RBI के गवर्नर श्री शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में 6 सदस्यों वाली मौद्रिक नीति समिति द्वारा 4 दिसंबर, 2020 को बैठक के बाद छठी द्वि-मासिक MPC के प्रस्ताव की घोषणा की जाएगी. मौजूदा आर्थिक हालात में लगातार हो रहे बदलाव के बीच इस बैठक का आयोजन किया जा रहा है, जब इन्फ्लेशन दर उच्चतम है तथा GDP में सुधार से हमें उम्मीद से ज्यादा तेजी से अर्थव्यवस्था के पटरी पर लौटने का संकेत मिल रहा है.
पिछली कुछ बैठकों में रेपो रेट में 115-बेसिस पॉइंट्स की कटौती की एक के बाद एक घोषणाएं की गई, जिससे अर्थव्यवस्था में ब्याज़ दर में बड़े पैमाने पर गिरावट आई. इसके चलते फिक्स्ड डिपॉजिट, बचत खातों और सरकारी योजनाओं के लिए ब्याज़ दरों में भारी कटौती हुई. एक दशक पहले निवेशकों को दोहरे अंकों में ब्याज़ दर का लाभ मिलता था, लेकिन आज यह बात एक सपने की तरह मालूम होती है. बैंक और NBFCs की ओर से FD ब्याज़ दरें लगातार कम की जा रही हैं, और ब्याज़ दर की वक्र-रेखा (ट्रैजेक्टरी)लगातार नीचे की ओर जाती हुई दिखाई दे रही है.
न्यूनतम FD दरों के समय में हमें कौन सा कदम उठाना है, इस बात को समझने से पहले यह जानना बेहद जरूरी है कि फिक्स्डडिपॉजिट दरों में इस कमी की वजह क्या है.
FD ब्याज़ दरों में कटौती क्यों हो रही है?
अगर हम अपने मौजूदा हालात पर गौर करें, तो हम पाते हैं कि बैंकिंग प्रणाली में नगदी (धन) का जमाव तथा क्रेडिट और डिपाजिट के अनुपात में कमी ही ब्याज़ दरों में इस कटौती का प्राथमिक कारण है. इसके परिणामस्वरूप, बैंकों को ग्राहकों को उधार देने पर कम आमदनी हो रही है और इसी बीच ग्राहकों की ओर से ज्यादा-से-ज्यादा डिपॉजिट के कारण बैंकों के डिपॉजिट का संचय बढ़ गया है.
बाजार की अनिश्चित स्थिति तथा महामारी के दौर में ग्राहकों के आत्मविश्वास में कमी, इस प्रवृत्ति का सबसे बड़ा कारण है. दिए गए लोन पर मिलने वाले ब्याज़ दर में कमी के साथ-साथ नगदी की अधिकता का सीधा मतलब यह है कि बैंकों को अपनी फिक्स्ड डिपॉजिट योजनाओं पर अधिक ब्याज़ दरों का प्रस्ताव देने के लिए अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि बिल्कुल नहीं है.
मौजूदा आर्थिक माहौल के बीच, रिवर्स रेपो रेट बेहद कम यानी 3.35% है, जो दो दशकों में अपने न्यूनतम स्तर पर है. इसकी वजह से, बैंकों को अपने पैसे पर बेहद कम ब्याज़ दर मिल रहा है और उनके पास फिक्स्ड डिपॉजिट योजनाओं पर दिए जाने वाले ब्याज़ दर में कटौती के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है.
क्या आपको निवेश के लिए FD दरों के अधिकतम स्तर तक पहुंचने का इंतज़ार करना चाहिए?
ब्याज़ दर में बदलाव का पहले से अंदाजा लगाना बेहद कठिन है। लेकिन यह बात तो तय है कि आने वाले दिनों में मौजूदा रेपो रेट (3.35%) में और कटौती नहीं की जाएगी. आर्थिक मामलों के विश्लेषक यह बताते हैं कि, ‘सबसे बुरे दौर को हम पीछे छोड़ चुके हैं.’ अगर आप बेहतर रिटर्न देने वाले फिक्स्ड डिपॉज़िट में निवेश करना चाहते हैं, तो कई ऐसी कंपनियां हैं, जो आपको अपने FD पर आकर्षक रिटर्न का प्रस्ताव दे सकती हैं.
उदाहरण के लिए, 6.85% के अधिकतम ब्याज़ दर के साथ बजाज फाइनैंस ऑनलाइन FD एक शानदार विकल्प है. बजाज फाइनैंस फिक्स्ड डिपॉजिट द्वारा 36 महीने की समयावधि में दिए जाने वाले ब्याज़ का विस्तार से विश्लेषण करने के लिए नीचे दी गई तालिका पर एक नज़र डालें.
सभी बैंकों द्वारा अपने ब्याज़ दरों में कटौती की बात को ध्यान में रखते हुए देखा जाए तो, यह ब्याज़ दर सही मायने में सबसे बेहतर है और आपकी उम्मीदों के अनुरूप है. इतना ही नहीं, आपको निवेश की समयावधि के पूरा होने पर रिटर्न मिलने की गारंटी दी जाती है, इसलिए आपको अपने निवेश को लेकर पूरी तरह आश्वस्त होना चाहिए. बजाज फाइनैंस फिक्स्ड डिपॉजिट योजनाओं को अधिकतम सेफ्टी रेटिंग्स दी गई है, जिसमें CRISIL द्वारा FAAA (स्टेबल) रेटिंग और ICRA द्वारा MAAA (स्टेबल) रेटिंग दी गई है. इस तरह की रेटिंग निवेश पर बेहद कम जोखिम के साथ-साथ अधिकतम सुरक्षा को दर्शाती है. निवेश करने से पहले ही आप बजाज फाइनैंस फिक्स्ड डिपॉजिट कैलकुलेटर का उपयोग करके अपनी डिपॉजिट पर मिलने वाले रिटर्न का आकलन कर सकते हैं.
इन बातों पर विचार करने के बाद भी अगर आप इस संकट की घड़ी के खत्म होने तक इंतज़ार करने की सोच रहे हैं, तो आपको जल्द निवेश नहीं करने की वजह से ब्याज़ के होने वाले नुकसान पर भी विचार करना चाहिए. गोल्ड म्यूचुअल फंड्स पर पिछले 3 महीनों में नेगेटिव रिटर्न मिला है और स्टॉक इंडेक्स में लगातार उतार-चढ़ाव जारी है. लिहाजा, मौजूदा आर्थिक माहौल में बाजार से जुड़े साधनों में निवेश करना अच्छा विकल्प नहीं हो सकता है. इसलिए, फिक्स्ड-इनकम यानी निश्चित आय वाले साधनों में निवेश करना सबसे बेहतर उपाय है जिसके जरिए आप अपने पैसों का अच्छी तरह इस्तेमाल कर सकते हैं.
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