चीन के हस्तक्षेप के बार ईरान-यूएई राजनयिक संबंध फिर से होंगे बहाल, दोबारा खोले जाएंगे दूतावास
चीन, सऊदी अरब और ईरान की ओर से जारी एक त्रिपक्षीय बयान के अनुसार, सऊदी अरब साम्राज्य और ईरान के इस्लामी गणराज्य के बीच अच्छे पड़ोसी संबंधों को विकसित करने के लिए चीन के समर्थन के लिए चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की पहल के साथ तीनों देशों ने घोषणा की है कि सऊदी अरब और ईरान के बीच एक समझौता हुआ है.
रियाद : मध्य-पूर्व एशिया की दो प्रमुख शक्तियां ईरान और सऊदी अरब अमीरात (यूएई) ने एक बार फिर से एक-दूजे के लिए दोस्ती का हाथ आगे बढ़ाने का ऐलान किया है. इन दोनों देशों के अधिकारियों के बीच बीजिंग में हुई वार्ता के बाद राजनयिक संबो को फिर से बहाल करने और दूतावासों को दोबारा खोलने पर सहमति बन गई है. ईरान की समाचार एजेंसी आईआरएनए ने शुक्रवार को बताया कि वार्ता के बाद ईरान और सऊदी अरब दो महीने के अंदर अपने-अपने दूतावासों को दोबारा खोलने पर सहमत हो गए हैं.
चीन, सऊदी अरब और ईरान की ओर से जारी एक त्रिपक्षीय बयान के अनुसार, सऊदी अरब साम्राज्य और ईरान के इस्लामी गणराज्य के बीच अच्छे पड़ोसी संबंधों को विकसित करने के लिए चीन के समर्थन के लिए चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की पहल के साथ तीनों देशों ने घोषणा की है कि सऊदी अरब और ईरान के बीच एक समझौता हुआ है, जिसमें राजनयिक संबंधों को दोबारा शुरू करने का समझौता शामिल है.
सऊदी अरब की ओर से जारी एक सरकारी बयान के अनुसार, उनके बीच उनके दूतावासों ओर मिशनों को दो महीने के अंदर दोबारा खोलने और दो देशों की संप्रभुता के सम्मान की पुष्टि के साथ दोनों राष्ट्रों के आंतरिक मामलों में दखल न देने को लेकर सहमति बनी है. त्रिपक्षीय समझौते के आधार पर चीन सऊदी अरब और ईरान के इस्लामी गणराज्य के बीच वार्ता की मेजबानी करेगा.
मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, चीन की मध्यस्थता में हुई वार्ता में संयुक्त राष्ट्र और इस्लामिक सहयोग संगठन (ओईसी) के सिद्धांत, उद्देश्य, अंतरराष्ट्ररीय सम्मेलन और मानदंडों का पालन करना शामिल है. रिपोर्ट के अनुसार, बीजिंग मे अभी 6 से 10 मार्च के बीच संयुक्त अरब अमीरात और ईरान के प्रतिनिधिमंडलों के बीच चीन की मध्यस्थता में वार्ता कराई गई थी. सऊदी अरब के प्रतिनिधिमंडल में राज्यमंत्री डॉ मुसाद बिन मोहम्मद अल ऐबन, ईरान मंत्रिमंडल एडमिरल अली शामखानी आदि समेत कई लोग शामिल थे.
मीडिया में जारी बयान में कहा गया है कि वे इस बात भी सहमत हुए कि दोनों देशों के विदेश मंत्री इसे लागू करने के लिए आपस में मुलाकात करेंगे और अपने राजदूतों की वापसी की व्यवस्था करने के साथ द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाने के संसाधनों पर चर्चा करेंगे.
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