8th Pay Commission vs 7th Pay Commission: केंद्रीय कर्मचारियों के वेतनमान (Salary Structure) में बदलाव करने के लिए हर दस साल में एक पे कमीशन (Pay Commission) का गठन करती है. इसकी सिफारिशों के आधार पर केंद्रीय कर्मचारियों का वेतन तय होता है. अब तक सात बार पे कमीशन बनाया जा चुका है.
केंद्रीय कर्मचारियों के लिए 7वें वेतन आयोग की सिफारिशें देशभर में लागू हैं और कर्मचारियों को इसका फायदा भी मिल रहा है. हालांकि कर्मचारियों की शिकायत है कि उनके लिए जितनी सिफारिशें की गई थी, उन्हें उससे कम सैलरी मिल रही है. सवाल उठता है कि क्या सरकार अब 8वां वेतन आयोग बैठाने की तैयारी कर रही है?
संसद में वित्त मंत्री से पिछले दिनों जब पूछा गया कि क्या सरकार के पास केंद्रीय कर्मचारियों के लिए आठवें केंद्रीय वेतन आयोग का प्रस्ताव विचाराधीन है, ताकि इसे एक जनवरी, 2026 से लागू किया जा सके. इसपर सरकार की ओर से इस दावे का खंडन किया कि सरकार आठवां केंद्रीय वेतन आयोग गठित करने जा रही है.
इस बारे में पिछले दिनों केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने सदन में यह स्पष्ट कर दिया कि 8वें वेतन पर सरकार अभी कोई विचार नहीं कर रही है. अब जिन केंद्रीय कर्मचारियों को आठवें वेतन आयोग का बेसब्री से इंतजार था, उनकी उम्मीदों पर क्या पानी फिर जाएगा? आखिर क्या है सरकार की योजना?
रिपोर्ट्स की मानें, तो अब कर्मचारियों की सैलरी ऐक्रॉयड (Aykroyd) फॉर्मूले से तय होगी. इससे कर्मचारियों की सैलरी को महंगाई, कॉस्ट ऑफ लिविंग और परफॉर्मेंस से जोड़ा जाएगा. इसी हिसाब से कर्मचारियों का प्रमोशन भी होगा. हालांकि, अभी ऐसे किसी फॉर्मूले पर कोई विचार नहीं हुआ है. बताते चलें कि 7वें वेतन आयोग की सिफारिश में जस्टिस माथुर ने पे स्ट्रक्चर को Aykroyd फॉर्मूले के तहत तय करने की बात कही थी. इस नियम में कॉस्ट ऑफ लिविंग को भी ध्यान में रखा जाता है. वॉलेस रुडेल आयकरॉयड ने यह फॉर्मूला दिया था.
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.