GST Council Meet केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में जीएसटी परिषद की महत्वपूर्ण बैठक शुक्रवार को लखनऊ में शुरू हो गई है. जिसमें कोविड-19 की ग्यारह दवाओं पर कर छूट को बढ़ाने पर फैसला लिया जा सकता है. साथ ही नारियल तेल सहित चार दर्जन से अधिक वस्तुओं पर कर दरों की समीक्षा की जाएगी.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में आज शुरू हुई जीएसटी परिषद की 45वीं बैठक में गुजरात को छोड़कर सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के वित्त मंत्री और केंद्र सरकार व राज्यों के वरीय अधिकारी शामिल हुए. कोरोना महामारी के बाद आमने-सामने बैठकर हो रही यह परिषद की पहली बैठक है. इससे पहले इस तरह की आखिरी बैठक 18 दिसंबर 2019 को हुई थी. उसके बाद से परिषद की बैठक वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए ही हो रही थी.
जीएसटी परिषद आज की बैठक के दौरान 1 जुलाई 2022 से राज्यों को देय मुआवजे के तौर-तरीकों पर भी चर्चा होने की बात सामने आ रही है. बैठक में एकल राष्ट्रीय जीएसटी कर के तहत पेट्रोल और डीजल पर कर लगाने और जोमैटो तथा स्विगी जैसे खाद्य डिलीवरी ऐप को रेस्टोरेंट के रूप में मानने और उनके द्वारा की गई डिलीवरी पर पांच प्रतिशत जीएसटी लगाने के प्रस्ताव पर भी विचार किया जा सकता है.
वहीं, कोविड-19 दवाओं के संबंध में परिषद एम्फोटेरिसिन बी, टोसीलिज़ुमैब, रेमडेसिविर और हेपरिन जैसे एंटी-कोआगुलंट्स पर मौजूदा रियायती कर दर संरचना को वर्तमान 30 सितंबर से 31 दिसंबर, 2021 तक बढ़ाने के प्रस्ताव पर विचार करेगी. जून 2021 में एम्फोटेरिसिन बी, टोसीलिजुमैब को शून्य कर दिया गया, जबकि रेमेडिसविर और हेपरिन को घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया. परिषद 31 दिसंबर, 2021 तक जीएसटी को 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करने के प्रस्ताव पर भी चर्चा करेगी. ये दवाएं इटोलिज़ुमैब, पॉसकोनाजोल, इन्फ्लिक्सिमैब, बामलानिविमैब और एटेसेविमैब, कासिरिविमैब और इमदेविमाब, 2-डीऑक्सी-डी- ग्लूकोज और फेविपिराविर है.
सूत्रों के हवाले से मीडिया रिपोर्ट में बताया जा रहा है कि इस बैठक में कोविड-19 से जुड़ी आवश्यक सामग्री पर शुल्क राहत की समयसीमा को भी आगे बढ़ाया जा सकता है. बता दें कि देश में इस समय पेट्रोल-डीजल के दाम रिकॉर्ड ऊंचाई पर हैं. वर्तमान में राज्यों द्वारा पेट्रोल, डीजल की उत्पादन लागत पर वैट नहीं लगता, बल्कि इससे पहले केंद्र द्वारा इनके उत्पादन पर उत्पाद शुल्क लगाया जाता है. फिर राज्य सरकार द्वारा उस पर वैट वसूला जाता हैं.
उल्लेखनीय है कि देश में जीएसटी व्यवस्था 1 जुलाई, 2017 से लागू हुई थी. जीएसटी में केंद्रीय कर मसलन उत्पाद शुल्क और राज्यों के शुल्क मसलन वैट को समाहित किया गया था. हालांकि, पेट्रोल, डीजल, एटीएफ, प्राकृतिक गैस तथा कच्चे तेल को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया. इसकी वजह यह है कि केंद्र और राज्य सरकारों दोनों को इन उत्पादों पर कर से भारी राजस्व मिलता है.
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