नई दिल्ली : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को वैश्विक स्तर पर संकट को देखते हुए अगले वित्त वर्ष 2023-24 में आर्थिक वृद्धि दर धीमी पड़कर 6.4 फीसदी रहने का अनुमान जताया है. यह पिछले दिनों संसद में पेश आर्थिक समीक्षा के अनुमान के अनुरूप है. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के पहले अग्रिम अनुमान के अनुसार, 2022-23 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 7 फीसदी रहेगी. आर्थिक समीक्षा 2022-23 में अगले वित्त वर्ष में स्थिर मूल्य पर वृद्धि दर 6.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है.
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने चालू वित्त वर्ष 2022-23 की आखिरी द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा पेश करते हुए कहा कि उतार-चढ़ाव भरे वैश्विक घटनाक्रमों के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था जुझारू बनी हुई है. उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी और तीसरी तिमाही के लिए उपलब्ध आंकड़ों से पता चलता है कि देश में आर्थिक गतिविधियां मजबूत बनी हुई हैं. लोगों का विवेकाधीन खर्च बढ़ने की वजह से शहरी मांग बढ़ रही है. विशेष रूप से सेवाओं मसलन यात्रा, पर्यटन और आतिथ्य पर लोगों का खर्च बढ़ रहा है.
गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि ग्रामीण मांग में भी सुधार के संकेत हैं. दिसंबर माह के ट्रैक्टर और दोपहिया बिक्री आंकड़ों से यह पता चलता है. उन्होंने कहा कि सालाना आधार पर यात्री वाहनों की बिक्री तथा घरेलू हवाई यात्रियों की संख्या बढ़ी है. कई अन्य संकेतक भी गतिविधियों में तेजी की ओर इशारा कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि निवेश गतिविधियां भी बढ़ रही हैं. गैर-खाद्य कर्ज 27 जनवरी, 2023 तक सालाना आधार पर 16.7 फीसदी बढ़ा है. वाणिज्यिक क्षेत्र को संसाधनों का कुल प्रवाह 2022-23 में अब तक बढ़कर 20.8 लाख करोड़ रुपये हो गया है, जो एक साल पहले 12.5 लाख करोड़ रुपये था.
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आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि इन सब बातों को ध्यान में रखकर हमारा अनुमान है कि 2023-24 में स्थिर मूल्य पर आर्थिक वृद्धि दर 6.4 फीसदी रहेगी. पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 7.8 फीसदी, दूसरी तिमाही में 6.2 फीसदी, तीसरी तिमाही में छह फीसदी और चौथी तिमाही में 5.8 फीसदी रहेगी.