नयी दिल्ली: महंगाई आठ साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गयी है. गुरुवार को सरकार की ओर से जारी किये गये आंकड़ों में बताया गया है कि खुदरा मुद्रास्फीति (Retail Inflation) अप्रैल में सालाना आधार पर बढ़कर 7.79 प्रतिशत हो गयी, जो आठ साल का सबसे ऊंचा स्तर है.
खाद्य पदार्थों की कीमतों में भारी वृद्धि
खाद्य पदार्थों की कीमतों में भारी बढ़ोतरी के चलते खुदरा मुद्रास्फीति बढ़ी, और यह रिजर्व बैंक के लक्ष्य की ऊपरी सीमा से लगातार चौथे महीने ऊपर रही है. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित महंगाई इस साल मार्च में 6.95 फीसदी और अप्रैल, 2021 में 4.23 प्रतिशत थी.
खाद्य मुद्रास्फीति अप्रैल में 8.38 फीसदी हुई
खाद्य मुद्रास्फीति अप्रैल में बढ़कर 8.38 प्रतिशत हो गयी, जो इससे पिछले महीने में 7.68 प्रतिशत और एक साल पहले इसी महीने में 1.96 प्रतिशत थी. सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि मुद्रास्फीति चार प्रतिशत के स्तर पर रहे, जिसमें ऊपर-नीचे दो प्रतिशत तक घट-बढ़ हो सकती है.
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मुद्रास्फीति का दबाव जारी रहने की संभावना
जनवरी, 2022 से खुदरा मुद्रास्फीति छह प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है. पिछले महीने रिजर्व बैंक की अचानक आयोजित मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के बाद गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि मौजूदा भू-राजनीतिक स्थिति के कारण खाद्य वस्तुओं की कीमतों में हुई भारी बढ़ोतरी का प्रतिकूल प्रभाव घरेलू बाजार में भी दिखाई दे रहा है, और आगे मुद्रास्फीति का दबाव जारी रहने की संभावना है.
यूक्रेन संकट और महंगाई
खुदरा महंगाई बढ़ने की एक वजह यूक्रेन संकट भी है. यूक्रेन संकट शुरू होने से पहले रिजर्व बैंक का अनुमान था कि खुदरा महंगाई मार्च में सर्वोच्च स्तर पर होगी. अप्रैल में इसका असर घटने का अनुमान था, लेकिन हालात इसके उलट हैं. महंगाई घटने का नाम नहीं ले रही. महंगाई में आयी तेजी ने रिजर्व बैंक की परेशानी भी बढ़ा दी है. हो सकता है कि रिजर्व बैंक एक बार फिर रेपो रेट में वृद्धि करे. अगर ऐसा हुआ, तो आम लोगों पर चौतरफा मार पड़ेगी.
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