नयी दिल्ली : पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी में सीमा विवाद के बाद भारत की ओर से 59 चाइनीज एप्स पर प्रतिबंध लगाने के बाद विस्तारवादी नीतियों की वजह से जापान ने भी अपनी 57 कंपनियों को वापस बुलाकर चीन को करारा झटका दिया है. भारत की ओर से कार्रवाई किए जाने के पहले अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध छिड़ा हुआ है। पिछले साल के दिसंबर महीने से वुहान से कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से पूरी दुनिया में फैली जैविक महामारी को लेकर चीन वैसे ही अमेरिका समेत दुनिया के अन्य देशों के निशाने पर है. अब जापान की ओर से अपनी 57 कंपनियों को वापस बुलाए जाने के बाद उसके सामने एक नया संकट खड़ा हो गया है.
सबसे बड़ी बात यह भी है कि जापान ने अपनी जिन 57 कंपनियों को चीन से वापस बुलाने का फैसला किया है कि उन कंपनियों को वहां से वापस लाने की प्रक्रिया में होने वाले खर्च का वहन जापानी सरकार करेगी. इसके लिए सरकार ने पहले ही तैयारी कर रखी है. ब्लूमबर्ग के हवाले से मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार, जापान ने चीन के साथ बढ़ते तनाव को देखते हुए चीन पर निर्भरता को कम करने के लिए इस प्रकार का कदम उठाया है. जापानी कंपनियों की सप्लाई सीरीज पर कोई दुष्परिणाम न पड़े और वे मुख्य रूप से चीन पर निर्भर न रहें, इस उद्देश्य से इन कंपनियों को वापस बुलाने का फैसला किया गया है.
जापान ने चीन की सभी 57 जापानी कंपनियों को स्वदेश में बुलाकर उत्पादन करने के लिए सहायता करने की दृष्टि से 53.6 करोड़ डॉलर के फंड का ऐलान किया है. चीन के साथ ही एशिया के वियतनाम, म्यांमार, थाईलैंड और अन्य दक्षिण एशियाई देशों की जापानी कंपनियों को वापस अपने देश में आकर उद्योग स्थापित करने के लिए जापानी सरकार ने गतिविधि शुरू कर दी है.
जापान के निक्केई अखबार के मुताबिक, सरकार सभी जापानी कंपनियों को स्वदेश में वापस लाने के लिए कुल 70 अरब येन खर्च करेगी. जापान का कहना है कि व्यापार के साथ ही चीन की विदेश नीति सभी का सहयोग करने की नही है. आर्थिक रूप से परेशान करने के साथ ही अपने पड़ोसी देशों की सीमाओं का चीन द्वारा सम्मान नहीं किया जा रहा है.
बता दें कि चीन की विस्तारवादी नीतियों के खिलाफ कदम उठाते हुए जापान ने अब जाकर कोरोना काल में अपने देश की कंपनियों को वापस बुलाने की प्रक्रिया शुरू की है, जबकि इसके पहले ताईवान सरकार ने 2019 में ही ऐसी नीति को अख्तियार करते हुए अपने देश की कंपनियों को वापस देश में बुलाना शुरू कर दिया था. अमेरिका ने भी अपने देश की कंपनियों को चीन से वापस बुलाने को लेकर नीति तैयार करने पर काम करना शुरू कर दिया है. आईफोन बनाने वाली एप्पल ने पहले ही अपनी कंपनी की यूनिट को भारत में शिफ्ट करने का फैसला कर लिया है. वहीं, भारत ने कई चीनी कंपनियों के ठेके रद्द करके चीन को आर्थिक तौर पर बड़ा झटका दिया है.
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Posted By : Vishwat Sen
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