ज्वैलरी संगठन आज एक दिन की हड़ताल पर हैं. हड़ताल की वजह है केंद्र सरकार का भारतीय मानक ब्यूरो के सोने के गहॉनों में एचयूआईडी की निवार्यता. इसका ज्वेलर्स संगठन विरोध कर रहे हैं.
देशभर के रत्न एवं आभूषण के 350 संघ और महासंघ समर्थन कर रहे हैं. 16 जून 2021 से देशभर में चरणबद्ध तरीके से हॉलमार्किंग को अनिवार्य कर दिया गया है. सूत्रों के अनुसार सरकार ने हॉलमार्किंग का लागू करने के लिए 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 256 जिलों की पहचान की है.
कई कारोबारियों का मानना है कि एचयूआईडी जटिल प्रक्रिया है. इससे ज्वैलरी ट्रेड ठप होने का अंदेशा है. नीति आयोग की सिफारिशें नहीं मानते हुए हॉलमार्किंग नियम लागू करने से भी ज्वैलर्स में नाराजगी है.
इस बीच ज्वैलर्स एसोसिएशन के भी दो फाड़ होने की खबर आ रही है. इसमें कई छोटे ज्वैलर्स शामिल नहीं है. देश में लगभग 6 लाख ज्वेलर्स हैं जिसमें लगभग 10 प्रतिशत बड़े अथवा कॉर्पोरेट ज्वेलर्स है जबकि बाकी रिटेल ज्वेलर्स हैं. लगभग 20 लाख कारीगर भी काम करते हैं.
एआइजेजीएफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंकज अरोरा एवं महामंत्री राजीव रस्तोगी ने कड़े शब्दों में हड़ताल का विरोध करते हुए कहा, ज्वैलरी व्यापार में जो 10 प्रतिशत बड़े एवं कॉर्पोरेट ज्वेलर्स हैं जिन्होंने अपने निहित स्वार्थ की खातिर छोटे ज्वेलर्स को दुकान बंद करना पड़ता है.
ज्वैलर्स यह भी मांग कर रहे हैं कि पुराने स्टॉक पर हॉलमार्किंग प्राप्त करने की अंतिम तारीख को 31 अगस्त से एक वर्ष के लिए आगे बढ़ाया जाना चाहिए. देश में लगभग 6 लाख ज्वेलर्स हैं और प्रत्येक के पास औसतन 2 हजार से ज्यादा सोने के विभिन्न आभूषण हैं जिनकी कुल संख्या लगभग 12 करोड़ बनती है.
भारत मानक ब्यूरो के महानिदेशक ने एक विज्ञप्ति में कहा की प्रतिदिन 4 लाख आभूषण पर हाल मार्किंग हो रही है जिसमें नए एवं पुराने आभूषण शामिल हैं. सरकार के इस आंकड़े के मुताबिक ही लगभग 300 दिन चाहिए तभी पुराने स्टॉक पर हॉलमार्किंग संभव है.
एचयूआईडी सोने की गहने बनाने की प्रक्रिया में प्रथम बिंदु यानी जो आभूषण बनाएगा या कारीगरों से बनवाएगा, उसी व्यक्ति को एचयूआईडी लेना अनिवार्य है जबकि उसके बाद सप्लाई चेन में अंतिम रीटेलर तक किसी को भी एचयूआईडी लेने की जरूरत नहीं है .
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