नयी दिल्ली : ऋणशोधन और दिवाला संहिता (संशोधन) विधेयक-2021 को आज भारी हंगामे के बीच राज्यसभा से भी पारित कर दिया गया. मालूम हो कि बीती 28 जुलाई को यह विधेयक पारित किया गया था. विधेयक के जरिये ऋणशोधन और दिवाला संहिता-2016 के प्रावधानों में संशोधन किया गया है.
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जब कोई व्यक्ति या कंपनी कर्ज चुकाने में अयोग्य या असमर्थ होता है, तो उसे दिवालिया होना माना जाता है. विधेयक में नया संशोधन कर सरकार ने कोरोना काल में सूक्ष्म, लघु और मध्यम आकार की इकाईयों को बड़ी राहत दी है. इसमें एमएसएमई के कर्जदारों को प्री-पैकेज्ड इन्सॉल्वेंसी रिजॉलयूशन प्रोसेस के तहत दिवालिया निबटान प्रक्रिया की सुविधा दी गयी है.
कोरोना महामारी में बंद हुए या प्रभावित हुए सूक्ष्म, लघु और मध्यम स्तर के उद्यमों को विधेयक के लागू होने से राहत मिलने की उम्मीद है. ऋणशोधन और दिवाला संहिता (संशोधन) विधेयक-2021 के तहत एक लाख रुपये तक का ऋण नहीं चुकाने की स्थिति में इसका लाभ लिया जा सकता है. हालांकि, इसकी तय सीमा में बढ़ोतरी कर एक करोड़ रुपये तक किये जाने की उम्मीद है.
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि कोरोना काल में प्रभावित सूक्ष्म, लघु और मध्यम स्तर के उद्यमों को इससे फायदा होगा. राज्यसभा में हंगामे के बीच पारित हुए इस विधेयक का बीजेडी, टीआरएस, अन्नाद्रमुक और वाईएसआर कांग्रेस के सदस्यों ने समर्थन दिया है.
संकटग्रस्त कॉर्पोरेट देनदारों को बकाया ऋण की समस्या से निजात पाने के लिए दो-तिहाई लेनदारों के अनुमोदन के साथ प्री-पैक इन्सॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रोसेस शुरू करने की अनुमति है. यदि परिचालक लेनदारों को पूरी बकाया राशि का भुगतान नहीं करता है, तो प्री-पैक इन्सॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रोसेस संकटग्रस्त कॉर्पोरेट देनदारों के लिए स्विस चैलेंज की अनुमति देता है.
मालूम हो कि स्विस चैलेंज एक प्रक्रिया है, जिसका इस्तेमाल सार्वजनिक परियोजनाओं में किया जाता है. इसमें इच्छुक पार्टी अनुबंध के लिए प्रस्ताव या परियोजना के लिए बोली की प्रक्रिया शुरू करती है. प्री-पैक इन्सॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रोसेस कॉर्पोरेट देनदारों को उधारदाताओं की सहमति से पुनर्गठित करने और कंपनी के दायित्व को पूरा करने में मदद करेगा.
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