नई दिल्ली : अगर आप सालों बाद ट्रेनों में सफर करने जा रहे हैं और रेलवे स्टेशनों के प्लेटफॉर्म पर ट्रेनों का रंग-रूप और डिजाइन बदला हुआ दिखाई दे, तो चौंकिएगा मत. क्योंकि, भारतीय रेलवे वंदे भारत की तर्ज पर भारत में पटरियों पर दौड़ने वाली तमाम ट्रेनों में ऑटोमेटिक दरवाजे और दो इंजन लगाकर सेमीहाइस्पीड बनाने के साथ ही उसे स्टैंडर्ड बनाने की योजना बना रही है. अंग्रेजी के अखबार द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र सरकार के साथ ही भारतीय रेलवे वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन की तरह ही देश में परिचालित होने वाली अन्य ट्रेनों में में भी अगले कुछ सालों में बदलाव करने की योजना बना रहा है. रिपोर्ट में बताया गया है कि भारतीय रेलवे ट्रेनों को स्टैंडर्डाइज करने की दिशा में काम कर रहा है.
ट्रेनों में रेलवे करेगा जरूरी बदलाव
मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय रेलवे की ओर से ट्रेनों को स्टैंडर्डाइज बनाने के लिए जो जरूरी बदलाव किए जाएंगे, उसके तहत सभी ट्रेनों में ऑटोमेटिक दरवाजे, ट्रेनों में सफर करने वाली सवारियों को अचानक लगने वाले झटकों से निजात दिलाने के लिए एंटी जर्क कप्लर्स और ट्रेन की बोगियों को खींचने के लिए दो इंजन लगाए जाएंगे, ताकि ट्रेनों में जरूरी बदलाव करके उन्हें सेमीहाइस्पीड ट्रेनसेट के लिए कम लागत वाला विकल्प बनाया जा सके. इसके अलावा, ट्रेनों को रेल पटरियों पर दौड़ाने के लिए पुल-पुश प्रणाली का भी इस्तेमाल किया जाएगा, जिसके तहत ट्रेन में दो इंजन लगाए जाएंगे. एक इंजन आगे की ओर लगा होगा और दूसरा इंजन ट्रेन के पीछे. ट्रेनों के आगे पीछे दो इंजन लगाने का फायदा यह होगा कि ट्रेनों को ट्रेक बदलने में लगने वाले समय की बचत होगी और सवारियों को सफर तय करने के घंटों में कमी आएगी.
मुंबई-दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस में 2019 से लगा है पुल-पुश सिस्टम
भारतीय रेलवे के आधिकारिक सूत्रों की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, वर्ष 2019 से मुंबई-दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस दो इंजन के साथ पुल-पुश प्रणाली के तहत परिचालित की जा रही है. उन्होंने कहा कि रेलवे बोर्ड ने इस प्रणाली को देश की दूसरी एक्सप्रेस, मेल और पैसेंजर ट्रेनों में भी लगाने का फैसला किया है. उनका कहना है कि कम लागत वाली सेमीहाइस्पीड ट्रेन करीब 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ती है.
चितरंजन लोकोमोटिव वर्क्स में चल रहा है काम
रेलवे बोर्ड के सूत्रों ने बताया कि भारतीय रेलवे के ट्रेनों को दो इंजन और ऑटोमेटिक दरवाजे के साथ स्टैंडर्डाइज करने के लिए चितरंजन लोकोमोटिव वर्क्स में काम चल रहा है. उन्होंने कहा कि चितरंजन लोकोमोटिव वर्क्स में ऐसी गति में सक्षम WAP-5 और WAP-7 कैटेगरी के इंजनों में संशोधन पर काम किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि इस साल के अक्टूबर तक दो इंजन और ऑटोमेटिक दरवाजों के साथ सेमीहाइस्पीड वाली ट्रेन का एक रेक आने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि रोलिंक स्टॉक को स्टैंडर्डाइज करने का उद्देश्य भविष्य में ट्रेनों के रखरखाव की लागत को कम करना है.
रूटों की हो गई है पहचान
उन्होंने बताया कि रेलवे ने पहले से ही सिर्फ सामान्य कोच और गैर एसी स्लीपर क्लास वाली नियमित ट्रेनों को चलाने के लिए रूटों की पहचान कर लिया गया है. रेलवे के सूत्रों ने बताया कि रेलवे की ओर से इन ट्रेनों को चलाने के लिए जिन रूटों की पहचान की गई है, उसमें पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़ समेत कई क्षेत्रों को मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु और केरल जैसे बड़े शहरों से जोड़ा जाएगा. उन्होंने बताया कि ये नियमित ट्रेन होंगी और पूरे साल संचालित की जाएंगी. बताया यह भी जा रहा है कि इन ट्रेनों को चलने के बाद भीड़ को नियंत्रित करने के लिए रेलवे की ओर से मौसमी विशेष ट्रेनों को भी अलग से चलाया जाएगा.
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ट्रेन 18 के नाम से जानी जाती थी वंदे भारत ट्रेन
बताते चलें कि वंदे भारत एक्सप्रेस को पहले ट्रेन 18 के नाम से जाना जाता था, जो एक भारतीय सेमीहाई स्पीड ट्रेन और भारत की पहली बिना इंजन की ट्रेन है. यह पूरी तरह से भारत में डिजाइन और निर्मित होने वाली पहली ट्रेन भी है. इसे चेन्नई के सवारी डिब्बा कारखाना (आईसीएफ) की ओर से 18 महीने में केंद्र सरकार के मेक इन इंडिया पहल के तहत डिजाइन और बनाया गया था. पहली रेक की यूनिट को बनाने में करीब 100 करोड़ रुपये की लागत आई थी. रेलवे की ओर से वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन का पहला परीक्षण 29 नवंबर, 2018 को चेन्नई में हुआ था.
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