मुंबई: कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से भारत की अर्थव्यवस्था बुरी तरह चरमरा गयी थी. महंगाई आसमान छूने लगी. पेट्रोल-डीजल की कीमतों के साथ-साथ सब्जियों की कीमतों में भी तेजी आ गयी. लंबे समय के लॉकडाउन की वजह से तमाम निर्माण कार्य बंद थे. धीरे-धीरे देश अनलॉक हुआ, तो अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकार ने कई कोशिशें कीं.
वित्त मंत्रालय ने अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए कई बड़ी घोषणाएं कीं. देश की इकॉनोमी अब पटरी पर लौटने लगी है. जीडीपी में वृद्धि देखी गयी है. विशेषज्ञों का अनुमान है कि भारत अन्य देशों की तुलना में तेजी से आगे बढ़ेगा. इस बीच, भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति की समीक्षा की तारीख करीब आ गयी है. इसी दिन नीतिगत ब्याज दरों की आरबीआई घोषणा करेगा. इसमें रिवर्स रेपो रेट (Reverse Repo Rate) और रेपो रेट (Repo Rate 2021) में बदलाव का ऐलान किया जाता है.
मौद्रिक नीति की समीक्षा करने के बाद रिजर्व बैंक 8 दिसंबर को नीतिगत ब्याज दरों की घोषणा करेगा. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या 8 दिसंबर को आरबीआई रिवर्स रेपो रेट में वृद्धि करेगा? इसका जवाब अभी देना मुश्किल है, लेकिन कोरोना वायरस के नये स्वरूप ‘ओमिक्रॉन’ की चिंताओं के बीच मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक से पहले एसबीआई के अर्थशास्त्रियों ने रिजर्व बैंक से रिवर्स रेपो दर में बढ़ोतरी से बचने की सलाह दी है.
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8 दिसंबर को मौद्रिक नीति की समीक्षा करेगा रिजर्व बैंक
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एसबीआई ने रिवर्स रेपो रेट नहीं बढ़ाने की दी है सलाह
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अर्थव्यवस्था के पुनरोद्धार को और समय देने की मांग
अर्थव्यवस्था के पुनरोद्धार को और समय देना चाहिए- SBI
एसबीआई के अर्थशास्त्रियों ने कहा है कि केंद्रीय बैंक को फिलहाल लिक्विडिटी (तरलता) की स्थिति को सामान्य करने के लिए कदम नहीं उठाने चाहिए और अर्थव्यवस्था के पुनरोद्धार के लिए और समय देना चाहिए.
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अर्थशास्त्रियों का कहना है कि रिवर्स रेपो दर को यथावत रखने से मौजूदा आर्थिक सुधारों को और मजबूत करने के लिए अधिक समय मिलेगा. एसबीआई रिसर्च ने एक नोट में कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक अभी तक अन्य उपायों के माध्यम से अतिरिक्त तरलता को कम करने की कोशिश कर रहा है.
नोट में इसके अलावा कहा गया है कि रिवर्स रेपो रेट के माध्यम का उपयोग केवल मौद्रिक नीति की घोषणा तक ही सीमित नहीं होना चाहिए. एसबीआई समूह की मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष ने नोट में कहा है कि स्थिति में अभी भी सुधार हो रहा है और आठ दिसंबर को अगली नीतिगत घोषणा में रिवर्स रेपो दरों को यथावत रखा जाना चाहिए.
Posted By: Mithilesh Jha
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