नयी दिल्ली : सार्वजनिक क्षेत्र की आरईसी की इकाई आरईसी पावर डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड (आरईसीपीडीसीएल) ने गुरुवार को कहा कि उसने जम्मू-कश्मीर में स्मार्ट मीटर परियोजना से चीनी कंपनी को हटा दिया है. सरकार के ‘पूर्व संदर्भ देशों’ से उपकरणों के आयात को लेकर जारी आदेश के तुरंत बाद यह कदम उठाया गया है. आरईसी पावर डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड ने पिछले साल सितंबर में जम्मू-कश्मीर में 1.155 लाख स्मार्ट मीटर लगाने की परियोजना का काम टेक्नो इलेक्ट्रिक एंड इंजीनियरंग कंपनी लिमिटेड को दिया था.
एक बयान में आरईसीपीडीसीएल ने कहा कि परियोजना का आवंटन भारतीय कंपनी टेक्नो इलेक्ट्रिक एंड इंजीनियरंग कंपनी लिमिटेड को दिया गया था. कंपनी ने परियोजना के विभिन्न कल-पुर्जों के लिए उप-ठेकेदारों की सेवा ली. बिजली मंत्रालय के पूर्व संदर्भित देशों या जिनके साथ भारत की सीमा लगती है, से किसी भी उपकरण के आयात से पहले मंजूरी की अनिवार्यता के आदेश के बाद कंपनी ने सभी नये/मौजूदा अनुबंधों की समीक्षा की. मंत्रालय ने मालवेर/ट्रोजन के जरिये साइबर हमले से बचने के लिए ये आदेश दिये.
बयान के अनुसार, ‘यह आदेश जारी होने के बाद सभी नयी या मौजूदा अनुबंधों की समीक्षा की जा रही है और समीक्षा के तहत जम्मू-कश्मीर परियोजना के एक उप-ठेकेदार को चीनी कंपनी का अनुषंगी पाया गया. हालांकि, कंपनी भारत में पंजीकृत है और उसके विनिर्माण संयंत्र भी है. इसमें कहा गया है कि यह उप-ठेकेदार को परियोजना से हटाने का निर्देश दिया गया है. इसका कारण उप-ठेकेदार को बनाये रखने के लिए पहले से मंजूरी लेनी होगी और आपूर्ति किये गये हर उपकरण की जांच की जरूरत होगी. इससे परियोजना के क्रियान्वयन में अनावश्यक विलम्ब होगा.
मुख्य ठेकेदार ने आरईसीपीडीसीएल को सूचित किया है कि उसने उप-ठेकेदार को हटा दिया है. कांग्रेस के आरोप के बाद यह बयान जारी किया गया है. पार्टी ने आरोप लगाते हुए कहा था कि सरकार का दावा है कि चीनी कंपनियों को भारत में काम करने से प्रतिबंधित किया जा रहा है, लेकिन जम्मू-कश्मीर में मीटर लगाने की परियोजना परोक्ष रूप से चीनी कंपनी को दी गयी है और इस कंपनी ने पाकिस्तान में भी काम किया है.
हालांकि, कंपनी ने ठेकेदार का नाम नहीं बताया, लेकिन कांग्रेस के अनुसार वह डोंगफांग इलेक्ट्रिक इंडिया है. यह चीनी बिजली उपकरण बनाने वाली कंपनी की भारतीय इकाई है. आरईसीपीडीसीएन ने कहा कि परियोजना के ठेके को एक साल पहले अंतिम रूप दिया गया था और इसीलिए इसे उसके बाद की घटनाओं से जोड़ना उचित नहीं है. कंपनी देश के कानूनों को अक्षरश: पालन करने के लिए प्रतिबद्ध है.
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Posted By : Vishwat Sen
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