बड़े बाजार में आर्थिक सुस्ती से भारत का हीरे-जवाहरात का घट सकता है निर्यात, वाणिज्य मंत्रालय कर रहा ये तैयारी
India Export: भारत में बने सोने-चांदी सोने-चांदी समेत अन्य धातुओं और हीरे-जवाहरात का क्रेज अमेरिका और चीन के बाजार में भी है. मगर, इन दो बाजारों में आर्थिक सुस्ती का असर वित्त वर्ष 2023-24 में भारतीय बाजार पर भी पड़ने की संभावना है.
India Export: एक तरफ वैश्विक बाजार में बढ़ती अनिश्चितता व्यापारियों के लिए बड़ी चिंता का वजह बनती जा रही है. इस बीच अब बताया जा रहा है कि भारत में बने सोने-चांदी सोने-चांदी समेत अन्य धातुओं और हीरे-जवाहरात का क्रेज अमेरिका और चीन के बाजार में भी है. मगर, इन दो बाजारों में आर्थिक सुस्ती का असर वित्त वर्ष 2023-24 में भारतीय बाजार पर भी पड़ने की संभावना है. रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद यानी जीजेईपीसी (GJEPC) के अनुमान के मुताबिक वर्ष 2023-2024 में हीरे-जवाहरात के निर्यात में 10 से 15 फीसदी तक कमी आ सकती है. जबकि, वर्ष 2022-23 में हीरे-जवाहरात के निर्यात में 2.48 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई थी और यह 3,00,462.52 करोड़ तक पहुंच गया था. बता दें कि GJEPC ने 2017 में मिस वर्ल्ड चुनी गयी मानुषी छिल्लर को अपना ब्रांड एंबेसेडर बनाया है. इसके बाद से वो भारतीय गहनों को पूरी दुनिया में प्रोमोट कर रही हैं.
निर्यात का दायरा तय करेगी वाणिज्य मंत्रालय
वैश्विक आर्थिक परिदृश्य की बढ़ती अनिश्चितताओं के बीच वाणिज्य मंत्रालय चालू वित्त वर्ष के लिए निर्यात का कोई एक लक्ष्य तय करने के बजाय एक दायरा तय करने के बारे में विचार कर रहा है. एक अधिकारी ने यह जानकारी देते हुए कहा कि निर्यात लक्ष्य का एक दायरा तय करने के लिए इस समय 200 देशों और 31 जिस समूहों को लेकर एक विस्तृत अध्ययन किया जा रहा है. निर्यात लक्ष्य का दायरा कई मानदंडों पर निर्भर करेगा. वर्ष 2030 तक वस्तुओं का निर्यात एक लाख करोड़ डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य, सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के अनुपात में आयातक देशों का आयात आंकड़ा और देश के जीडीपी एवं निर्यात अनुपात जैसे मानदंडों से पिछले एवं संभावित रुझानों को परखा जाएगा.
‘किस हालत में कहां तक हो सकता है व्यापार’
वाणिज्य विभाग के अधिकारी ने बताया कि हम निर्यात लक्ष्य के तौर पर कोई एक आंकड़ा नहीं तय कर रहे हैं। असल में हमारी टीम निर्यात लक्ष्य का एक दायरा तय करने की बात कर रही है. बेहतरीन हालात में निर्यात इस स्तर तक जा सकता है और बदतर हालात में यह इतना रह सकता है. उन्होंने कहा कि हर महीने निर्यात की निगरानी करने के इरादे से एक तय संख्या की जरूरत होगी और इसके लिए निर्धारित दायरे के मध्यमान या औसत को स्वीकार किया जा सकता है. हालांकि, मंत्रालय अभी निर्यात का दायरा नहीं घोषित करने जा रहा है. इसके लिए अभी कुछ और वक्त तक इंतजार किया जाएगा.
वित्त वर्ष 2022-23 में 450 अरब डॉलर रहा देश का वस्तु निर्यात
व्यापार विशेषज्ञ ने कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 में देश का वस्तु निर्यात 450 अरब डॉलर रहा था. इस आधार पर वित्त वर्ष 2023-24 के लिए 451 अरब डॉलर से लेकर 495 अरब डॉलर के दायरे में निर्यात का लक्ष्य तय किया जा सकता है. जून के महीने में देश का निर्यात 22 प्रतिशत की बड़ी गिरावट के साथ 32.97 अरब डॉलर पर आ गया. सरकार ने इसके लिए अमेरिका और यूरोप में मांग में कमी आने को जिम्मेदार बताया है. चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में निर्यात कुल 15.13 प्रतिशत गिरकर 102.68 अरब डॉलर रहा है.
हीरे का सबसे बड़ा निर्यातक है भारत
भारत से हर साल होने वाले हीरे-जवाहरात के निर्यात में 55 फीसदी हिस्सा हीरे का होता है. भारत हीरे के बड़े निर्यातक देशों में से एक है. इस साल वाणिज्य मंत्रालय ने GJEPC को हीरे जवाहरात के निर्यात के लिए 42 बिलियन डॉलर का लक्ष्य तय किया था, लेकिन इस साल तय लक्ष्य से आकड़ा बहुत कम होने की उम्मीद है.
व्यापर स्थिर रखने को GJEPC ने उठाये ठोस कदम: अध्यक्ष
GJEPC के अध्यक्ष विपुल शाह ने बताया कि वित्त वर्ष 2023-24 में ज्वैलरी और जेम्स के निर्यात पर असर पड़ता हुआ दिख रहा है. पिछले वर्ष जहां बाजार बेहतर स्थिति में था. वहीं, इस वर्ष हमें 10 से 15 प्रतिशत गिरावट झेलनी पड़ सकती है. गिरावट के बाद बाजार 42 बिलियन डॉलर के आसपास रहने की संभावना है. भारत से सबसे ज्यादा ज्वैलरी और जेम्स का निर्यात अमेरिका और चीन में होता है. ऐसे में आर्थिक सुस्ती और ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी के कारण भारतीय निर्यातकों को परेशानी झेलनी पड़ रही है. विपुल शाह ने कहा कि निर्यात को बढ़ावा देने के लिए जीजेईपीसी कई ठोस कदम उठा रहा है. इसके लिए विभिन्न देशों में रोड शो भी किया जा रहा है. वियतनाम, कंबोडिया, इंडोनेशिया जैसे देशों में विस्तार करने की कोशिश की जा रही है.
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