Indian Railways News : यात्रा के दौरान ट्रेन की साइड बर्थ पर नहीं होगा कमर दर्द,जानिए रेलवे क्या कर रहा है तैयारी

Indian Railways News : ट्रेन (side) की साइड लोअर बर्थ(lower berth ) पर सफर करनेवालों को अब कमर दर्द (back pain) की शिकायत नहीं रहेगी. रेल प्रशासन इस सीट को आरामदायक बनाने की तैयारी में है. इसके लिए रेलवे ने एक वीडियो शेयर कर बर्थ को आरामदायक बनाने का तरीका बताया है.

By Prabhat Khabar News Desk | December 12, 2020 6:29 AM

ट्रेन की साइड लोअर बर्थ पर (side lower berth of the train) सफर करनेवालों को अब कमर दर्द की शिकायत नहीं रहेगी. रेल प्रशासन (Indian Railway) इस सीट को आरामदायक बनाने की तैयारी में है. इसके लिए रेलवे ने एक वीडियो शेयर कर बर्थ को आरामदायक बनाने का तरीका बताया है. ट्रेन की साइड लोअर बर्थ से जुड़ी हर News in Hindi से अपडेट रहने के लिए बने रहें हमारे साथ.

इसमें दिखाया गया है कि साइड लोअर बर्थ के बीच बने गैप को भरने के लिए रेलवे ने एक गद्देदार पल्ला की व्यवस्था की है. इसे सीट के ऊपर रख देने से लोगों को किसी प्रकार की तकलीफ का सामना नहीं करना पड़ेगा. बता दें कि साइड लोअर बर्थ रिजर्वेशन अगेंस्ट कौसिलेंशन (आरएसी) वाले यात्रियों को आवंटित की जाती हैं.

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इसमें दो यात्रियों के बैठने की व्यवस्था होती है. बीच रास्ते में बर्थ खाली होने पर आरएसी वाले एक यात्री को खाली बर्थ व दूसरे यात्री को साइड लोअर बर्थ आवंटित की जाती है. दोनों बैठने वाली सीट को जोड़ कर एक बर्थ बनायी जाती है. जोड़ने की प्रक्रिया में बर्थ ऊंची नीची रह जाती है, जिससे उस पर सोने वाले यात्रियों की कमर में दर्द हो जाता है. कुछ यात्रियों ने ट्वीट करके भी रेल मंत्री से शिकायत की थी.

एयरपोर्ट की तरह यूडीएफ वसूलेगा रेलवे : जल्द ही देश के बड़े रेलवे स्टेशन से रेल यात्रा महंगी हो सकती है. खबरों के मुताबिक, सरकार इसी महीने बड़े स्टेशन से यात्रा करने पर यूजर डेवेलपमेंट फी यानी (यूडीएफ) को मंजूरी दे सकती है. इसके तहत रेल यात्रियों को टिकट पर 10 से 40 रुपये तक यूजर डेवलपमेंट फीस देनी पड़ सकती है. देश में हवाई अड्डों को डेवलप करने में आने वाले खर्च को यात्रियों से यूजर डेवलपमेंट फीस के तौर पर किराये के साथ वसूला जाता है.

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लिडार से वाराणसी-नयी दिल्ली हाई स्पीड रेल कॉरिडोर का सर्वेक्षण: इधर नेशनल हाई स्पीड रेल कार्पोरेशन लिमिटेड बनारस से नयी दिल्ली तक कॉरिडोर का जमीनी सर्वेक्षण हेलीकॉप्टर पर लगे लाइट डिटेक्शन एंड रेजिंग सर्वे (लिडार) तकनीक से किया जायेगा. इस तरह का पहला सर्वेक्षण मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल कॉरिडोर में किया गया था.

Posted By : Amitabh Kumar

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