नयी दिल्ली : भारतीय रेल के निजीकरण और नौकरियों को लेकर एक मैसेज तेजी से इस समय वायरल हो रहा है. वायरल मैसेज में दावा किया जा रहा है कि केंद्र सरकार भारतीय रेल का पूरी तरह से निजीकरण कर दे रही है और नौकरियों में भारी कटौती किया जा रहा है.
सोशल मीडिया में किये जा रहे इस वायरल मैसेज की सच्चाई का पता पीआईबी फैक्ट चेक टीम ने किया है. टीम ने जब इस मैसेज की पूरी तरह से पड़ताल की तो पता लगा कि मैसेज पूरी तरह से भ्रमित करने वाला है. वायरल मैसेज में कोई भी सच्चाई नही है.
क्या किया जा रहा है दावा : वायरल मैसेज में दावा किया जा रहा है कि नौकरियों में कटौती के साथ भारतीय रेल का पूरी तरह से निजीकरण किया जा रहा है.
PIB Fact Check में क्या पाया गया : पीआईबी फैक्ट चेक की टीम ने वायरल मैसेज के बारे में बताया कि यह दावा पूरी तरह से गलत है. कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जहां सार्वजनिक-निजी भागीदारी पर काम किया जा रहा है, लेकिन अब भी नियंत्रण भारतीय रेल का ही होगा. साथ ही उस दावे को भी निराधार और गलत बताया, जिसमें बताया जा रहा था कि नौकरियों में भारी कटौती की जा रही है. पीआईबी की टीम ने बताया कि ऐसी कोई भी योजना नहीं है.
Claim: #IndianRailways is being completely privatized along with a cut in jobs. #PIBFactCheck: This claim is #Misleading. There are certain areas where public-private partnership is being worked upon but the control will still vest with @RailMinIndia.
No jobs are being lost. pic.twitter.com/nV5FxFqAcT— PIB Fact Check (@PIBFactCheck) September 6, 2020
गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले भारतीय रेल की ओर से खबर आयी थी जिसमें बताया गया था कि यात्री रेलगाड़ियों की आवाजाही के लिहाज से 109 से अधिक मार्गों पर परिचालन के लिए निजी निवेश के वास्ते पात्रता अनुरोध आमंत्रित किए गए हैं. सवारी रेलगाड़ियों के संचालन में निजी कंपनियों की भागदारी की परियोजना में निजी क्षेत्र की ओर से करीब 30,000 करोड़ रुपये के निवेश की आवश्यकता होगी. रेलवे की ओर से बताया गया था कि यात्री रेल सेवाओं के लिए चुनी गई निजी कंपनियों को वास्तविक खपत के अनुसार निर्धारित ढुलाई शुल्क तथा बिजली शुल्क अदा करना होगा.
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने शनिवार को आरोप लगाया कि ‘न्यूनतम शासन, अधिकतम निजीकरण’ इस सरकार की सोच है. उन्होंने एक खबर साझा करते हुए ट्वीट किया, मोदी सरकार की सोच – न्यूनतम शासन, अधिकतम निजीकरण. कांग्रेस नेता ने दावा किया, कोविड तो बस बहाना है, सरकारी दफ़्तरों को स्थायी ‘स्टाफ़-मुक्त’ बनाना है, युवा का भविष्य चुराना है, ‘मित्रों’ को आगे बढ़ाना है. राहुल गांधी ने जो खबर साझा की है उसके मुताबिक, कोरोना संकट को देखते हुए सरकार ने नयी सरकारी नौकरियों के सृजन पर रोक लगा दी है.
Posted By – Arbind Kumar Mishra
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