भारत में लंबे समय तक नहीं मिलने वाली है महंगाई से निजात और न लोन होगा सस्ता, जानें क्या कहता है आरबीआई

आरबीआई ने अपने एक लेख में कहा है कि महंगाई को काबू में लाने के लिए जारी अभियान लंबा चलेगा. मौद्रिक नीतिगत कदमों (रेपो रेट में बढ़ोतरी) का असर आने में लगने वाले समयांतराल को इसका कारण बताया गया है.

By KumarVishwat Sen | October 17, 2022 9:20 PM

मुंबई : भारत के लोगों को लंबे समय तक महंगाई से निजात मिलने फिलहाल दूर-दूर तक कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है और न ही लोन सस्ता होता हुआ नजर आ रहा है. इसका कारण यह है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सोमवार को महंगाई को काबू में लाने के लिए लंबे समय तक अपना अभियान चलाने की बात कही है. महंगाई को काबू में रखने के लिए केंद्रीय बैंक मई महीने से अब तक रेपो रेट में लगातार बढ़ोतरी कर रहा है. इसके पीछे उसका तर्क यह है कि जब कर्ज महंगा होगा, तो बाजार में नकदी का प्रवाह कम होगा. इससे महंगाई को काबू में किया जा सकता है. इसके बावजूद सितंबर में खुदरा महंगाई दर 7.41 फीसदी के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है.

आरबीआई का दावा : देर से दिखेगा रेपो रेट में बढ़ोतरी का असर

आरबीआई ने अपने एक लेख में कहा है कि महंगाई को काबू में लाने के लिए जारी अभियान लंबा चलेगा. मौद्रिक नीतिगत कदमों (रेपो रेट में बढ़ोतरी) का असर आने में लगने वाले समयांतराल को इसका कारण बताया गया है. आरबीआई के डिप्टी गवर्नर माइकल देवव्रत पात्रा की अगुवाई वाली एक टीम ने अर्थव्यवस्था की हालत के बारे में लिखे एक लेख में यह संभावना जताई है.

विदेशी निवेशकों में जोश भरने की उम्मीद बाकी

आरबीआई के लेख के अनुसार, अगर हम सफल होते हैं तो हम नकारात्मक महंगाई से जूझ रही बाकी दुनिया के मुकाबले सबसे तेज बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक के तौर पर भारत की संभावनाएं मजबूत करेंगे. लेख के अनुसार, महंगाई के खिलाफ जारी जंग का सुखद नतीजा विदेशी निवेशकों में नया जोश भरेगा, बाजारों को स्थिरता देगा और टिकाऊ आधार पर वित्तीय स्थायित्व प्रदान करेगा.

सितंबर में खुदरा महंगाई 7.41 फीसदी पर

बता दें कि खुदरा महंगाई सितंबर में बढ़कर 7.41 फीसदी पर पहुंच गई. यह लगातार नौंवां महीना रहा, जब मुद्रास्फीति आरबीआई के छह फीसदी के संतोषजनक स्तर से ऊपर बना हुआ है. ऊंची मुद्रास्फीति पर काबू पाने के लिए आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति ने इस साल अब तक चार बार रेपो रेट में वृद्धि की है. अब रेपो रेट बढ़कर 5.9 फीसदी हो चुकी है. आरबीआई के अक्टूबर बुलेटिन में प्रकाशित इस लेख में कहा गया है कि सकल मुद्रास्फीति के लगातार तीन तिमाहियों से सुविधाजनक दायरे से ऊपर बने होने से निर्दिष्ट उत्तरदायित्व प्रक्रियाओं का पालन करना होगा. वहीं, मौद्रिक नीति मुद्रास्फीति का लक्ष्य के साथ तालमेल बिठाने पर केंद्रित बनी रहेगी.

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महंगाई नहीं थमने पर सरकार को देनी होगी रिपोर्ट

दरअसल महंगाई के लगातार छह फीसदी के संतोषजनक स्तर से ऊपर बने रहने के बाद आरबीआई को इसके बारे में उठाए गए कदमों को लेकर सरकार को रिपोर्ट देनी होगी. आरबीआई के इस बुलेटिन में पर्यावरण मंत्रालय के तहत हरित जीडीपी के लिए एक समर्पित प्रकोष्ठ बनाने का भी सुझाव दिया गया है. यह प्रकोष्ठ पर्यावरणीय ह्रास, प्राकृतिक संसाधनों में कमी और संसाधनों की बचत से जुड़ी गणनाएं कर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में उनका समायोजन करेगा.

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