2024-25 में 7.2% रहेगी भारत की आर्थिक वृद्धि दर, आरबीआई ने बढ़ाया अनुमान
GDP Growth: गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि अब समय आ गया है कि कॉर्पोरेट क्षेत्र निवेश बढ़ाने के लिए व्यापक स्तर पर सामने आए. निजी निवेश के स्पष्ट संकेत दिख रहे हैं. उन्होंने कहा कि जीएसटी और आईबीसी जैसे सुधारों से दीर्घकालिक सकारात्मक परिणाम मिले हैं. भूमि, श्रम तथा कृषि बाजार में सुधार की जरूरत है.
GDP Growth: विश्व बैंक के बाद भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने भी भारत की आर्थिक वृद्धि दर अनुमान में बढ़ोतरी कर दी है. मुंबई में इंडियन बैंक एसोसिएशन (आईबीए) के सालाना बैंकिंग सम्मेलन एफआईबीएसी-2024 में आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान देश की आर्थिक विकास दर अनुमान को बढ़ाकर 7.2% कर दिया है. उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने भी भारत की विकास दर 7% रहने का अनुमान लगाया है. इससे पहले विश्व बैंक ने भी अपने अनुमान में वृद्धि दर को 7% पर कायम रखा है. उन्होंने कहा कि आर्थिक विकास दर के मामले में वैश्विक एजेंसियों के अनुमान के साथ आरबीआई की धारणाएं और अनुमान भी एक-दूसरे से मेल खाते दिखाई दे रहे हैं.
आम चुनाव में सरकारी खर्च घटने से वृद्धि प्रभावित
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि आंकड़ों से पता चलता है कि वृद्धि चालकों के मूल तत्व गति पकड़ रहे हैं और भारत की वृद्धि गाथा बरकरार है. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि देश में आम चुनावों के कारण केंद्र और राज्य सरकारों के खर्च में कमी आई, जिसका असर आर्थिक विकास पर पड़ा है. उन्होंने कहा कि अब आम चुनाव के बाद केंद्र और राज्य सरकारों के खर्च में संबंधित बजट अनुमानों के अनुरूप तेजी आने की संभावना है.
आरबीआई का जीडीपी वृद्धि अनुमान असंगत नहीं
गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 के लिए आरबीआई का 7.2% जीडीपी वृद्धि अनुमान असंगत नहीं लगता, क्योंकि व्यापक आर्थिक परिणाम में संरचनात्मक कारक बड़ी भूमिका निभा रहे हैं. अब समय आ गया है कि कॉर्पोरेट क्षेत्र निवेश बढ़ाने के लिए व्यापक स्तर पर सामने आए. निजी निवेश के स्पष्ट संकेत दिख रहे हैं. उन्होंने कहा कि जीएसटी और आईबीसी जैसे सुधारों से दीर्घकालिक सकारात्मक परिणाम मिले हैं. भूमि, श्रम तथा कृषि बाजार में सुधार की जरूरत है.
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भारत ने गरीबी मिटाने में उल्लेखनीय प्रगति की
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि भारत ने गरीबी मिटाने में उल्लेखनीय प्रगति की है. उन्होंने कहा कि कई एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम इकाई) आकार में छोटे रह जाते हैं और विभिन्न कारणों से उनका विस्तार नहीं हो पाता. बैंकों को एमएसएमई के लिए अनुरूप उत्पाद विकसित करने चाहिए. उन्होंने कहा कि विवेकपूर्ण ऋण सुनिश्चित करने के लिए केवल विनियमित संस्थाओं को यूएलआई मंच पर अनुमति दी जाएगी. यूएलआई कुछ चुनिंदा कंपनियों का ‘क्लब’ नहीं होगा. जोखिम निर्धारण मानकों को कमजोर किए बिना महिलाओं के नेतृत्व वाले व्यवसायों को समर्थन देने के लिए विशेष उत्पाद विकसित करें.
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