LPG Price: भारत में दुनिया की सबसे महंगी रसोई गैस! जानिए कितनी ज्यादा देनी होती है कीमत

LPG Price: पूरा देश महंगाई की दोहरी मार झेल रहा है. डीजल पेट्रोल के दाम में आग लगी है, तो रसोई गैस के दाम भी आसमान छू रहे हैं. यानी पूरे देश में महंगाई को लेकर हाहाकार मचा हुआ है. महंगाई का आलम यह है कि देश में दुनिया का सबसे महंगा घरेलू एलपीजी गैस सिलेंडर बिक रहा है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 9, 2022 1:01 PM
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LPG Price: पूरा देश महंगाई की दोहरी मार झेल रहा है. डीजल पेट्रोल के दाम में आग लगी है, तो रसोई गैस के दाम भी आसमान छू रहे हैं. यानी पूरे देश में महंगाई को लेकर हाहाकार मचा हुआ है. महंगाई का आलम यह है कि देश में दुनिया का सबसे महंगा घरेलू एलपीजी गैस सिलेंडर बिक रहा है. घरेलू बाजार में करेंसी की परचेजिंग पावर पैरिटी की बात करें, तो अभी भारत में प्रति लीटर एलपीजी की कीमत दुनिया में सबसे ज्यादा है.

भारतीय करेंसी अर्थात भारतीय रुपयों की पर्चेजिंग पावर की बात करें तो, भारत में प्रति किलो एलपीजी की कीमत सबसे ज्यादा है. भारत में परचेजिंग पावर पैरिटी के हिसाब से बात करें तो एलपीजी 3.5 डॉलर प्रति किलोग्राम के भाव से बिक रहा है. इसे इस तरीके से भी समझा जा सकता है कि दुनिया में अलग-अलग करेंसी की वैल्यू भी अलग अलग होती है. बता दें, करेंसी से घरेलू बाजार में कितना सामान खरीदा जा सकता है उसे करेंसी की क्रय शक्ति कहा जाता है.

आर्थिक जगत में परचेजिंग पॉवर पैरिटी (Purchasing Power Parity) के हिसाब से करेंसी की वैल्यू तय होती है. इससे यह पता चलता है कि एक देश के मुद्रा की क्रय शक्ति दूसरे देश में जाकर कितना सामान या सेवा खरीद सकती है. इस हिसाब से देखें तो भारत में एलपीजी की कीमत दुनिया में सबसे ज्यादा है. जबकि पेट्रोल के मामले में यह तीसरे नंबर पर है. दुनियाभर में सबसे महंगा पेट्रोल जिन देशों में है, उसकी सूची में भारत तीसरे स्थान पर है.

साढ़े 23 फीसदी हिस्सा प्रति लीटर पेट्रोल खरीदने पर होता है खर्च: भारत में डीजल पेट्रोल के दाम में लगातार इजाफा हो रहा है. आलम यह है कि प्रति व्‍यक्ति की रोजाना आय का करीब साढ़े 23 फीसदी हिस्सा एक लीटर पेट्रोल खरीदने पर खर्च हो रहा है. वहीं, इस हिसाब से देखें तो नेपाल के लोग अपनी रोजाना के इनकम का 38.2 फीसदी हिस्से का पेट्रोल खरीद पर खर्च करते हैं. जबकि, पाकिस्तान के लोग 23.8 फीसदी हिस्सा पेट्रोल खरीद पर खर्च करते हैं.

दरअसल, नॉमिनल एक्सचेंज रेट पर सामान के कीमत की तुलना करें तो अलग-अलग देशों में करेंसी की परचेजिंग पावर अलग-अलग होती है. इस हिसाब से विकसित और समृद्ध देशों में आय का मामूली हिस्सा खर्च करना पड़ता है. इसी कारण पश्चिमी देशों में गैस की पर लोगों को अपनी रोजाना की आय का मामूली सा हिस्सा खर्च करना पड़ता है. जबकि, भारतीयों को रोजाना की औसत आय के हिसाब इसके लिए ज्यादा कीमत चुकानी पड़ती है.

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