भारत दुनिया के उन तीन देशों में शामिल हो जायेगा जहां ग्रीन एनर्जी का सबसे ज्यादा इस्तेमाल हो रहा है. भारतीय रेल तकनीक के साथ- साथ ग्रीन फ्यूल पर भी जोर दिया जा रहा है. भारतीय रेल को हाइड्रोजन ईधन पर चलाने की तैयारी तेज हो गयी है. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस संबंध में बड़ा ऐलान किया है. इस कदम को ऐतिहासिक माना जा रहा है क्योंकि इस दिशा में अबतक कोई बड़ा फैसला नहीं लिया गया है. इस ईधन से जीरो कार्बन उत्सर्जन होगा.
इस फैसले के बाद भारत दुनिया भर के उन देशों में शामिल हो जायेगा जहां ग्रीन एनर्जी का उपयोग इस तरह किया जा रहा है. भारत जर्मनी और पोलैंड के बाद भारत विश्व का तीसरा देश होगा. इस दिशा में कदम उठाने के लिए भारत सरकार ने तैयारी तेज कर दी है.
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भारतीय रेल के एक अधिकारी ने बताया कि दो लोकल ट्रेनों (डेमू) में बदलाव कर हाइड्रोजन फ्यूल सेल लगेंगे. इन्हें बाद में नौरो गेज के इंजन हाइड्रोजन फ्यूल सेल सिस्टम में परिवर्तित कर दिया जायेगा.
राष्ट्रीय हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन के तहत हरियाणा में सोनीपत-जींद के 89 किलोमीटर सेक्शन पर इसे चलाने का फैसला लिया गया है. इस संबंध में हाइड्रोजन फ्यूल सेल आधारित प्रोद्यौगिकी फिट करने के लिए निविदाएं आमंत्रित करेन का फैसला कर लिया गया है.
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इस संबंध में बैठक 17 अगस्त को होनी है. निविदा 21 सितंबर से पांच अक्टूबर के बीच दाखिल की जा सकेगी. हाइड्रोजन फ्यूल सेल से परिचालन होने वाली डेमू ट्रेन से हर साल लगभग 2.3 करोड़ रुपये की बचत होगी. इस बचत के साथ ही पर्यावरण को भी बड़ा फायदा होगा 11.12 किलो टन नाइट्रोजन डाई आक्साइड व 0.72 किलो टन कार्बन कणों के उत्सर्जन कम होगा. यह अब तक सर्वाधिक ग्रीन फ्यूल मॉडल है.
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