Indian Economy: S&P Global Rating ने 6 फीसदी रखा भारत का वृद्धि दर, वैश्विक अर्थव्यवस्था पर कहा ये बात
S&P Global Rating on Indian Economy: एसएंडपी ने कहा कि विश्व अर्थव्यवस्था के धीमी होने, सामान्य से कम मानसून के बढ़ते जोखिम और दरों में बढ़ोतरी के लंबित प्रभाव के कारण ही, उसने भारत की अर्थव्यवस्था का ग्रोथ रेट छह प्रतिशत रखा है.
S&P Global Rating on Indian Economy: अमेरिकी रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने एक बार फिर से भारत की अर्थव्यवस्था का ग्रोथ रेट को छह प्रतिशत पर बरकरार रखा है. इसके साथ ही, एजेंसी ने ग्लोबल अर्थ व्यवस्था को लेकर भी कुछ बातें कहीं है. एसएंडपी ने कहा कि विश्व अर्थव्यवस्था के धीमी होने, सामान्य से कम मानसून के बढ़ते जोखिम और दरों में बढ़ोतरी के लंबित प्रभाव के कारण ही, उसने भारत की अर्थव्यवस्था का ग्रोथ रेट छह प्रतिशत रखा है. अपने रेटिंग में एजेंसी ने सब्जियों की कीमत में हालिया बढ़ोतरी को अस्थायी माना लेकिन उच्च वैश्विक तेल कीमतों पर पूर्ण राजकोषीय खुदरा मुद्रास्फीति अनुमान को पहले के पांच प्रतिशत से बढ़ाकर 5.5 प्रतिशत कर दिया. गौरतलब है कि इससे पहले भारत के शीर्ष बैंक आरबीआई ने भी खाद्य में महंगाई को लेकर मौद्रिक नीतिगत दर को बरकरार रखने का समर्थन किया था. इसके साथ ही, बैंक लगातार बाजार की स्थिति पर नजर बनाये हुए हैं.
2022 के मुकाबले कमजोर रहेगी अर्थव्यवस्था
S&P एजेंसी ने ‘इकोनॉमिक आउटलुक फॉर एशिया पैसिफिक क्वार्टर-4 2023’ रिपोर्ट में कहा कि इस साल वृद्धि दर 2022 की तुलना में कमजोर रहेगी, लेकिन हमारा दृष्टिकोण मोटे तौर पर अनुकूल बना हुआ है. जून तिमाही में भारत में मजबूत विस्तार के बावजूद, धीमी विश्व अर्थव्यवस्था, दरों में बढ़ोतरी के लंबित प्रभाव और असामान्य मानसून के बढ़ते जोखिम को देखते हुए हम वित्तीय वर्ष 2024 (मार्च 2024 को समाप्त) के लिए अपना अनुमान बरकरार रखते हैं. मार्च 2023 को समाप्त वित्तीय वर्ष 2022-23 में भारतीय अर्थव्यवस्था 7.2 प्रतिशत बढ़ी थी. एसएंडपी ने चालू वित्त वर्ष के लिए अपने वृद्धि अनुमान को छह प्रतिशत पर बरकरार रखते हुए कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था 2024-25 और 2025-26 वित्तीय वर्षों में 6.9 प्रतिशत बढ़ेगी. एसएंडपी ने कहा कि जून तिमाही में भारत की उपभोग वृद्धि के साथ-साथ पूंजीगत व्यय भी मजबूत रहा. एशिया प्रशांत क्षेत्र में वृद्धि पर एसएंडपी ने कहा कि यह एक मल्टी-स्पीड क्षेत्र बना हुआ है और घरेलू लचीलेपन के बीच 2023 के लिए अपने अनुमान को थोड़ा बढ़ाकर 3.9 प्रतिशत कर दिया.
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पहले अगस्त में जारी किया था रेटिंग
इससे पहले रेटिंग ऐजेंसी ने चार अगस्त को अपनी रिपोर्ट जारी की थी. इसमें एसएंडपी ने संभावना जतायी थी कि भारत अगर अगले सात साल तक औसतन 6.7 प्रतिशत की दर से वृद्धि करता है तो उसकी अर्थव्यवस्था वर्ष 2031 तक 6,700 अरब डॉलर की हो जाएगी जो फिलहाल 3,400 अरब डॉलर की है. वित्त वर्ष 2022-23 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रही थी. एसएंडपी ग्लोबल ने ‘लुक फॉरवर्ड: इंडियाज मनी’ शीर्षक से जारी अपनी रिपोर्ट में ये बातें कही थी. हालांकि, उसने कहा है कि वैश्विक सुस्ती और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के नीतिगत दर में बढ़ोतरी के विलंबित प्रभाव से वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष में धीमी पड़कर छह प्रतिशत रह सकती है. साख तय करने वाली एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स के वैश्विक मुख्य अर्थशास्त्री पॉल ग्रुएनवाल्ड, क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री धर्मकीर्ति जोशी और एसएंडपी ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस के मुख्य अर्थशास्त्री (एशिया-प्रशांत) राजीव बिस्वास ने मिलकर यह रिपोर्ट तैयार किया था. रिपोर्ट में उन्होंने कहा था कि हम उम्मीद कर रहे हैं कि भारत वित्त वर्ष 2023-24 से वित्त वर्ष 2030-31 तक औसतन 6.7 प्रतिशत की दर से वृद्धि करेगा. इससे देश की जीडीपी वित्त वर्ष 2022-23 के 3,400 अरब डॉलर से बढ़कर 6,700 अरब डॉलर हो जाएगी. इस दौरान प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद भी बढ़कर करीब 4,500 डॉलर हो जाएगी.
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अगला एक दशक भारत के लिए चुनौतीपूर्ण
एसएंडपी के पिछले रिपोर्ट में कहा गया कि आने वाले एक दशक में भारत के लिए बड़ी चुनौती पारंपरिक रूप से असंतुलित वृद्धि को उच्च तथा स्थिर प्रवृत्ति में बदलने की होगी. सरकार और निजी क्षेत्र के बुनियादी ढांचे तथा विनिर्माण क्षेत्र में तेजी से निवेश से भारत इस रास्ते पर बढ़ सकता है. क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री धर्मकीर्ति जोशी ने कहा कि वित्त वर्ष 2025-26 में वृद्धि चरम पर होगी. रिपोर्ट के मुताबिक, भारत को माल एवं सेवा कर जैसे सुधारों से लाभ मिलने की संभावना है. इसके अलावा, दिवाला व ऋणशोधन अक्षमता संहिता लागू होने से कर्ज को मामले में भी चीजें बेहतर होंगी.
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