मुद्रा और दस्तावेजों की जालसाजी होगी मुश्किल, भारतीय वैज्ञानिक ने बनायी विशेष इंक
Security Ink Based on Nano-Materials: ब्रांडेड वस्तुओं, बैंक-नोट, दवाइयों, प्रमाण पत्र, मुद्रा तथा अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेजों की जालसाजी पूरी दुनिया में बहुत आम हैं. यह एक गंभीर मुद्दा भी बन चुका है.
नयी दिल्ली: मुद्रा से लेकर अन्य दस्तावेजों की दुनिया भर में जालसाजी आम है. लेकिन, भारतीय वैज्ञानिक ने एक विशेष प्रकार की स्याही (इंक) बनायी है, जो जालसाजों के मंसूबों को कामयाब नहीं होने देगा. कहा जा रहा है कि नैनो मैटेरियल से विकसित की गयी इस स्याही में जालसाजी से निपटने की अपार संभावनाएं हैं. अब एक आम आदमी आसानी से पता लगा सकता है कि दस्तावेज/उत्पाद असली है या नकली.
भारतीय वैज्ञानिक ने नैनो-सामग्री से बहुत लंबे समय तक बनी रहने वाली एवं गैर-विषाक्त सुरक्षा स्याही विकसित की है, जो ब्रांडेड वस्तुओं, बैंक-नोटों दवाइयों, प्रमाण पत्रों और करेंसी नोटों (मुद्रा) में जालसाजी का मुकाबला करने के लिए अपने अद्वितीय रासायनिक गुणों के कारण अपने आप ही (स्वचालित रूप से) प्रकाश (ल्यूमिनसेंट) उत्सर्जित करती है.
सभी जानते हैं कि ब्रांडेड वस्तुओं, बैंक-नोट, दवाइयों, प्रमाण पत्र, मुद्रा तथा अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेजों की जालसाजी पूरी दुनिया में बहुत आम हैं. यह एक गंभीर मुद्दा भी बन चुका है. जालसाजी का मुकाबला करने के लिए आमतौर पर प्रकाश उत्सर्जित करने वाली (ल्यूमिनसेंट) स्याही का उपयोग गुप्त टैग के रूप में किया जाता है.
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वर्तमान में उपलब्ध अधिकांश सुरक्षा स्याहियां ल्यूमिनसेंट सामग्री पर आधारित हैं, जो एक उच्च ऊर्जा फोटोन को अवशोषित करती हैं. ये कम ऊर्जा फोटोन का उत्सर्जन करती हैं. इस क्रिया को तकनीकी रूप से डाउनशिफ्टिंग कहते हैं, जिसमें गुप्त टैग दिन के उजाले में अदृश्य होता है, लेकिन परा-बैंगनी (अल्ट्रा- वॉयलेट–यूवी) प्रकाश में यह टैग में दिखाई देता है.
Indian scientists develop security ink based on nano-materials, that spontaneously emits light to combat counterfeiting
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— PIB India (@PIB_India) October 26, 2021
हालांकि, एकल उत्सर्जन पर आधारित इन टैग्स की आसानी से प्रतिकृति बनायी जा सकती है. इस खामी को दूर करने के लिए उत्तेजना-निर्भर ल्यूमिनसेंट गुणों (डाउनशिफ्टिंग और अपकॉन्वर्सन) से युक्त प्रकाश छोड़ने (ल्यूमिनसेंट) वाली स्याही के प्रयोग की सलाह दी जाती है. इस उद्देश्य के लिए हाल ही में सूचित एवं सुझायी गयी अधिकांश सामग्री फ्लोराइड पर आधारित हैं, जो कम समय तक टिकने वाले और अत्यधिक विषाक्त हैं.
गैर-विषैले धातु से बनी है स्याही
इस चुनौती से निपटने के लिए भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के तहत एक स्वायत्त संस्थान, नैनो विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान, मोहाली के डॉ सन्यासिनायडु बोड्डू के अनुसंधान समूह ने उत्तेजना पर निर्भर गैर-विषैले धातु फॉस्फेट-आधारित स्याही विकसित की है. इसके प्रकाश छोड़ने (ल्यूमिनसेंट) के गुण व्यावहारिक परिस्थितियों जैसे तापमान, आर्द्रता और प्रकाश आदि जैसी व्यावहारिक परिस्थितियों के अंतर्गत बहुत लंबे समय तक बने रहते हैं. यह काम ‘क्रिस्टल ग्रोथ एंड डिजाइन’ और ‘मैटेरियल्स टुडे कम्युनिकेशंस’ पत्रिकाओं में प्रकाशित हुआ है.
Posted By: Mithilesh Jha
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