डिजिटल मुद्रा अपनाने को लेकर बढ़ी स्वीकार्यता, जानिए इसके फायदे और नुकसान

आज भी विश्व के अधिकांश देशों में व्यापार और लेन-देन कागजी मुद्रा के जरिये ही होता है. पर जैसे-जैसे डिजिटलीकरण में तेजी आ रही है, डिजिटल मुद्रा अपनाने को लेकर स्वीकार्यता बढ़ रही है. भारतीय रिजर्व बैंक भी डिजिटल-रुपी के साथ आगे बढ़ने की तैयारी कर रहा है.

By Prabhat Khabar News Desk | November 8, 2022 2:39 PM

अर्थव्यवस्था और भुगतान प्रणाली के विकास के साथ-साथ धन के लेन-देन का तरीका और उसके स्वरूप में भी परिवर्तन आया है. पहले जहां लेन-देन के लिए वस्तुओं के आदान-प्रदान का चलन था, समय के साथ उसकी जगह धातु की मुद्रा ने ले ली और सिक्के ढाले जाने लगे. इसके बाद कागजी मुद्रा चलन में आया. आज भी विश्व के अधिकांश देशों में व्यापार और लेन-देन कागजी मुद्रा के जरिये ही होता है. पर जैसे-जैसे डिजिटलीकरण में तेजी आ रही है, डिजिटल मुद्रा अपनाने को लेकर स्वीकार्यता बढ़ रही है. हालांकि, डिजिटल मुद्रा का चलन अभी बहुत कम देशों में है, पर अनेक देश इसके साथ आगे बढ़ने की तैयारी में हैं. भारतीय रिजर्व बैंक भी डिजिटल-रुपी के साथ आगे बढ़ने की तैयारी कर रहा है. आइए, आज के इन दिनों पेज में जानते हैं डिजिटल मुद्रा से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में…

देश डिजिटल अर्थव्यवस्था की ओर तेजी से बढ़ रहा

मारा देश डिजिटल अर्थव्यवस्था की ओर तेजी से बढ़ रहा है. इसी क्रम में भारत ने अपनी पहली सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) यानी डिजिटल रुपी का पायलट प्रोजेक्ट इस महीने की एक तारीख (1 नवंबर, 2022) का लॉन्च किया है. असल में रिजर्व बैंक भारत में डिजिटल करेंसी, यानी डिजिटल रुपया का परीक्षण कर रहा है. हालांकि आरबीआई ने अभी होलसेल सेगमेंट को ध्यान में रखते हुए डिजिटल रुपी का पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च किया है. जबकि रिटेल सेगमेंट के लिए डिजिटल रुपी का पायलट प्रोजेक्ट एक महीने के भीतर लॉन्च किया जाना है. गौरतलब है कि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा फरवरी के आम बजट भाषण में डिजिटल करेंसी लाने की घोषणा की गयी थी.

क्या है डिजिटल रूपी

आरबीआइ के अनुसार, सीबीडीसी यानी डिजिटल रुपी (Digital Currency) एक वैध मुद्रा है, जिसे केंद्रीय बैंक ने डिजिटल स्वरूप में जारी किया है. यह कागजी या भौतिक मुद्रा की तरह का ही है और इसका कागजी मुद्रा के साथ विनिमय यानी आदान-प्रदान संभव है. केवल इसका स्वरूप अलग है. डिजिटल मुद्रा का मूल्य भी मौजूदा कागजी मुद्रा के बराबर ही होगा और यह उसी तरह स्वीकार्य होगी. यह केंद्रीय बैंक की बैलेंस शीट में लायबिलिटी के रूप में दिखाई देगी. इलेक्ट्रॉनिक स्वरूप में उपलब्ध इस रुपये को कान्टैक्टलेस ट्रांजैक्शन के लिए उपयोग किया जा सकेगा. यह मुद्रा क्यूआर कोड और एसएमएस स्ट्रिंग पर आधारित है जो ई-वाउचर के रूप में काम करती है. इसका उपयोग करने के लिए उपयोगकर्ता को कार्ड, डिजिटल पेमेंट एप या इंटरनेट बैंकिंग एक्सेस की आवश्यकता नहीं होगी. इस कारण ई-रुपी का उपयोग अधिकाधिक लोगों द्वारा किये जाने की संभावना है.

दो तरह की होगी डिजिटल करेंसी

डिजिटल करेंसी यानी ई-रुपया को आरबीआई ने दो श्रेणी में बांटा है- सीबीडीसी-डब्ल्यू (होलसेल सीबीडीसी) और सीबीडीसी-आर (रिटेल सीबीडीसी). सीबीडीसी-डब्ल्यू का उपयोग होलसेल सेगमेंट की मुद्रा के तौर पर किया जा सकेगा और सीबीडीसी-आर का उपयोग रिटेल सेगमेंट की मुद्रा के तौर पर किया जा सकेगा. रिटेल सीबीडीसी सभी के उपयोग के लिए उपलब्ध होगी. इसका उपयोग सभी निजी, गैर वित्तीय उपभोक्ता और व्यवसाय कर सकेंगे. जबकि होलसेल सीबीडीसी का उपयोग चुने हुए वित्तीय संस्थानों के लिए किया जायेगा.

डिजिटल रुपया प्रणाली और भारतीय अर्थव्यवस्था

आरबीआई के कॉन्सेप्ट नोट के अनुसार, सीबीडीसी लाने का उद्देश्य मुद्रा के मौजूदा रूपों को बदलना नहीं, बल्कि उसका पूरक तैयार करना और उपयोगकर्ताओं को भुगतान के लिए एक अतिरिक्त रास्ता ( पेमेंट एवेन्यू ) प्रदान करने की परिकल्पना है. आरबीआई का यह भी मानना है कि डिजिटल रुपया प्रणाली भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगी, इससे मौद्रिक और भुगतान प्रणाली और अधिक कुशल बनेगी. इन सबके अतिरिक्त और भी कई प्रमुख कारण हैं जिसने आरबीआई को डिजिटल मुद्रा लाने के लिए प्रेरित किया है.

  • आरबीआई देश में कागजी मुद्रा के प्रबंधन में आने वाले भारी-भरकम खर्च में कमी लाना चाहती है. यानी यह नोटों को छापने, उनके प्रसार और उन्हें वितरित करने में जो खर्च आता है, उनमें कमी लाना चाहती है. डिजिटल मुद्रा के जरिये यह संभव हो सकेगा.

  • यह वित्तीय समावेशन को आगे बढ़ाने में योगदान देगी.

  • डिजिटल रुपी के जरिये आरबीआई डिजिटलीकरण को बढ़ावा देकर कम नकदी वाली अर्थव्यवस्था प्राप्त करना चाहती है.

  • सीबीडीसी पेमेंट सिस्टम को अधिक कार्यक्षम बनाकर आरबीआई भुगतान में प्रतिस्पर्धा, दक्षता और नवाचार को बढ़ावा देगी.

  • सीबीडीसी के माध्यम से आरबीआई सीमा पार भुगतान के लिए नये तरीके आजमाना चाहती है.

  • क्रिप्टो परिसंपत्तियों के प्रसार की तुलना में डिजिटल करेंसी राष्ट्रीय मुद्रा में आम आदमी के विश्वास को बनाये रखेगी. डिजिटल करेंसी ऐसी वर्चुअल करेंसी यानी आभासी मुद्रा होगी जो हर तरह के जोखिम से मुक्त होगी और लोग पूरे भरोसे के साथ इसका इस्तेमाल कर सकेंगे.

  • यह अपने ऑनलाइन फीचर के कारण उन क्षेत्रों में भी काम करेगी जहां बिजली और मोबाइल नेटवर्क नहीं है.

डिजिटल मुद्रा के लाभ

  • डिजिटल रुपी के एक नहीं बल्कि अनेक लाभ हैं. वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने पिछले वर्ष लोकसभा में सीबीडीसी के अनेक लाभ बताये थे. चौधरी के अनुसार

  • डिजिटल रुपी से न केवल नकदी पर निर्भरता कम होगी, बल्कि सीबीडीसी कहीं अधिक मजबूत, कुशल, विश्वसनीय, विनियमित और वैध भुगतान का विकल्प तैयार करेगी.

  • देशभर में इस मुद्रा के लागू हो जाने के बाद सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि लोगों को अपने पास नकदी रखने की कम आवश्यकता पड़ेगी या लगभग न के बराबर पड़ेगी.

  • इस करेंसी के आने से सरकार के साथ आम लोग व व्यवसाय के लेन-देन की लागत कम हो जायेगी और सरकार की सभी अधिकृत नेटवर्क के भीतर होने वाले लेन-देन तक पहुंच हो जायेगी. इस प्रकार देश में आने वाले और बाहर भेजे जाने वाले धन पर ज्यादा नियंत्रण होगा.

  • इसके साथ ही, नकली करेंसी की समस्या से भी छुटकारा मिलेगा.

  • डिजिटल करेंसी जारी होने के बाद हमेशा बनी रहेगी और यह कभी खराब नहीं होगी. इसे लोग मोबाइल वॉलेट में रख सकेंगे. इतना ही नहीं इसे बैंक मनी और नकदी में आसानी से बदलवा भी सकेंगे.

कितना सुरक्षित है डिजिटल रुपी

पारंपरिक डिजिटल लेन-देन की तुलना में सीबीडीसी अधिक सुरक्षित है, क्योंकि यह ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित है और इसमें सेंध लगाना बहुत मुश्किल है. ब्लॉकचेन तकनीक में तेज गति से भुगतान होता है. सीबीडीसी के उपयोग से कैशलेस भुगतान को बढ़ावा मिलेगा और बैंकिंग परिदृश्य में सकारात्मक बदलाव आयेगा. आरबीआई का भी मानना है कि डिजिटल रुपया प्रणाली भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था को और अधिक मजबूती देगी तथा मौद्रिक एवं भुगतान प्रणाली को कहीं अधिक कुशल बनायेगी.

आसान है ई-रुपी का उपयोग

डिजिटल करेंसी का उपयोग किसी भी तरह के पेमेंट के लिए किया जा सकता है. यह करेंसी इलेक्ट्रॉनिक रूप में दिखेगी, जिसे करेंसी नोट से बदला जा सकता है. जिस प्रकार हम ऑनलाइन अपना बैंक अकाउंट बैलेंस या मोबाइल वॉलेट चेक करते हैं, उसी तरह हम ई-रुपी भी चेक कर सकेंगे और उसका उपयोग कर सकेंगे.

पहले दिन दो सौ करोड़ से अधिक का कारोबार

इसी एक तारीख को आरबीआई द्वारा डिजिटल करेंसी के पायलट प्रोजेक्ट के जरिये इसके परीक्षण की शुरुआत हुई, जो सफल रही. पहले ही दिन परीक्षण के दौरान 48 लेन-देन हुए और इसकी कुल राशि 275 करोड़ रुपये रही. ई-रुपी के पहले पायलट परीक्षण में आईसीआईसीआई बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, कोटक महिंद्रा बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा सरकारी प्रतिभूतियों के लेन-देन में शामिल हुए. सूत्रों की मानें, तो आईसीआईसीआई बैंक ने सीबीडीसी का उपयोग करते हुए आईडीएफसी फर्स्ट बैंक को जीएस 2027 प्रतिभूतियां बेचीं.

11 देश लॉन्च कर चुके हैं डिजिटल करेंसी

अटलांटिस काउंसिल की मानें, तो अब तक दुनिया के 11 देश सीबीडीसी लॉन्च कर चुके हैं. इनमें बहामास, नाइजीरिया और जमैका के साथ पूर्वी कैरेबियाई क्षेत्र के आठ देश शामिल हैं. भारत भी पायलट प्रोजेक्ट के जरिये डिजिटल करेंसी की दिशा में आगे बढ़ रहा है.

  • वेस्टइंडीज के देश बहामास ने अक्तूबर, 2020 में सबसे पहले अपनी राष्ट्रीय केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा लॉन्च की और इसे सैंड डॉलर नाम दिया. इसे रिटेल सेगमेंट के लिए लॉन्च किया गया. बहामास की डिजिटल करेंसी के एक वर्ष बाद अक्तूबर, 2021 में सब-सहारा के अफ्रीकी देश नाइजीरिया ने भी डिजिटल सेगमेंट के लिए अपनी डिजिटल करेंसी ई-नायरा लॉन्च कर दी. इसी वर्ष जमैका ने भी रिटेल सेगमेंट के लिए अपनी डिजिटल करेंसी, जैम-डेक्स लॉन्च की है.

  • स्वीडन, यूक्रेन, कजाखस्तान, रूस, चीन, दक्षिण कोरिया, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, हांगकांग, थाईलैंड, मलेशिया, सिंगापुर, घाना, दक्षिण अफ्रीका आदि देश भी अपना पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च कर चुके हैं, अटलांटिक काउंसिल की एक रिपोर्ट के अनुसार.

  • अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, जापान, भूटान, कनाडा समेत अनेक देश केंद्रीय बैंक समर्थित डिजिटल मुद्रा के विकास या अनुसंधान के चरण में हैं.

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