग्राहकों के लिए अलर्ट करते रहते हैं.
आरबीआई ने तो जानकार बनें सतर्क रहें का विज्ञापन ही जारी कर दिया है. बावजूद इसके ऑनलाइन धोखाधड़ी की घटनाएं हो रही हैं जिसकी वजह से लोगों को अपने पैसों से हाथ धोना पड़ रहा है. अगर आप भी इस तरह की किसी ठगी का शिकार होते हैं तो यहां हम आपको कुछ उपाय बता रहे हैं जिनकी मदद से आप अपने पैसे वापस प्राप्त कर सकते हैं.
साइबर फ्राॅड का आमतौर जो पैटर्न नजर आता है वो है ओटीपी फ्रॉड और यूपीआई फ्रॉड. ऑनलाइन धोखाधड़ी के लिए हैकर्स नकली वेबसाइटों का उपयोग करते हैं. बैंकिंग नियमों के अनुसार इस तरह की धोखाधड़ी के शिकार लोगों को अनधिकृत लेनदेन का पूरा रिफंड मिल सकता है. लेकिन रिफंड पाने के लिए खाताधारकों को भुगतान गेटवे एवं अन्य जानकारियां अपने बैंक को तुरंत देनी होगी.
आरबीआई के अनुसार, यदि आप अनधिकृत ऑनलाइन धोखाधड़ी के शिकार हुए तो आपका नुकसान सीमित हो सकता है. संभव है कि आपका शून्य रुपये हो, लेकिन इसके लिए आपको बैंक को अविलंब जानकारी देनी होगी.
अधिकांश बैंकों ने अपने ग्राहकों को वित्तीय धोखाधड़ी से बचाने के लिए बीमा करवाया है. इसलिए अगर आप साइबर फ्राॅड का शिकार हों तो बिना समय गंवाए बैंक को इसकी जानकारी दें. अगर आप बिना समय गंवायें बैंक को सूचित करेंगे तो वह ग्राहक को नुकसान से बचाने के लिए बीमा कंपनी को धोखाधड़ी के बारे में सूचित करेगा.
नुकसान की भरपाई आमतौर पर बैंक द्वारा 10 कार्य दिवसों के भीतर की जाती है. बैंक और बीमा कंपनियां आमतौर पर अनधिकृत लेनदेन के कारण हुए नुकसान की भरपाई करती हैं.
इन उपायों के जरिये आप अपने खोये हुए पैसे को फिर से प्राप्त कर सकते हैं. लेकिन सबसे जरूरी यह है कि आप साइबर ठगों से सावधान रहें. किसी के भी साथ अपना ओटीपी, पिन नंबर या पासवर्ड शेयर ना करें. ना ही किसी अनजान लिंक पर अपनी गोपनीय जानकारियां साझा करें.
Posted By : Rajneesh Anand
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