आर्थिक मोर्चे पर दोहरा झटका : 18 महीने में पहली बार घटा औद्योगिक उत्पादन, खुदरा महंगाई भी रिकॉर्ड पर
सबसे बड़ी बात है कि उम्मीद के विपरीत महंगाई दर छह फीसदी से अधिक रहने पर अब आरबीआई को अपनी सफाई में केंद्र सरकार को रिपोर्ट देनी होगी. इस रिपोर्ट में आरबीआई को बताना होगा कि वह खुदरा महंगाई को दो से छह फीसदी के दायरे में रखने में क्यों विफल रहा.
नई दिल्ली : आर्थिक मोर्चे पर बुधवार को भारत को दोहरा झटका लगा है. पहला तो यह कि सितंबर महीने में खुदरा महंगाई दर पांच महीने के रिकॉर्ड हाई के साथ करीब 7.4 फीसदी पर पहुंच गई है. दूसरा, पिछले 18 महीने में पहली बार औद्योगिक उत्पादन में गिरावट दर्ज की गई है. बुधवार को जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, खाने-पीने की चीजों के दामों में तेजी आने की वजह से खुदरा महंगाई दर अपने पांच महीने के रिकॉर्ड हाई 7.4 फीसदी पर पहुंच गई, जबकि औद्योगिक उत्पादन पिछले 18 महीने में पहली बार घटा है. बता दें कि खुदरा महंगाई दर लगातार नौवें महीने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के दो से छह फीसदी के संतोषजनक स्तर से ऊपर बनी हुई है.
आरबीआई को सरकार के सामने देनी होगी सफाई
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा महंगाई सितंबर में 7.41 फीसदी पर पहुंच गई. यह अगस्त में सात फीसदी और सितंबर, 2021 में 4.35 फीसदी थी. खाने-पीने की चीजों में महंगाई इस साल के सितंबर महीने में बढ़कर 8.60 फीसदी हो गई, जो अगस्त में 7.62 फीसदी थी. सबसे बड़ी बात है कि उम्मीद के विपरीत महंगाई दर छह फीसदी से अधिक रहने पर अब आरबीआई को अपनी सफाई में केंद्र सरकार को रिपोर्ट देनी होगी. इस रिपोर्ट में आरबीआई को बताना होगा कि वह खुदरा महंगाई को दो से छह फीसदी के दायरे में रखने में क्यों विफल रहा. सरकार ने आरबीआई को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि खुदरा महंगाई दो से छह फीसदी के दायरे में बनी रहे.
महंगाई दर ने बढ़ाई चिंता
मोतीलाल ओसवाल के मुख्य अर्थशास्त्री निखिल गुप्ता ने कहा कि महंगाई दर में मामूली बढ़ोतरी और आईआईपी में गिरावट ने चिंता बढ़ा दी है. हालांकि, अगले महीने के आंकड़ों और अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की नीति से तय होगा कि दिसंबर में आरबीआई ब्याज दरों में 0.35 फीसदी या 0.50 फीसदी में से कितनी बढ़ोतरी करेगा. वहीं, विनिर्माण और खनन जैसे क्षेत्रों में गिरावट के कारण देश का औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) अगस्त में 0.8 फीसदी घटकर 18 महीने के निचले स्तर पर आ गया. एक साल पहले समान महीने में औद्योगिक उत्पादन 13 फीसदी बढ़ा था.
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अगस्त 2021 में 13 फीसदी बढ़ा था औद्योगिक उत्पादन
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की तरफ से जारी औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) के आंकड़ों से यह जानकारी मिली. इससे पहले फरवरी, 2021 में औद्योगिक उत्पादन में 3.2 फीसदी की गिरावट आई थी. अगस्त, 2021 में औद्योगिक उत्पादन 13 फीसदी बढ़ा था, जबकि इस साल जुलाई में इसमें 2.2 फीसदी की वृद्धि हुई थी. सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, विनिर्माण क्षेत्र में इस साल अगस्त में 0.7 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है. पिछले साल इसी महीने में इस क्षेत्र का उत्पादन 11.1 फीसदी बढ़ा था. बिजली क्षेत्र की वृद्धि दर अगस्त, 2022 में 1.4 फीसदी रही. अगस्त, 2021 में इसमें 16 फीसदी की बड़ी वृद्धि हुई थी. खनन क्षेत्र के उत्पादन में अगस्त में 3.9 फीसदी की गिरावट आई, जबकि एक साल पहले के इसी माह में इसमें 23.3 फीसदी की वृद्धि हुई थी. इस तरह चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों यानी अप्रैल-अगस्त में औद्योगिक उत्पादन 7.7 फीसदी बढ़ा है. पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर 29 फीसदी रही थी.
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