ITR दाखिल करना क्यों है जरूरी? पढ़ें एक्सपर्ट की राय
ITR: जब किसी व्यक्तिगत करदाता की आमदनी किसी वित्तीय वर्ष में मूल छूट सीमा से कम होती है, तो टैक्स की देनदारी जीरो होती है. इस प्रकार ऐसे व्यक्ति आयकर अधिनियम 1961 की धारा 139(1) के प्रावधान के अनुसार, आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए बाध्य नहीं हैं.
ITR: आम तौर पर आयकर विभाग आपकी आमदनी पर टैक्स की वसूली करता है. आपकी ओर से अपनी आमदनी पर दिए गए टैक्स का इस्तेमाल देश के विकास में किया जाता है. नौकरी-पेशा, कारोबारी, आम नागरिक, सेवानिवृत्त कर्मचारी, सरकारी कर्मचारी, किराए पर मकान उपलब्ध कराने वाले, बड़े किसान समेत हरेक नागरिक को अपनी आमदनी का हिसाब-किताब आयकर विभाग को बताते हैं. आयकर विभाग टैक्स वसूलने के लिए लोगों की आमदनी का स्लैब निर्धारित किया हुआ है. अपनी आमदनी का हिसाब-किताब जिस माध्यम से बताया जाता है, उसे आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करना कहा जाता है. आयकर रिटर्न दाखिल करना क्यों जरूरी है, इससे जानना हर किसी के लिए जरूरी है. इसके क्या फायदे हैं और कितनी आमदनी पर आयकर विभाग टैक्स वसूलता है और कितनी आमदनी पर टैक्स नहीं देना पड़ता है. आइए, इन सभी सवालों का जवाब जानते हैं.
टीडीएस कट जाने के बाद भी दाखिल किया जा सकता है ITR
चार्टर्ड अकाउंटेंट कन्हैया मोदी बताते हैं कि आम तौर करदाताओं को यह गलतफहमी होती है कि उनका किसी प्रकार की देनदारी नहीं है, तो आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करना जरूरी नहीं है. लेकिन, वास्तविकता इससे बिल्कुल अलग है. वित्त वर्ष 2023-24 (आकलन वर्ष 2024-25) के लिए उन लोगों के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तारीख 31 जुलाई 2024 है, जिनका ऑडिट नहीं होगा. कन्हैया मोदी आगे कहते हैं कि कई वेतनभोगी यह मानते हैं कि यदि उनके वेतन से उचित टीडीएस काटा गया है, तो उन्हें आयकर रिटर्न दाखिल करने की जरूरत नहीं है. अधिकांश आय स्रोत पर टैक्स कटौती (टीडीएस) को पूर्ण अनुपालन मानते हैं, लेकिन यह सही नहीं है. टीडीएस कटौती के बाद भी आयकर रिटर्न दाखिल किया जा सकता है.
ITR दाखिल करना क्यों है जरूरी?
कन्हैया मोदी आगे कहते हैं कि जब किसी व्यक्तिगत करदाता की आमदनी किसी वित्तीय वर्ष में मूल छूट सीमा से कम होती है, तो टैक्स की देनदारी जीरो होती है. इस प्रकार ऐसे व्यक्ति आयकर अधिनियम 1961 की धारा 139(1) के प्रावधान के अनुसार, आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए बाध्य नहीं हैं. ये लोग निल रिटर्न फाइल कर सकते हैं. लेकिन अगर सकल कुल आय मूल छूट सीमा से अधिक है, तो रिटर्न दाखिल करना अनिवार्य है.
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वरिष्ठ नागरिकों को कब मिलती है ITR से राहत
आयकर अधिनियम की धारा 194पी के अनुसार, 75 साल या उससे अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिकों को आयकर रिटर्न दाखिल करने की जरूरत नहीं है. यदि वे कुछ शर्तों को पूरा करते हैं, जिससे उनकी आमदनी केवल पेंशन से और जिस बैंक में पेंशन आ रहा है, उसी बैंक से ब्याज मिल रहा है, तो ऐसी स्थिति बैंक टैक्स काट लेता है. ऐसी स्थिति में उन्हें आयकर रिटर्न दाखिल करने की जरूरत नहीं पड़ती.
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पुरानी कर व्यवस्था के तहत टैक्स में छूट की सीमा
- 60 साल से कम उम्र के व्यक्ति के लिए 2.5 लाख रुपये तक टैक्स से छूट
- 60 साल से अधिक लेकिन 80 साल से कम उम्र के व्यक्ति को 3.0 लाख रुपये तक की छूट
- 80 साल से अधिक उम्र के लोगों को 5 लाख रुपये तक की छूट
- नई कर व्यवस्था के तहत सभी श्रेणियों के करदाताओं के लिए मूल छूट सीमा 3 लाख रुपये
किन मामलों में ITR दाखिल करना जरूरी
- निश्चिति लिमिट से अधिक बैंक डिपॉजिट: अगर एक या उससे अधिक सेविंग अकाउंट में बैंक में सालाना 50 लाख रुपये से अधिक डिपॉजिट है और एक या उससे अधिक करंट अकाउंट में सालाना 1 करोड़ से अधिक रुपये डिपॉजिट हैं, तो आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करना जरूरी है.
- प्रोफेशनल इनकम 10 लाख से अधिक: अगर आपके प्रोफेशन से आमदनी 10 लाख से अधिक है, तो आपके लिए आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करना जरूरी है.
- 1 लाख से अधिक बिजली बिल: अगर आप साल में 1 लाख रुपये से अधिक के बिजली बिल का भुगतान करते हैं, तो आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करना आवश्यक है.
- 25 हजार से अधिक टीडीएस-टीसीएस कटौती: अगर आपका टीडीएस या टीसीएस 25 हजार रुपये से अधिक कटता है या वरिष्ठ नागरिकों का टीडीएस 50 हजार से अधिक कटता है, तो ऐसी स्थिति में आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करना जरूरी हो जाता है.
- विदेशी संपत्ति से आय: अगर आपने किसी दूसरे देश में संपत्ति खरीद रखी है, उससे आपको लाभ मिलता है या फिर आपके पास भारत के बाहर किसी भी देश के बैंक खाते में हस्ताक्षर करने का अधिकार है, तो आपके लिए आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करना जरूरी है.
- फॉरेन की यात्रा करने पर खर्च: अगर आप एक वित्तीय वर्ष के दौरान अपने लिए या फिर किसी दूसरे व्यक्ति के लिए विदेश यात्रा पर 2 लाख रुपये या उससे अधिक की रकम खर्च करते हैं, तो आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करना जरूरी है.
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