World Bank: पूरी दुनिया की इकोनॉमी इस वक्त दबाव में है. हालांकि, इस बीच अगले दो सालों तक भारत का दबदबा पूरी दुनिया में कायम रहेगा. वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, ग्लोबल इकोनॉमिक ग्रोथ (Global Economic Growth) के हिसाब से साल 2020 से 25 के बीच के 5 साल बीते 3 दशक का सबसे बुरा अर्धदशक साबित होने जा रहा है. दूसरी तरफ, भारत की सरकार के द्वारा उठाये गए अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए कदमों के कारण आगले दो सालों तक इसकी ग्रोथ 6 प्रतिशत से ज्यादा बनी रहेगी और ये दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ता हुआ अर्थव्यवस्था होगा. वर्ल्ड बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की वृद्धि की रफ्तार 2024 में लगातार तीसरे वर्ष धीमी रहेगी. इसका कारण उच्च ब्याज दर, महंगाई अधिक रहना, व्यापार में नरमी के साथ चीन में सुस्ती है. इसमें कहा गया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर इस वर्ष केवल 2.4 प्रतिशत रहेगी. यह 2023 में 2.6 प्रतिशत, 2022 में 3.0 प्रतिशत और 2021 में 6.2 प्रतिशत की तीव्र वृद्धि से कम है. वर्ष 2021 में मजबूत वृद्धि का कारण 2020 की महामारी के बाद तीव्र आर्थिक पुनरुद्धार था.
युद्ध से कमजोरी का अनुमान
इजराइल के हमास के साथ युद्ध और यूक्रेन में लड़ाई से उत्पन्न वैश्विक तनाव से इस कमजोर वृद्धि अनुमान को भी जोखिम है. विश्व बैंक के अधिकारियों ने इस बात पर चिंता जतायी कि कर्ज में डूबे गरीब देश जलवायु परिवर्तन और गरीबी से निपटने के लिये जरूरी निवेश करने में सक्षम नहीं होंगे. विश्व बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री इंदरमीत गिल ने बयान में कहा, ‘‘निकट भविष्य में वृद्धि कमजोर रहेगी. इससे कई विकासशील देश खासकर गरीब मुल्क जाल में फंसेगे. कर्ज का स्तर चरमरा जाएगा और हर तीन में से एक व्यक्ति के लिए भोजन तक पहुंच कठिन होगा. रिपोर्ट में कहा गया है कि हाल के वर्षों में अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था ने एक के बाद एक झटके के सामने आश्चर्यजनक रूप से मजबूती दिखायी है. महामारी, यूक्रेन पर रूस का आक्रमण, वैश्विक मुद्रास्फीति का लंबे समय तक बने रहना और मूल्य वृद्धि को नियंत्रण में लाने के लिए केंद्रीय बैंकों द्वारा नीतिगत दर में बढ़ोतरी से वृद्धि पर असर पड़ा है. लेकिन इन सबके बावजूद वैश्विक अर्थव्यवस्था 2023 में जून में की गई भविष्यवाणी की तुलना में आधा प्रतिशत अधिक तेजी से बढ़ी है. साथ ही वैश्विक मंदी का जो खतरा था, वह कम हुआ है.
अमेरिका का वृद्धि दर 2.5 प्रतिशत
विश्व बैंक के अनुसार, अमेरिकी की वृद्धि दर 2023 में 2.5 प्रतिशत रही. यह बहुपक्षीय संस्थान के पिछले साल के मध्य में जताये गये अनुमान से 1.4 प्रतिशत अधिक है. रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिकी की वृद्धि दर इस साल घटकर 1.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है. इसका कारण यह है कि उच्च ब्याज दर से कर्ज और खर्च कम हुआ है. अमेरिका के केंद्रीय बैंक ने महंगाई को काबू में लाने को लेकर मार्च, 2022 से नीतिगत दर (प्रमुख ब्याज दर) में 11 बार वृद्धि की है. अमेरिका के बाद दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन की वृद्धि दर इस साल 4.5 प्रतिशत और 2025 में 4.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है. यह पिछले साल के 5.2 प्रतिशत के अनुमान से कम है. चीन की अर्थव्यवस्था दशकों से वैश्विक विकास का प्रमुख इंजन रही है. लेकिन हाल के वर्षों में स्थिति कुछ बिगड़ी है. इसका संपत्ति बाजार ढहने से अर्थव्यवस्था पर असर पड़ा. साथ ही बेरोजगारी बढ़ने से उपभोक्ताओं की धारणा कमजोर हुई है. वहां की आबादी बुजुर्ग हो रही है, जिससे इसकी विकास क्षमता कम हो रही है.
चीन की धीमी रफ्तार का कई देशों में प्रभाव
चीन में धीमी वृद्धि से कोयला उत्पादक दक्षिण अफ्रीका और तांबा निर्यातक चिली जैसे विकासशील देशों को नुकसान होने की आशंका है. ये देश चीनी बाजार को वस्तुओं की आपूर्ति करते हैं. विश्व बैंक के अनुसार, यूरो मुद्रा साझा करने वाले 20 यूरोपीय देशों की वृद्धि दर इस साल इस साल 0.7 प्रतिशत रहेगी. यह पिछले साल 0.4 प्रतिशत की वृद्धि की तुलना में थोड़ा अधिक है. वहीं जापान की आर्थिक वृद्धि दर केवल 0.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है. यह 2023 के मुकाबले आधी है.
(भाषा इनपुट के साथ)