Coronavirus Lockdown : इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के निशाने पर बड़े टैक्स पेयर्स, बकाया वसूली के लिए जा सकता है फोन या मेल

आयकर विभाग ने देशभर में काम करने वाले अपने अधिकारियों से कहा है कि वह बड़े करदाताओं के साथ संपर्क में रहें और उन्हें बकाया कर वसूली के लिये फोन अथवा ईमेल करते रहें.

By KumarVishwat Sen | March 30, 2020 6:52 PM

नयी दिल्ली : आयकर विभाग ने देशभर में काम करने वाले अपने अधिकारियों से कहा है कि वह बड़े करदाताओं के साथ संपर्क में रहें और उन्हें बकाया कर वसूली के लिये फोन अथवा ईमेल करते रहें. हालांकि, सरकार ने पिछले सप्ताह ही कोरोना वायरस महामारी के प्रसार को देखते हुए कर भुगतान और रिटर्न दाखिल करने की समयसीमा को तीन महीने की छूट दी है.

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) आयकर आयुक्त (समन्वय एवं व्यवस्था) राकेश गुप्ता ने पिछले सप्ताह ही फील्ड में काम करने वाले अपने अधिकारियों से बड़े करदाताओं पर बकाया कर की वसूली को लेकर किये गये प्रयासों के बारे में दैनिक रिपोर्ट भेजने का निर्देश दिया है. अधिकारियों को भेजे मैसेज में कहा गया है कि कोरोना वायरस के फैलने के बीच ज्यादातर अधिकारी घर से ही काम कर रहे हैं, लेकिन एक-दूसरे से जुड़ी मौजूदा दुनिया में काम लगातार आगे बढ़ाया जा सकता है.

गुप्ता ने अपने मैसेज में लिखा है कि हालांकि, अधिकारियों को उनके सांवधिक कार्य के लिए आयकर व्यावसायिक एप्पलीकेशन (आईटीबीए) प्लेटफॉर्म उपलब्ध नहीं है, लेकिन इसके बावजूद बड़े करदाताओं के साथ टेलीफोन से अथवा इलेक्ट्रानिक साधनों के जरिये लंबित आयकर की वसूली के लिए बात की जा सकती है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले सप्ताह ही 2018- 19 की आयकर रिटर्न भरने की अंतिम तिथि को तीन महीने आगे बढ़ाने के साथ ही अग्रिम कर देरी से भरने, स्व: आकलन आधारित कर, नियमित कर, स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस), प्रतिभूति कारोबार कर आदि की समय सीमा को आगे बढ़ाने की घोषणा की है. इसके कुछ ही दिन बाद कर अधिकारियों को यह संदेश भेजा गया है.

आयकर आयुक्त के इस निर्देश को लेकर कर अधिकारी असहज महसूस कर रहे हैं. उन्होंने इसको लेकर सीबीडीटी चेयरमैन को पत्र लिखा है. आयकर कर्मचारियों और आयकर राजपत्रित अधिकारियों (आईआरएस) के संघ की संयुक्त संस्था ने एक पत्र भेजकर इस मामले में आश्चर्य जताया है. एक तरफ, जब वित्त मंत्री ने विभिन्न अनुपालनों को लेकर समयसीमा में विस्तार दिया है. यहां तक कि विवाद समाधान योजना विवाद से विश्वास की समयसीमा भी बढ़ा दी गयी है, तब ऐसे समय करदाताओं पर कर भुगतान के लिए जोर देने का निर्देश देना आश्चर्यजनक है.

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