Israel Hamas War: इजरायल के हमले से कच्चे तेल में लगी आग, एक ही बार में पांच प्रतिशत बढ़े दाम

Israel-Hamas War: इजरायल के फिलिस्तीन पर हमने के कारण पश्चिम एशिया में तनाव उभर गया है. कच्चे तेल के लिहाज से पश्चिम एशिया काफी महत्वपूर्ण है. यहां से पूरी दुनिया को एक तिहाई तेल की सप्लाई की जाती है. इसके कारण सोमवार को एक झटके में कच्चे तेल की कीमतों में पांच प्रतिशत का उछाल आया है.

By Madhuresh Narayan | October 9, 2023 10:00 AM
an image

Israel-Hamas War: इजरायल और फिलिस्तीन के बीच युद्ध की आग वैश्विक व्यापार (Global Business) पर अपना असर दिखाने लगी है. एक तरफ सोमवार को निवेशकों को सतर्क रुख से भारतीय शेयर बाजार में BSE सेंसेक्स 400 अंक टूटकर खुला. वहीं, निफ्टी भी 19500 के नीचे कारोबार करता दिखा. जबकि, दूसरी तरफ इजरायल के फिलिस्तीन पर हमने के कारण पश्चिम एशिया में तनाव उभर गया है. कच्चे तेल के लिहाज से पश्चिम एशिया काफी महत्वपूर्ण है. यहां से पूरी दुनिया को एक तिहाई तेल की सप्लाई की जाती है. इसके कारण सोमवार को एक झटके में कच्चे तेल की कीमतों में पांच प्रतिशत का उछाल आया है. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, बाजार में युद्ध से संबंधित प्रीमियम का दौर लौट आया है और इससे वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट 87 डॉलर प्रति बैरल के पास पहुंच गया है. आज सुबह 6 बजे WTI क्रूड 86.39 डॉलर प्रति बैरल पर था. जबकि, ब्रेंट क्रू़ड भी 88.13 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था. बड़ी बात ये है कि पूर्वी यूरोप करीब डेढ़ साल से युद्ध की चपेट में है. अब पश्चिमी एशिया में नया युद्ध शुरू हो गया है.

हमास के किया 50 सालों का सबसे भयानक हमला

बताया जा रहा है कि हमास ने पिछले पचास सालों में सबसे भयानक हमला शनिवार को किया था. इसमें हजारों औरतें, बच्चे और बुढ़ों की मौत हुई है. इसके साथ ही, हमास के द्वारा बड़ी संख्या में लोगों को बंधक बनाया गया है. इसके बाद से इजरायल ने युद्ध की घोषणा कर दी. इसके बाद, युद्ध को लेकर दुनिया दो खेमों में बट गयी. ऐसे में युद्ध इतनी जल्दी खत्म होता हुआ भी नहीं दिख रहा है. हालांकि, वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में उछाल ऐसे वक्त पर आया है जब लंबे समय की तेजी के बाद, भाव सामान्य होने लगे थे.

Also Read: Petrol-Diesel Price: राजस्थान से लेकर बिहार तक में बदले पेट्रोल-डीजल के दाम, आपके शहर में क्या है आज का रेट

बाजार को सता क्या डर

फिलिस्तिन और इजरायल पर एक दूसरे के द्वारा आए दिन हमले किये जाते थे. हालांकि, इस बार हमला बड़ा और भयानक है. ऐसे में समझा जा रहा है कि इस हमले में ईरान की भूमिका हो सकती है. बाजार में माना जा रहा है कि इजरायल पर हमले में ईरान की इंटेलीजेंस की सीधी भागीदारी है. वहीं, इजरायल पर हमले के बाद ईरान में बड़े पैमाने पर जश्न भी मनाया गया. साथ ही, ईरान ने खुलकर हमास के हमसे की सराहना भी है. जबकि, तालिबानी लड़ाके भी इस युद्ध में शामिल होना चाहते हैं. उसने ईरान और जॉडन जैसे देशों से इजरायल की सीमा तक पहुंचने के लिए रास्ते की मांग की है. ऐसे में बाजार को डर है कि अगर ईरान ने फिर से सप्लाई रोक दी तो कच्चे तेल का भाव और ज्यादा बढ़ सकता है.

Also Read: Israel War: भारत में व्यापार से लेकर सोने-चांदी की कीमतें होगी प्रभावित, जानें क्यों बढ़ी व्यापारियों की चिंता

सोने की कीमत में भी आया उछाल

भैतिक बाजार में सोने-चांदी की मांग बढ़ी है. इससे सोने पर प्रीमियम तेजी से बढ़ गया है. इससे सोने-चांदी के दाम (Gold-Silver Price Hike) में भी तेजी आ गयी है. बताया जा रहा है कि सोने पर प्रीमियम सात हजार रुपये बढ़ गया है. अब 10 ग्राम सोने पर प्रीमियम दो हजार रुपये हो गया है. इससे पहले 10 ग्राम सोने पर प्रीमियम केवल 1300 रुपये था. तेज प्रीमियम के कारण कई स्थानों पर सर्राफा व्यापारियों सोना बेचने से मना कर दिया है. जबकि, चांदी पर प्रीमियम प्रति किलो पर एक हजार रुपये बढ़ गया है. वर्तमान में चांदी पर 3500 रुपये प्रीमियम लग रहा है. इससे पहले केवल 2500 रुपये लगता था. भारतीय सर्राफा व्यापारियों को ये परेशानी का सामना ऐसे वक्त पर करना पड़ रहा है, जब भारतीय बाजार में सोने की मांग बढ़ी हुई है. त्योहारी और शादियों के सीजन के कारण हर साल अक्टूबर से दिसंबर तक मांग में तेजी बनी रहती है. भारत में हर साल 700-800 टन सोने की खपत होती है. मगर, इसमें से केवल 1 टन का उत्पादन भारत में होता है. देश में बाकी सोना बाहर से मंगवाया जाता है.

तेल की कीमत को लेकर क्या है मूडीज का दावा

इजरायल और फिलिस्तीन के हमले के बीच, भारत में आम चुनाव होने वाला है. ऐसे में कच्चे तेल की कीमतों में उछाल के बावजूद अगले साल होने वाले आम चुनाव के कारण पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढ़ने की संभावना नहीं है. मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस की एक रिपोर्ट में यह बात कही गई. सार्वजनिक क्षेत्र के तीन ईंधन खुदरा विक्रेताओं इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (आईओसी), भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) ने पेट्रोल और डीजल की कीमतों को लगातार 18 महीनों से स्थिर रखा है. ये कंपनियां करीब 90 प्रतिशत बाजार को नियंत्रित करती हैं. पिछले साल कच्चे तेल के दाम बढ़ने के बावजूद ऐसा किया गया, जिससे वित्त वर्ष 2022-23 की पहली छमाही में इन कंपनियों को भारी नुकसान हुआ. अगस्त के बाद से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमतें मजबूत होने से तीनों खुदरा विक्रेताओं का मुनाफा (मार्जिन) फिर से नकारात्मक श्रेणी में चला गया है. मूडीज की रिपोर्ट के अनुसार कि कच्चे तेल की ऊंची कीमतें भारत में तीन सरकारी स्वामित्व वाली तेल विपणन कंपनियों आईओसी, बीपीसीएल और एचपीसीएल की लाभप्रदता को कमजोर कर देंगी. रिपोर्ट में कहा गया कि तीनों कंपनियों के पास मई 2024 में आम चुनाव के कारण चालू वित्त वर्ष में पेट्रोल और डीजल की खुदरा बिक्री कीमतों में वृद्धि करने के सीमित अवसर होंगे. बहरहाल, वैश्विक वृद्धि कमजोर होने के कारण तेल की ऊंची कीमतें लंबे समय तक कायम रहने की आशंका नहीं है.

Exit mobile version