नयी दिल्ली : निवेशकों के साझा कोष का प्रबंध करने वाली कंपनी कोटक महिंद्रा एसेट मैनेजमेंट के प्रबंध निदेशक (MD) निलेश शाह ने शनिवार को कहा कि कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिए देश भर में लागू किये गये लॉकडाउन से भारतीय कंपनियों को 190 अरब डॉलर यानी करीब 14 लाख करोड़ रुपये के उत्पादन का नुकसान उठाना पड़ा है. उन्होंने कहा कि अब कारोबारियों को दोबारा कामकाज शुरू करने के लिए काफी लागत उठानी होगी. शाह ने उद्योग एवं वाणिज्य संगठन एसोचैम के द्वारा शुक्रवार की शाम आयोजित वेबिनार ‘कोविड-19: भारतीय म्यूचुअल फंड पर प्रभाव और अवसर’ में यह टिप्पणी की. शाह एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) के चेयरमैन भी हैं.
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एसोचैम ने शनिवार को जारी बयान में शाह के हवाले से कहा कि उत्पादन के इस नुकसान की भरपाई में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) और सरकार तथा भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की ओर से राजकोषीय व मौद्रिक समर्थन अथवा प्रोत्साहन की बड़ी भूमिका हो सकती है. शाह ने कार्यक्रम में कहा कि हमारी अर्थव्यवस्था (GDP) सालाना करीब 3,000 अरब डॉलर की है. कारोबार पूरी तरह से बंद हो, तो एक महीने का उत्पादन नुकसान 250 अरब डॉलर होगा. यदि 50 फीसदी कामकाज ही बंद हों, तो एक महीने में यह नुकसान 125 अरब डॉलर का होगा. इस तरह यदि हम मान कर चलें कि 17 मई के बाद कारोबार पूरी तरह खुल जायेगा, तो 47 दिन में उत्पादन का नुकसान 190 अरब डॉलर के आसपास रह सकता है.
उन्होंने कहा कि मौजूदा समय को अब तक के सबसे कठिन दौर में से एक बताया जा रहा है. इस समय अभूतपूर्व संकट के दौरान कच्चे तेल का भाव गिरने और व्यापार घाटा कम होने से हमें थोड़ा लाभ हो रहा है. उन्होंने कहा कि यह भारत के लिए एक बड़ा अवसर है कि देश अपनी साख का फायदा उठा कर प्रत्यक्ष विदेशी पूंजी (FDI) को आकर्षित करे. इससे घरेलू बचत से होने वाले निवेश को बल मिलेगा तथा आर्थिक वृद्धि तेज होगी. उन्होंने कहा कि शेयर और बांड बाजार में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) तथा चीन से कंपनियों को भारत में एफडीआई के लिए आकर्षित करने से लॉकडाउन के कारण हुए नुकसान की भरपाई में मदद मिल सकती है.
एसोचैम की विज्ञप्ति के अनुसार, शाह ने कहा कि कच्चा तेल सस्ता होने से इस साल भारतीय अर्थव्यवस्था को 40-50 अरब डॉलर का लाभ होगा. इसी तरह यदि भारत चीन में बने सामानों की जगह स्थानीय स्तर पर सामानों का विनिर्माण करा पाए, तो इससे 20 अरब डॉलर की बचत हो सकती है. ऐसे में, हमें लॉकडाउन के कारण हुए उत्पादन नुकसान में सिर्फ बचे 130 अरब डॉलर की भरपाई करने की ही जरूरत पड़ेगी. उन्होंने कहा कि इस समय कुछ उद्योगों को अनुदान या सब्सिडी की जरूरत है. इसके लिए राजकोषीय प्रोत्साहन जरूरी है.
एसोचैम के महासचिव दीपक सूद ने इस कार्यक्रम में कहा कि इस समय बाजार में उतार चढ़ाव का दौर है और म्यूचुअल फंड कंपनियों को निवेश के कम खर्चीले रास्तों की जरूरत है. चर्चा में मोतीलाल ओसवाल एसेट मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी आशीष पी सोमैया, डीएसपी इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड के कल्पेन पारेख और रिलायंस सिक्योरिटीज के कार्यकारी निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी लव चतुर्वेदी आदि भी शामिल थे.
गौरतलब है कि कोविड-19 के चलते वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी के दौर में आ गयी है और इसका असर भारत पर भी पड़ा है. वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज ने 2020-21 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर शून्य रहने का अनुमान लगाया है और 2021-22 में तेजी के लौट पाने की उम्मीद जतायी है. राजस्व वसूली में भारी गिरावट के चलते वित्त मंत्रालय ने भी शुक्रवार को जारी बयान में कहा कि 2020-21 में अनुमानित सकल बाजार उधारी 12 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है. बजट अनुमान 2020-21 में इसे 7.80 लाख करोड़ रुपये रखा गया था. कोविड-19 संकट की वजह से बाजार कर्ज के अनुमान में बढ़ोतरी जरूरी हो गयी.
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