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Indian Economy: Moody’s ने भारत की अर्थव्यवस्था पर फिर जताया भरोसा, वृद्धि के अनुमान को बढ़ाकर 8% किया

Indian Economy: आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि तीसरी तिमाही के आधिकारिक जीडीपी आंकड़ों को देखते हुए चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि आठ प्रतिशत के करीब हो सकती है.

Indian Economy: एक तरफ पूरी दुनिया महंगाई और कमजोर पड़ती अर्थव्यवस्था से परेशान है. दूसरी तरफ भारत की अर्थव्यवस्था पर पूरी दुनिया भरोसा जता रही है. वर्ल्ड इकोनॉमी में भारत को मार्केट कैटेलिस्ट के रुप में देखा जा रहा है. इस बीच, देश के लिए एक और अच्छी खबर है. मूडीज रेटिंग्स (Moody’s) ने पूंजीगत व्यय और घरेलू खपत में तेजी को देखते हुए वित्त वर्ष 2023-24 के लिए भारत की जीडीपी (ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट) वृद्धि दर का अनुमान 6.6 प्रतिशत से बढ़ाकर करीब आठ प्रतिशत कर दिया. यह अनुमान आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास के बयान के एक दिन बाद आया है. बयान में उन्होंने कहा था कि तीसरी तिमाही के आधिकारिक जीडीपी आंकड़ों को देखते हुए चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि आठ प्रतिशत के करीब हो सकती है. मूडीज का ताजा अनुमान नवंबर 2023 में जताये गये 6.6 प्रतिशत के अनुमान से 1.40 प्रतिशत अधिक है.

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भारत ने लगाया था 8.4 का अनुमान

बता दें कि इससे पहले राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) ने चालू वित्त वर्ष की दिसंबर तिमाही में 8.4 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया है. इसने पहली और दूसरी तिमाही के लिए जीडीपी अनुमान को भी संशोधित कर क्रमशः 8.2 प्रतिशत और 8.1 प्रतिशत कर दिया है. जबकि पहले इसके 7.8 प्रतिशत और 7.6 प्रतिशत रहने की बात कही गयी थी. मूडीज ने एक रिपोर्ट में कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि भारत जी-20 देशों में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था होगा. इसकी वास्तविक जीडीपी वृद्धि मार्च, 2024 में समाप्त हो रहे वित्त वर्ष में आठ प्रतिशत के आसपास रहेगी जो वित्त वर्ष 2022-23 में सात प्रतिशत थी.

विदेशी कंपनियों के आने से मिलेगा लाभ

रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी पूंजीगत व्यय के साथ मजबूत घरेलू खपत भारत की आर्थिक वृद्धि को गति प्रदान करेगी. इसके साथ ही, चीन के अलावा दूसरी जगह ठिकाना बनाने वाली कंपनियों की रणनीतियों से उत्पन्न वैश्विक व्यापार और निवेश के अवसरों से भारत लाभ उठाने को तैयार है. महंगाई के बारे में इसमें कहा गया है कि हमारा अनुमान है कि भारत की मुद्रास्फीति 2023-24 में कम होकर 5.5 प्रतिशत पर होगी. जबकि 2022-23 में यह 6.7 प्रतिशत थी. आने वाले समय में मुद्रास्फीति में कमी से मौद्रिक नीति के स्तर पर नरमी देखने को मिलेगी.
(भाषा इनपुट के साथ)

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