जम्मू-कश्मीर को मिली नयी पहचान, भद्रवाह राजमा और सुलाई शहद को मिला ‘जीआई’ का दर्जा
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2015 में ब्रिटेन की अपनी यात्रा के दौरान महारानी एलिजाबेथ को जैविक सुलाई शहद उपहार में दिया था. जीआई का दर्जा मिलने के बाद क्षेत्र के इन लोकप्रिय उत्पादों की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने में मदद मिलेगी.
जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले के प्रसिद्ध भद्रवाह राजमा और रामबन के सुलाई शहद को भौगोलिक संकेतक (GI) का दर्जा मिल गया है. अधिकारियों ने कहा कि जीआई का दर्जा मिलने के बाद क्षेत्र के इन लोकप्रिय उत्पादों की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने में मदद मिलेगी. जम्मू के संगठनों ने पिछले साल जम्मू क्षेत्र के विभिन्न जिलों से आठ अलग-अलग पारंपरिक वस्तुओं के लिए जीआई टैग के लिए आवेदन किया था. कृषि उत्पादन एवं कृषक कल्याण निदेशक-जम्मू के के शर्मा ने कहा कि डोडा और रामबन जिलों को आज दो भौगोलिक संकेतक मिले. एक भद्रवाह का राजमा है जिससे लाल सेम कहा जाता है. दूसरा शहद है. यह रामबन जिले का सुलाई शहद है. ये चिनाब घाटी के दो महत्वपूर्ण उत्पाद हैं. उन्होंने कहा कि ये उत्पाद क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास का माध्यम हैं. जीआई के दर्जे से किसानों की आय दोगुना करने में मदद मिलेगी. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2015 में ब्रिटेन की अपनी यात्रा के दौरान महारानी एलिजाबेथ को जैविक सुलाई शहद उपहार में दिया था.
बढ़ेगी इलाके में आर्थिक समृद्धि
के के शर्मा ने कहा कि विभाग ने इन उत्पादों के लिए भौगोलिक संकेतक की प्रक्रिया शुरू की थी. अंतत: मंगलवार को इसकी अनुमति मिल गई. भौगोलिक संकेतक या जीआई टैग एक लेबल है जो किसी विशेष उत्पाद पर लगाया जाता है. यह किसी विशेष भौगोलिक क्षेत्र या मूल देश को निर्दिष्ट करता है. यह दर्जा ऐसे उत्पादों के तीसरे पक्ष द्वारा दुरुपयोग को रोकता है. उन्होंने कहा कि जीआई का दर्जा बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) का एक रूप है जो एक विशिष्ट भौगोलिक स्थान से उत्पन्न होने वाले और उस स्थान से जुड़े विशिष्ट प्रकृति, गुणवत्ता और विशेषताओं वाले सामान की पहचान करता है. निदेशक ने कहा कि अब केवल अधिकृत उपयोगकर्ता के पास ही इन उत्पादों के संबंध में भौगोलिक संकेतक का उपयोग करने का विशेष अधिकार है. उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति अपने भौगोलिक क्षेत्रों से परे इसकी नकल नहीं कर सकता है. किसी उत्पाद को जीआई का दर्जा मिलने से उस क्षेत्र के लोगों की आर्थिक समृद्धि बढ़ती है.
क्या होता है जीआई टैग
“जीआई टैग” (GI Tag) एक प्रकार का ब्रांड टैग होता है जिसे विशेष भूगोलीय क्षेत्र से उत्पन्न होने वाले उत्पादों को पहचानने के लिए उपयोग किया जाता है. यह टैग उत्पादों की विशिष्टता और मूल उत्पादन स्थल को संकेतित करने के रूप में काम करता है और उन्हें विशेषता और गुणवत्ता का पता लगाने में मदद करता है. GI टैग एक उत्पाद की विशिष्टता को पहचानने में मदद करता है और उसे अन्य समान उत्पादों से अलग करने में मदद करता है. टैग उत्पाद के मूल उत्पादन स्थल की पहचान करने में मदद करता है. यह उपभोक्ताओं को यह जानने में मदद करता है कि विशिष्ट उत्पाद का मूल कहां पर होता है. इसके माध्यम से स्थानीय और पारंपरिक ज्ञान और उत्पादन प्रक्रियाएं संरक्षित रह सकती हैं और विपरीत में अदान-प्रदान और अनधिकृत उपयोग से बचाया जा सकता है. GI टैग उत्पादों की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने में मदद कर सकता है, क्योंकि उन्हें उनके मूल स्थल और प्रक्रियाओं के आधार पर पहचाना जा सकता है. इस तरह से, जीआई टैग उत्पादों की मान्यता, पहचान, और मूल उत्पादन स्थल की पहचान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
कैसे मिलता है जीआई टैग
जीआई टैग (GI Tag) प्राप्त करने के लिए पहला कदम है आपको आपके उत्पाद के लिए जीआई टैग प्राप्त करने की इच्छा का आवेदन प्रस्तुत करना होता है. आपको अपने उत्पाद की जानकारी, मूल उत्पादन स्थल, उत्पाद की विशेषताएं आदि दर्ज करनी होती है. जीआई टैग प्राप्त करने के लिए आपको आपके उत्पाद की स्थानीय निगम या संस्था से संपर्क करना होगा जो इस प्रकार की प्रक्रिया का प्रबंधन करती है. आवेदन के साथ, आपको आवश्यक दस्तावेज भी प्रस्तुत करने हो सकते हैं, जैसे कि उत्पाद के संबंधित विवरण, उत्पाद की प्रमाणित प्रति, उत्पाद की फ़ोटो, आदि. संस्था या निगम आपके आवेदन की जांच करेगा और उत्पाद की सटीकता और विशेषताओं की जांच करेगा. इसके बाद, उन्हें यदि आपके उत्पाद को जीआई टैग प्राप्त करने के योग्य माना जाता है, तो वे आपको एक स्वीकृति पत्र प्रदान कर सकते हैं. हालांकि, जीआई टैग प्राप्त करने की प्रक्रिया भिन्न-भिन्न देशों और क्षेत्रों में विभिन्न हो सकती है, और आपके उत्पाद के प्रकार और स्थान के आधार पर भी बदल सकती है. आपको आपके स्थानीय निगम या संस्था से संपर्क करके विवरण प्राप्त करने की सलाह दी जाती है.
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