निवेशों में नॉमिनी के नाम को रखें अपडेट, जानें कितना है जरूरी ?
एक व्यक्ति अपने जीवन काल में सभी पारिवारिक और सामाजिक जरूरतों को पूरा करते हुए संपत्ति का निर्माण करता है. बैंको में, पोस्ट ऑफिस में, म्यूचुअल फंड्स में और दूसरे वित्तीय संस्थाओ में अलग-अलग तरह से बचत व निवेश करता है.
कोरोना के दौर में ऐसा देखा गया है कि जहां परिवार के मुखिया या निवेश करनेवाले व्यक्ति की मृत्यु हो गयी और नॉमिनेशन न होने के कारण परिजन कोर्ट के चक्कर लगा रहे हैं. इसलिए यह जरूरी है कि समय रहते वर्तमान व भविष्य की परिस्थितियों का आकलन करते हुए अपने सभी निवेशों व खातों में नॉमिनी नियुक्त कर लें. यह अवसर हमेशा खुला रहता है.
एक व्यक्ति अपने जीवन काल में सभी पारिवारिक और सामाजिक जरूरतों को पूरा करते हुए संपत्ति का निर्माण करता है. बैंको में, पोस्ट ऑफिस में, म्यूचुअल फंड्स में और दूसरे वित्तीय संस्थाओ में अलग-अलग तरह से बचत व निवेश करता है. इसी प्रकार सोने में और जमीन जायदाद में भी निवेश करता है. कुछ संपत्ति उसे विरासत में भी मिली होती है. इन सब पर उसका पूर्ण अधिकार होता है. लेकिन जब उसकी मृत्यु हो जाती है तो वे संपत्तियों उसके द्वारा नॉमिनी बनाये गये व्यक्ति को मिल जाती है.
Also Read: 10 हजार करोड़ का निवेश, 2 लाख नौकरियां, झारखंड की औद्योगिक एवं निवेश प्रोत्साहन नीति 2021 हुई लांच
इसमें कोई परेशानी भी नहीं होती. इसलिए यह जरूरी है कि लापरवाही न करते हुए अपने सारे चल अचल संपत्तियों में नॉमिनेशन की प्रक्रिया को पूरा करें. और अगर उसमें कोई बदलाव भी करना चाहते हैं तो बिना समय गंवाए नॉमिनी का नाम बदल सकते हैं. नॉमिनेशन करना अनिवार्य नहीं होता है. नॉमिनेशन एक वैकल्पिक सुविधा है. परंतु लंबी न्यायिक प्रक्रिया एवं खर्चों से बचने के लिए नॉमिनेशन जरूर करना चाहिए.
नॉमिनेशन होने पर निवेशक की मौत की दशा में नॉमिनी को आसानी से पैसा ट्रांसफर हो जाता है. हालांकि, नॉमिनी घोषित न करने पर कानूनी वारिस को तमाम तरह के कागजात पेश करने पड़ते हैं. इनमें वसीयत, उत्तराधिकार का प्रमाणपत्र, अनापत्ति प्रणाणपत्र इत्यादि शामिल हैं.
संपत्तियां जिनमें किया जा सकता है नॉमिनेशन
सामान्यतया सभी चल संपत्तियां, जिसमें बैंक अकाउंट, फिक्स्ड डिपॉजिट, डीमैट अकाउंट, म्यूचुअल फंड, डिबेंचर्स, बॉन्ड, पोस्ट ऑफिस जमा, एनएससी, केवीपी, पीपीएफ, इपीएफ, एनपीएस अकाउंट, सीनियर सिटीजन सेविंग अकाउंट, जीवन बीमा पॉलिसी, पेंशन प्लान, लॉकर्स आदि में नॉमिनेशन किया जा सकता है. अचल संपत्ति की दशा में यदि प्रॉपर्टी किसी को-ऑपरेटिव सोसाइटी में है, तो ही नॉमिनेशन किया जा सकता है.
क्या होता है नॉमिनी
नॉमिनी सिर्फ एक ट्रस्टी अथवा केयरटेकर की तरह होता है. वह मृतक की संपत्ति को एक ट्रस्टी की तरह होल्ड कर सकता है. उस पर अपना अधिकार नहीं लगा सकता है, परन्तु इन सभी के बावजूद कुछ मामलो में नॉमिनी को ही कानूनी मालिक भी माना जाता है. यदि आपका कानूनी वारिस ही आपका नॉमिनी है, तब ऐसी स्थिति में हर समस्या का समाधान हो जाता है.
Also Read: बच्चों के लिए भी जरूरी है आधार कार्ड, बनाने से पहले इन बातों का रखें ध्यान, जानें पूरी प्रक्रिया
किसे बना सकते है नॉमिनी
किसी भी व्यक्ति को नॉमिनी नियुक्त किया जा सकता है. भले ही वह व्यक्ति नाबालिग क्यों न हो, उसे भी नॉमिनी नियुक्त किया जा सकता है. हालांकि, इस स्थिति में म्यूचुअल फंडों पर नियंत्रण अभिभावक के पास तब तक रहता है, जब तक नाबालिग 18 साल का नहीं हो जाता है. आप अपने पुत्र, पुत्री, पति, पत्नी, माता, पिता, भाई, बहन, चाचा, चाची अथवा किसी भी दूसरे संबंधी या फिर अपने किसी मित्र को नॉमिनी बना सकते है. लेकिन किसी भी कंपनी, पार्टनरशिप फर्म, ट्रस्ट, सोसाइटी, एसोसिएशन, एचयूएफ आदि को नॉमिनी नियुक्त नहीं किया जा सकता है.
कितने बनाये जा सकते हैं नॉमिनी
आप एक अथवा एक से अधिक नॉमिनी बना सकते है. इन्हें अलग-अलग अनुपात में संपत्ति का आवंटन किया जा सकता है. मान लेते हैं कि आप किसी नॉमिनी को दूसरों से ज्यादा हिस्सा देना चाहते हैं तो इसमें जिक्र कर सकते हैं. नॉमिनेशन कितनी भी बार बदला या निरस्त किया जा सकता है.
अंतत:, यदि आपने नॉमिनेशन नहीं कर रखा है या परिस्थितियों में बदलाव पर नॉमिनी के नाम में परिवर्तन नहीं किया है, तो उसे प्राथमिकता से कर लेना चाहिए.आप अपने सवाल, अपनी प्रतिक्रिया और अपने सुझाव हमें हमारे इस पते पर भेज सकते हैं
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.