नयी दिल्ली: लेह-लद्दाख के गलवान घाटी में चीन के विश्वासघात और अफगानिस्तान में तालिबान सरकार को ड्रैगन की ओर से मान्यता दिये जाने के बाद भारत के सामने कई नयी चुनौतियां पेश आ रही हैं. भारत ने चीन के साथ संबंधों पर नये सिरे से विचार करना शुरू कर दिया है. यही वजह है कि इस मामले में सरकार चीन के खिलाफ सख्त कदम उठाने जा रही है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार भारत का सबसे बड़ा आईपीओ लाने जा रही है. 900 अरब रुपये के इस आइपीओ में चीनी निवेशकों को रोकने की कवायद भी सरकार ने शुरू कर दी है. बताया जा रहा है कि विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) को एलआईसी का 20 फीसदी आईपीओ खरीदने की अनुमति दी जायेगी, लेकिन चीनी निवेशकों को इसके शेयर खरीदने की अनुमति नहीं दी जायेगी. इंटरनेशनल न्यूज एजेंसी रायटर ने यह रिपोर्ट दी है.
पूंजी जुटाने के लिए भारत सरकार की यह सबसे बड़ी कवायद है. भारत सरकार एलआईसी का आईपीओ लाने जा रही है. इसके जरिये 900 अरब रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा गया है. कहा जा रहा है कि सीमा पर चीन के साथ चल रहे विवादों की वजह से वहां के निवेशकों को एलआईसी की हिस्सेदारी खरीदने से रोका जायेगा. सीमा पर तनाव के बीच दोनों देशों के व्यापार सामान्य नहीं हो सकते.
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रायटर ने भारत सरकार के अधिकारी के हवाले से कहा है कि चीनी निवेशकों को यदि भारतीय जीवन बीमा निगम के शेयर खरीदने की अनुमति दी गयी, तो इससे भारत के लिए खतरा उत्पन्न हो सकता है. हालांकि, एलआईसी के शेयर खरीदने से चीनी निवेशकों को रोकने पर अभी अंतिम फैसला नहीं लिया गया है. बताया जा रहा है कि चीन को आईपीओ खरीदने से रोकने के लिए भारत सरकार को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) से जुड़े कानून में संशोधन करना होगा.
भारत का जो वर्तमान कानून है, उसके तहत एलआईसी में कोई विदेशी कंपनी हिस्सेदारी नहीं खरीद सकती. लेकिन, भारत सरकार पहली बार विदेशी निवेशकों को एलआईसी के 20 फीसदी शेयर खरीदने की अनुमति देने जा रही है. चीनी निवेशकों को एलआईसी के शेयर खरीदने से रोकने के लिए सरकार को एफडीआई कानून में संशोधन करना होगा.
Posted By: Mithilesh Jha
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