Impact of India China Boarder dispute : भारत-चीन सीमा विवाद के बीच देश में चाइना और उसके उत्पादों के खिलाफ चल रहे अभियान के दौरान भारतीय रेलवे (Indian Railways) ने बुधवार को ड्रैगन को दूसरा बड़ा करारा झटका दिया है. सप्लायरों की ओर से ऐतराज जाहिर करने के बाद रेलवे ने चीनी कंपनियों से आयात कराए जाने वाले थर्मल कैमरा खरीद के टेंडर को रद्द कर दिया है. विभिन्न सप्लायरों की ओर से मिले रिएक्शन के रेलवे की ओर से यह कदम उठाया गया है. रेलवे के सामने ऐतराज जाहिर करते हुए सप्लायरों ने कहा कि उपकरण खरीद को लेकर जो चीजें मांगी गयी हैं, उससे चीनी कंपनियों को लाभ होगा.
बता दें कि चीन के वुहान प्रांत से दुनियाभर में फैले कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की जांच के लिए रेलवे का उपक्रम रेल टेल ने पिछले महीने 800 कृत्रिम मेधा (AI) आधारित थर्मल कैमरों के लिए टेंडर जारी किया था. ऐसे कैमरों का इस्तेमाल शरीर का तापमान मापने के साथ इस बात का पता लगाने के लिए भी किया जाता है कि व्यक्ति ने मास्क पहना है या नहीं.
रेलटेल के प्रवक्ता ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि कंपनी ने पैनल में शामिल कारोबारी इकाइयों के लिए रूचि पत्र आमंत्रित किये थे. सूत्रों के अनुसार, हालांकि कई भारतीय सप्लायरों के लेटर मिलने के बाद टेंडर को कैंसिल किया गया है. सप्लायरों के लेटर में इस बात की आशंका जाहिर की गयी थी कि उपकरण की खरीद को लेकर जो चीजें मांगी गयी हैं, उससे चीन की कंपनी हिकविजन को लाभ मिल सकता है.
गौरतलब है कि चाइनीज कंपनी हिकविजन दुनिया की सबसे बड़ी वीडियो निगरानी कंपनी है. कंपनी का फिलहाल भारत के सीसीटीवी बाजार पर दबदबा है. सप्लायरों का कहना था कि कैमरे के लिए टेंडर डॉक्यूमेंट में तकनीक डीप इन माइंड’ का जिक्र किया गया था. यह तकनीकी कंपनी हिकविजन की विशेषता है और उस पर उसका मालिकाना हक है.
समाचार एजेंसी भाषा को मिले एक सप्लायर के लेटर के अनुसार, कैमरे के लिए जो विशेषताएं मांगी गयी हैं, वह हिकविजन और स्पेक्स जैसी चीनी विनिर्माताओं के पक्ष में है. इसमें ‘डीप इन माइंड’ प्रौद्योगिकी का जिक्र है, जिस पर हिकविजन एनवीआर का मालिकाना हक है. इन कैमरों के लिए शुरुआती टेंडर नौ जून को जारी की गयी थी. बाद में संशोधित निविदा जारी की गयी.
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जहां पहली निविदा में ऐसे कैमरे की मांग की गयी है, जो व्यक्ति के तापमान की सटीक माप कर सके और यह बता सके कि व्यक्ति को बुखार है या नहीं. वहीं, संशोधित टेंडर में ‘डीप इन माइंड ‘ प्रौद्योगिकी को शामिल किया गया. हिकविजन डीप लर्निंग प्रौद्योगिकी के आधार पर लोगों का विश्लेषण करने और उनका वर्गीकरण करने में सक्षम है.
Posted By : Vishwat Sen
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