Inflation Data: भारत में महंगाई के कैलकुसेशन के फॉर्मूला में जल्द ही बड़ा बदलाव होने की संभावना है. हाउसहोल्ड कंजम्पशन एक्सपेंडिचर सर्वे (HCES) से इस बात के संकेत मिल रहे हैं. दरअसल, महंगाई की गणना के लिए एक इंफ्लेशन बास्केट होता है. इस बास्केट में जो प्रोडक्ट डाले जाते हैं, उनकी कीमतों में उतार चढ़ाव के आधार पर महंगाई दर की गणना की जाती है. मगर, इस बास्केट में कई ऐसे प्रोडक्ट है जो अब चलन में नहीं है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ऐसे में इन प्रोडक्ट्स को हटाने की कवायद की जा रही है. इसके साथ ही, अब इसमें ऐसे प्रोडक्ट्स जोड़े जाएंगे जिसपर लोग ठीक-ठाक खर्च कर रहे हैं. समय-समय पर ये बदलाव बास्केट में किया जाता रहा है. उदाहरण के लिए इस बास्केट में वीसीआर, वीसीडी, डीवीडी प्लेयर जैसे कई प्रोडक्ट शामिल हैं. जबकि, लोग पॉडकास्ट और प्ले स्टेशन पर बड़ा पैसा खर्च कर रहे हैं.
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इनके भाव का भी पड़ेगा प्रभाव
हाउसहोल्ड कंजम्पशन एक्सपेंडिचर सर्वे की रिपोर्ट में कई नये प्रोडक्ट्स को जोड़ा गया है. इसमें मोबाइल रिचार्ज, फर्स्ट हैंड या सेकेंड हैंड खरीदारी, रिपेयर और मेंटनेंस, नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम समेत अन्य स्ट्रीमिंग सर्विसेज पर खर्च, ई-बुक, ऑडियो बुक, ऑनलाइन लर्निंग कोर्स पर खर्च आदि शामिल है. नये प्रोडक्ट्स में पावर बैंक, हेयर ड्रायर, हेयर स्ट्रेटनर, हेयर कर्लर, हेयर ट्रिमर, ग्रूमर, एपिलेटर, हेडफोन, ईयरफोन, ईयर पॉड, ब्लूटूथ डिवाइस, स्पीकर और कोविड संक्रमण के बाद से हर घर की जरुरत में शामिल हुए सैनिटाइजर को भी शामिल किया जा रहा है. समझा जा रहा है कि इससे महंगाई का तुलनात्मक तरीक से कैलकुलेशन करने में मदद मिलेगी और सही डाटा भी लोगों के सामने आ सकेगा.
भारत में कैसे होती है महंगाई की गणना
भारत में महंगाई की दर तय करने के लिए एक महत्वपूर्ण तकनीक का उपयोग किया जाता है, जिसे वापसी दर (Return Rate) या महंगाई दर (Inflation Rate) फॉर्मूला कहा जाता है. इस फॉर्मूले से महंगाई की दर को निर्धारित किया जाता है. हालांकि, अगल-अलग देशों में इसके लिए अलग-अलग फॉर्मूले का इस्तेमाल किया जाता है.
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