Indian Railways News: भारतीय रेलवे के मुनाफे के दावों का पोल नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक यानी कैग (CAG) की रिपोर्ट ने खोलकर रख दिया है. रेलवे ने बैलेंस शीट में 2019-20 में 1 हजार 589 करोड़ रुपए का नेट सरप्लस दिखाया था, जबकि कैग की रिपोर्ट में वित्तीय वर्ष 2019-20 में 26 हजार 328 करोड़ रुपए के घाटे की बात सामने आ रही है. रेलवे के इतिहास में पहली बार इतना अधिक घाटा हुआ है.
बता दें कि कैग ने संसद में मंगलवार को रेलवे वित्त प्रतिवेदन पेश किया है. इस प्रतिवेदन के तीन अध्यायों में किए गए रेलवे के दावे झूठे साबित हुए हैं. पहले अध्याय में रेलवे ने दावा किया था कि 2019-20 में विभाग के पास 1589.42 करोड़ रुपए के नेट सरप्लस का मुनाफा हुआ था लेकिन कैग की रिपोर्ट के अनुसार इस वित्तीय वर्ष में रेलवे को 26,326.39 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है. वहीं, रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि 2019-20 में रेलवे का परिचालन अनुपात 114.35 फीसदी रहा था. इसका मतलब यह है कि 100 रूपए कमाने के लिए रेलवे ने 114 रुपए के करीब खर्च किए थे. जबकि रेलवे की बैलेस सीट में इस वित्तीय वर्ष में परिचालन अनुपात 98.36 फीसदी होने का दावा किया गया था.
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कैग की रिपोर्ट में यह साफ कहा गया है कि रेलवे का परिचालन अनुपात 2018-19 में 97.29 फीसदी था जो 2019-20 में बढ़कर 98.36 फीसदी हो गया. लेकिन अगर पेंशन भुगतान पर वास्तविक खर्च को ध्यान में रखा जाए तो रेलवे का परिचालन अनुपात 2019-20 में 98.36 फीसदी के बजाय 114.35 फीसदी होता है. कैग ने रेलवे के दावों को नकारते हुए कहा कि इस तरह रेलवे की तरफ से दर्शाया गया 98.36 फीसदी परिचालन अनुपात उसके वास्तविक परिचालन अनुपात को नहीं दिखाता है.
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