Year Ender 2023: भारत में एक तरफ जहां स्टार्टअप कल्चर तेजी से विकसीत हो रहा है. वहीं, साल 2023 देश के स्टार्टअप के लिए मुश्किलों से भरा हुआ रहा है. ज्यादातर स्टार्ट अप पैसे की कमी और कॉर्पोरेट जगत में काम करने के तौर-तरीकों से जुड़ी समस्याओं से प्रभावित हुई हैं. इसके कारण, स्टार्टअप क्षेत्र में उद्यम पूंजी निवेश घटकर केवल आठ अरब अमेरिकी डॉलर के आसपास रह गया. लेऑफ्स डॉट एफवाईआई के आंकड़ों के अनुसार, कई कंपनियों ने अपना खर्च कम करने के लिए छटनी का सहारा लिया. इसलिए, 100 से ज्यादा स्टार्टअप से करीब 15 हजार कर्मचारियों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा. वहीं, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ऑटोमेशन के कारण भी कई कंपनियों को अपने कर्मचारियों की संख्या को कम करना पड़ा. वैश्विक महामारी के दौरान तेजी से बढ़ने वाले शिक्षा व स्वास्थ्य से जुड़े प्रौद्योगिकी मंचों ने इस साल वित्तीय अनिश्चितताओं का सामना किया. कई कंपनियों ने अपना कारोबार बंद कर दिया. बायजूस और फार्मईज़ी जैसी प्रमुख कंपनियों के बाजार मूल्यांकन में 85-90 प्रतिशत तक की गिरावट आई. हालांकि, नए साल में निवेशकों को परिपक्व स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र में मजबूत वृद्धि की उम्मीद है.
2024 में उम्मीद के साथ मिलेगी चुनौती
टिकाऊ बिजनेस मॉडल के साथ-साथ अच्छी पूंजी वाले स्टार्टअप के मौजूदा उथल-पुथल से पार पाने की उम्मीद है. 2024 इनके लिए उम्मीद की किरण के साथ-साथ ‘चुनौतीपूर्ण’ रह सकता है. वेंचर कैपिटल फर्म लाइटस्पीड के अनुसार, दो साल का उच्च या निम्न चक्र वास्तव में उन कंपनियों को प्रभावित नहीं करता जो 8-10 साल की अवधि में खड़ी हुई हैं. वेंचर कैपिटल फर्म लाइटस्पीड ने बायजूस, मैजिकपिन और ओयो जैसी कंपनियों में निवेश किया है. लाइटस्पीड के साझेदार राहुल तनेजा ने कहा कि इस प्रकार हम वर्तमान स्थिति को हमारे पारिस्थितिकी तंत्र की वृद्धि का एक हिस्सा मानते हैं. समेकन होगा, मूल्यांकन में सुधार होगा और यहां तक कि कुछ कंपनियां बंद भी होंगी लेकिन कुल मिलाकर अंत में वृद्धि होगी. डेट फंड स्ट्राइड वेंचर्स की मैनेजिंग पार्टनर अपूर्व शर्मा ने कहा कि सामान्य तौर पर सभी ऋणदाता बेहद सतर्क रहे हैं और प्राथमिक ध्यान संपत्ति की गुणवत्ता सुनिश्चित करने पर रहा है. उन्होंने कहा कि औसत आकार पहले से ही करीब 20 करोड़ रुपये के दायरे में है, जो 2021 में 45-50 करोड़ रुपये के करीब था. यदि आप उद्यम पूंजी निवेश को देखें तो यह 2021 में करीब 35 अरब अमेरिकी डॉलर, 2022 में करीब 25 अरब अमेरिकी डॉलर रहा. यह 2023 में करीब आठ अरब अमेरिकी डॉलर होगा. इसमें हर साल गिरावट आ रही है.
यूनिकॉर्न कंपनियों की संख्या गिरी
एक तरफ भारतीय स्टार्टअप वित्त और काम की कमी से परेशानी झेल रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ, यूनिकॉर्न कंपनियों की संख्या में भी गिरावट आई है. वेंचर कैपिटलिस्ट कंपनी फंडामेंटम पार्टनरशिप के अनुसार, इस साल नवंबर तक यूनिकॉर्न की संख्या 110 से घटकर 72 हो गई. फंडामेंटम पार्टनरशिप के प्रिंसिपल प्रतीक जैन ने कहा कि नवंबर 2023 तक भारत में 72 यूनिकॉर्न कंपनियां थीं, जबकि पिछले साल यह संख्या 110 थी. आईवीकैप वेंचर्स के संस्थापक एवं मैनेजिंग पार्टनर विक्रम गुप्ता ने कहा कि 2021-2023 के बीच करीब 30 यूनिकॉर्न की स्थिति में बदलाव देखा गया. लाइटस्पीड के तनेजा का मानना है कि 2024 दोनों खंडों के लिए रोमांचक और चुनौतीपूर्ण रहेगा.
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.