नई दिल्ली : भारत की प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि के बावजूद विभिन्न वैश्विक विकास सूचकांक में भारत का प्रदर्शन खराब बना रहा है. प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार समिति (ईएसी-पीएम) के सदस्य संजीव सान्याल के सह-लेखन में छपे एक शोधपत्र में बताया गया है कि ऐसा अंतरराष्ट्रीय संगठनों के अनुमानों में प्रणालीगत पूर्वाग्रहों के चलते हुआ है. शोधपत्र में कहा गया है कि निवेश और व्यापार संबंधी निर्णयों में पर्यावरण, सामाजिक और शासन (ईएसजी) मानदंडों के बढ़ते इस्तेमाल का मतलब होगा कि पक्षपातपूर्ण आंकड़े तेजी से निर्णय लेने की प्रक्रिया को प्रभावित करेंगे.
शोधपत्र में आगे कहा गया है कि इन सभी तीन विकास संकेतकों (बाल कुपोषण, महिला श्रम बल भागीदारी दर और जीवन प्रत्याशा) के हमारे परीक्षण से यह पता चला है कि अंतरराष्ट्रीय संगठनों द्वारा भारत के लिए सामाजिक-विकास सूचकांक के अनुमानों में प्रणालीगत पूर्वाग्रह हैं. शोधपत्र के मुताबिक, यह प्रति व्यक्ति आय बढ़ने के बावजूद विभिन्न सूचकांक के लगातार नीचे रहने की अधिक व्यापक समस्या का एक उदाहरण हैं. शोधपत्र में कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के गलती भरे अनुमान उनकी अपनी वैचारिक अस्पष्टता, दोषपूर्ण मानक और घटिया कार्यप्रणाली के चलते हैं.
बता दें कि वर्ष 2022-23 के विभिन्न वैश्विक विकास सूचकांकों की एक सूची पिछले फरवरी महीने में ही जारी हुआ था. इन सूचकांकों में 2022 के वैश्विक भुखमरी सूचकांक में भारत 107वें स्थान था. हालांकि, इस सूचकांक में बेलारूस पहले पायदान पर था. इसके अलावा, हैनले एंड पार्टनर्स की ओर से जारी हैनले पासपोर्ट सूचकांक-2023 में भारत 85वें स्थान पर था. इस सूचकांक में जपान पहले स्थान पर रहा है.
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वैश्विक भुखमरी सूचकांक-2022 : 107वां स्थान
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हैनले पासपोर्ट सूचकांक-2023 : 85वां स्थान
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ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स-2022 : 40वां स्थान
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ग्लोबल पेंशन इंडेक्स-2021 : 40वां स्थान
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खाद्य सुरक्षा सूचकांक-2022 : 68वां स्थान
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वैश्विक शांति सूचकांक-2021 : 135वां स्थान
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चांडलर गुड गवर्नमेंट इंडेक्स-2021 : 49वां स्थान
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विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक-2022 : 150वां स्थान
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लोकतंत्र सूचकांक-2021 : 46वां स्थान
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भ्रष्टाचार और धारणा सूचकांक-2021 : 85वां स्थान
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संयुक्त राष्ट्र मानव विकास सूचकांक-2021 : 132वां स्थान
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विश्व खुशहाली सूचकांक-2023 : 136वां स्थान
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वैश्विक लैंगिक अंतर सूचकांक-2022 : 135वां स्थान
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आर्थिक स्वतंत्रता सूचकांक-2021 : 121वां स्थान
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वैश्विक जलवायु जोखिम सूचकांक-2021 : सातवां स्थान
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