IMF ने भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन को बताया बेहतर, अतिरिक्त मौद्रिक सख्ती बरतने पर दिया जोर

IMF on Indian Economy: अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के मुख्य अर्थशास्त्री पियरे ओलिवर गोरिंचेस ने भारतीय अर्थव्यस्था को लेकर बड़ी बात कही है. उन्होंने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था काफी अच्छा प्रदर्शन कर रही है. लेकिन, उसे अभी और मौद्रिक सख्ती बरतने की जरूरत है.

By Agency | October 11, 2022 11:01 PM

IMF on Indian Economy: अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) के मुख्य अर्थशास्त्री पियरे ओलिवर गोरिंचेस ने मंगलवार को भारतीय अर्थव्यस्था को लेकर बड़ी बात कही है. पियरे ओलिवर गोरिंचेस ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था काफी अच्छा प्रदर्शन कर रही है. लेकिन, उसे अभी और मौद्रिक सख्ती बरतने की जरूरत है.

भारत की आर्थिक वृद्धि दर 6.8 प्रतिशत ही रहने की संभावना

आईएमएफ ने वर्ष 2022 के लिए भारत के आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर 6.8 फीसदी कर दिया है. इसके पहले, जुलाई में अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष ने भारत की वृद्धि दर 7.4 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था. आईएमएफ ने वैश्विक आर्थिक परिदृश्य को लेकर मंगलवार को जारी अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा कि इस साल भारत की वृद्धि दर 6.8 प्रतिशत ही रहने की संभावना दिख रही है. यह जुलाई में व्यक्त पिछले अनुमान से 0.6 प्रतिशत कम है. यह दूसरी तिमाही में आर्थिक गतिविधियों के उम्मीद से कम रहने और बाहरी मांग में भी कमी आने की ओर इशारा करता है.

2023 में भी भारत के मजबूती से वृद्धि करने की उम्मीद

आईएमएफ की रिपोर्ट जारी होने के बाद अर्थशास्त्री पियरे ओलिवर गोरिंचेस ने कहा कि भारत 2022 में काफी अच्छा प्रदर्शन कर रहा है और 2023 में भी इसके मजबूती से वृद्धि करने की उम्मीद है. इस साल इसकी वृद्धि दर 6.8 फीसदी रहने, जबकि अगले साल 6.1 फीसदी रहने की उम्मीद है.

भारत में मुद्रास्फीति अब भी केंद्रीय बैंक के लक्ष्य से अधिक

इसके साथ ही पियरे ओलिवर गोरिंचेस ने कहा कि भारत में मुद्रास्फीति अब भी केंद्रीय बैंक के लक्ष्य से अधिक बनी हुई है. उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 में भारत की मुद्रास्फीति 6.9 फीसदी रहने का हमें अनुमान है. वहीं, अगले साल यह गिरकर 5.1 फीसदी पर आ सकती है. ऐसे में नीतिगत स्तर पर हमें यही लगता है कि राजकोषीय एवं मौद्रिक नीति में सख्ती जारी रहनी चाहिए. इस मौके पर मुद्राकोष के शोध विभाग के प्रमुख डेनियल लेइग ने कहा कि मुद्रास्फीति को नीचे लाने के लिए अतिरिक्त मौद्रिक सख्ती बरतने की जरूरत होगी.

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