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ऑस्ट्रेलियाई सेना को ड्रोन बनाकर देंगी भारतीय कंपनियां, नेवी से चल रही बातचीत

भारतीय नौसेना ने इन ड्रोन के लिए ऑर्डर भी दिए हैं, जिन्हें कर्मचारियों और कार्गो को ले जाने के लिए नए विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत सहित बड़े आकार के युद्धपोतों पर तैनात करने की योजना है.

नई दिल्ली : भारत में ड्रोन बनाने वाली कंपनियां ऑस्ट्रेलियाई सेना को स्वदेशी ड्रोन बनाकर सप्लाई करेंगी. इसके लिए भारत की ड्रोन निर्माता कंपनी ऑस्ट्रेलिया की नौसेना से बातचीत कर रही है. हालांकि, इस समय ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीस अपने टॉप के अधिकारियों के साथ भारत दौरे पर हैं.

सामान के साथ आदमी भी ले जा सकता है वरुण ड्रोन

मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, भारत की एक कंपनी स्वदेशी ड्रोन की आपूर्ति के लिए ऑस्ट्रेलियाई नौसेना से बातचीत कर रही है, जो कार्गो और कर्मचारियों को ट्रांसपोर्ट कर सकती है. समुद्री बल की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मानव को ले जाने वाले ‘वरुण’ ड्रोन दिखाया गया था. मानव लेने जाने वाले ड्रोन और उत्पादों को विकसित करने के लिए भारतीय नौसेना की ओर से से भी इस ड्रोन निर्माता कंपनी का समर्थन किया गया है.

रॉयल ऑस्ट्रेलियाई नौसेना के साथ बातचीत

समाचार एजेंसी एएनआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, नौसेना के अधिकारियों ने बताया कि भारतीय फर्म अपने स्थानीय साझेदार के माध्यम से रॉयल ऑस्ट्रेलियाई नौसेना के साथ बातचीत कर रही है, ताकि उन्होंने भारत में बनाए गए ड्रोन की आपूर्ति की जा सके. रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय नौसेना बड़े पैमाने पर रक्षा क्षेत्र में मेक इन इंडिया का समर्थन और उसका प्रचार कर रही है तथा अपने उत्पादों को विकसित करने में निजी क्षेत्र का समर्थन किया है.

भारतीय नौसेना ने भी दिए ऑर्डर

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय नौसेना ने इन ड्रोन के लिए ऑर्डर भी दिए हैं, जिन्हें कर्मचारियों और कार्गो को ले जाने के लिए नए विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत सहित बड़े आकार के युद्धपोतों पर तैनात करने की योजना है. रिपोर्ट के अनुसार, वरण ड्रोन जो मानव पेलोड ले जा सकता है, उसकी रेंज करीब 25 किलोमीटर है और वह करीब 130 किलो पेलोड ले जा सकता है. इसके उड़ान भरने का समय 30 मिनट बताया जा रहा है.

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भारतीय नौसेना का समर्थन

ड्रोन निर्माता कंपनी के प्रमुख निकुंज पराशर ने इस बात की पुष्टि की है कि उनकी कंपनी ड्रोन की बिकी के लिए सेना के साथ बातचीत कर रही थी, लेकिन संबंध में विवरण पर चर्चा नहीं की. हालांकि, उन्होंने कहा कि अपने ड्रोन के विकास में भारतीय नौसेना से बड़ा समर्थन मिला है, जिसे अब भारतीय रक्षा सेवाओं में शामिल किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि नौसेना ने उत्पादों के विकास में मदद के लिए अपने खुद के मंच प्रदान किए हैं और उनकी कंपनी स्पॉट्टर नामक एक मल्टी-कॉप्टर विकसित कर सकती है, जो केवल उनकी मदद से निगराने के लिए दो घंटे तक हवा में रह सकती है.

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