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IRDAI ने अम्फान पीड़ितों के बीमा दावे के निपटान की खातिर कंपनियों के लिए जारी किये गाइडलाइंस, जानिए…

भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने जीवन बीमा कंपनियों को चक्रवात अम्फान के पीड़ितों के दावों के निपटान के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं.

भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने जीवन बीमा कंपनियों को चक्रवात अम्फान के पीड़ितों के दावों के निपटान के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं. चक्रवात अम्फन से पश्चिम बंगाल और ओडिशा राज्यों के प्रभावित जिलों में जानमाल का भारी नुकसान होने की खबरें हैं. आईआरडीएआई की ओर से बीमा कंपनियों के लिए जारी एक सर्कुलर में कहा गया है कि जीवन बीमा दावों के त्वरित और समयबद्ध निपटान में हर संभव सुविधा का विस्तार करने के लिए आपको सलाह दी जाती है कि आप सभी राज्यों में तुरंत कार्रवाई करें. आइए, जानते हैं बीमा विनियामक ने कंपनियों के लिए किस प्रकार की गाइडलाइन जारी किये हैं…

राज्यों में नोडल अधिकारी के रूप में काम करेंगे बीमा कंपनियों के सीनियर ऑफिशियल्स : आईआरडीएआई ने बीमा कंपनियों के लिए जारी गाइडलाइन में कहा है कि कंपनी की ओर से एक वरिष्ठ अधिकारी को नामांकित किया जाएगा, जो राज्यों में नोडल अधिकारी के रूप में काम करेंगे. कंपनी की ओर से ओड़िशा और पश्चिम बंगाल में नियुक्त नोडल अधिकारी दोनों राज्यों के प्रशासनिक अधिकारी के साथ मिलकर काम करेंगे और वे अम्फान तूफान में जानमाल की क्षति का मूल्यांकन कर मृतकों के बीच अपने-अपने पॉलिसीधारकों की पहचान करेंगे.

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बीमा दावों का रजिस्ट्रेशन होना जरूरी : कंपनियों के लिए जारी गाइडलाइन में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि कंपनियों की ओर से बीमा दावों का त्वरित निपटान की प्रक्रिया शुरू की जाए और जितने भी दावों को निपटाने के लिए रिपोर्ट तैयार किये गये हैं, वे भी दावे पंजीकृत हों. इसके बाद जो दावे निपटान के योग्य हों, उन्हीं का भुगतान किया जाए.

मृतकों की पहचान न होने की स्थिति में चेन्नई की प्रक्रिया का किया जा सकता है प्रयोग : आईआरडीएआई ने अम्फान तूफान में मरने वालों की पहचान न हो सकने की स्थिति में जिन मृतकों का शव अभी तक नहीं मिल सका है और इस कारण उनके परिजनों को डेथ सर्टिफिकेट मिलने में कठिनाई हो रही हो, तो ऐसे दावों के निपटान के लिए वर्ष 2015 में चेन्नई बाढ़ के मामले में जिस प्रक्रिया का पालन किया गया था, उसे अपनाने पर विचार किया जा सकता है.

सरल और आसान प्रक्रिया का अनुपालन किया जाए : बीमा विनियामक ने कंपनियों के लिए निर्देश जारी करते हुए कहा है कि जहां कहीं भी संभव हो, बीमा दावों के निपटान के लिए आसान और सरल प्रक्रिया का इस्तेमाल किया जाए. यदि दावा निपटान में तेजी लाने के लिए सामान्य जरूरतों में छूट देने की भी आवश्यकता महसूस की जा रही हो, तो उस प्रक्रिया का भी इस्तेमाल किया जा सकता है.

अखबार और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में विज्ञापन देकर दावा निपटान के लिए प्रचार करें : आईआरडीआई ने अपनी गाइडलाइन में इस बात का भी जिक्र किया है कि अम्फान प्रभावित इलाकों में प्रभावितों का दावा निपटान के लिए स्थापित किये जाने वाले दफ्तरों और लगाए जाने वाले शिविरों के बारे में जनता के बीच अधिक से अधिक जानकारी पहुंचाने के लिए अखबारों और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में विज्ञापन देकर प्रचार करें. ऐसी प्रचार गतिविधियों का विवरण प्राधिकरण को तुरंत भेजा जा सकता है.

कोविड 19 महामारी को रोकने और सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने के लिए ई-मोड के जरिये करें पत्राचार : आईआरडीएआई की गाइडलाइन में बीमाधारकों के परिजनों को भी इस बात का निर्देश दिया गया है कि वे कोविड 19 महामारी की रोकथाम और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करने के लिए ई-मोड में पत्राचार करें और अपने परिजनों को ई-मेल के जरिये पत्राचार करने के लिए प्रोत्साहित भी करें. इसमें यह जरूरी है कि बीमाधारक या बीमाधारकों के परिजनों की ओर से ई-मोड के जरिये किये जाने वाले पत्राचार में सभी जरूरी दस्तावेज जरूर शामिल किये गये हों, ताकि उनके दावों का त्वरित निपटान किया जा सके.

इन नियमों का पालन करना बेहद जरूरी : यदि कोई पॉलिसीधारक अथवा पॉलिसीधारक के न होने की स्थिति में उसका कोई दावेदार बीमा कंपनियों के कार्यालय में आ रहे हैं, तो वे बीमाकर्ताओं को सोशल डिस्टेंसिंग बनाये रखने और उचित स्वच्छता के संबंध में सरकारी निर्देशों का पालन करना चाहिए. इसके साथ ही, कर्मचारियों को सहानुभूति और चिंता के साथ पॉलिसीधारकों अथवा उनके दावेदारों से निपटने के लिए विधिवत संवेदनशील होना चाहिए.

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